104 साल बाद दुनिया ने देखा सबसे लंबे चंद्रग्रहण का नजारा, अब 2123 में दिखेगा ऐसा चंद्रग्रहण

Lunar eclipse: Today will be the longest lunar eclipse of the century
104 साल बाद दुनिया ने देखा सबसे लंबे चंद्रग्रहण का नजारा, अब 2123 में दिखेगा ऐसा चंद्रग्रहण
104 साल बाद दुनिया ने देखा सबसे लंबे चंद्रग्रहण का नजारा, अब 2123 में दिखेगा ऐसा चंद्रग्रहण
हाईलाइट
  • आज दिखाई देगा लाल चंद्रमा।
  • भारत के कई शहरों मे दिखाई देगा पूरा चंद्रग्रहण।
  • विश्वभर में आज पड़ेगा सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 104 साल बाद 27 जुलाई, 2018 की रात पूरी दुनिया ने ऐतिहासिक नज़ारा देखा। 21वीं सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण (Longest total lunar eclipse) शुक्रवार-शनिवार की दरम्यानी रात को हुआ, इस दौरान चांद ने धीरे-धीरे अपना रंग बदला। एक समय तो ऐसा भी आया जब चांद पूरी तरह से लाल रंग में तब्दील हो गया था। भारत में शुक्रवार देर रात करीब 11 बजकर 54 मिनट पर चंद्रग्रहण शुरू हुआ था। शुरुआती एक घंटे में ये आंशिक चंद्रग्रहण रहा, लेकिन बाद में इसने पूर्ण चंद्रग्रहण का रूप ले लिया। इस दौरान देश और दुनिया में लोग इस अद्भुत नजारे के साक्षी बनने के लिए आसमान में टकटकी लगाए हुए देखते रहे। हालांकि, भारत के ज्यादातर शहरों में खराब मौसम होने के कारण कई जगहों पर ये नजारा नहीं देखा जा सका।
 

नासा द्वारा ली गई तस्वीरें 

 

12:50 AM: पंजाब में चंद्रग्रहण का नजारा 

 

 

12:48 AM: असम के गुवाहाटी से चंद्रग्रहण की तस्वीरें।

 

 

12:43 AM: पंजाब के लुधियाना से चंद्रग्रहण की तस्वीरें।

 

 

12:16 AM: केरल के तिरुवनंतपुरम से चंद्रग्रहण की तस्वीरें।

 

 

12:18 AM: अमृतसर से चंद्रग्रहण की तस्वीरें।

 

 

12:16 AM: वाराणसी से चंद्रग्रहण की तस्वीरें।

 

 

12:02 AM: राजस्थान के जयपुर से चंद्रग्रहण की तस्वीर।

 

 

क्या होता है चंद्रग्रहण?
चंद्रग्रहण के बारे में अक्सर लोगों के मन में प्रश्न होता है कि चंद्रग्रहण क्या है ? विज्ञान की भाषा में कहे तो चंद्रग्रहण उस खगोलीय स्थिति को कहते है जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीके पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है। ऐसा तब होता है जब सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा लगभग एक सीधी रेखा में आते हैं। इसी वजह से रेड मून भी देखने को मिलता है। इस चंद्रग्रहण में ब्लड मून भी देखने को मिलेगा।



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इस दौरान चांद लाल रंग का नजर आएगा। ऐसा तब होता है। जब कुछ समय के लिए पूरा चांद अंतरिक्ष में धरती की छाया से गुजरता है। इस दौरान सूर्य की रोशनी धरती के वायुमंडल से गुजरते वक्त बिखर जाती है। इस दौरान लाल रंग के तरंग ब्लू और बैंगनी रंग के तरंगों की तुलना में कम बिखरते हैं। इस करण से हमें ऐसा प्रतीत होता है कि चांद पूरी तरह से लाल हो गया है। 

 

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बंद रहे मंदिरों के कपाट
चंद्रग्रहण के कारण देशभर के कई बड़े मंदिरों के कपाट दोपहर बाद ही बंद कर दिए गए। हरिद्वार, वाराणसी और इलाहाबाद में हर शाम होने वाली गंगा आरती भी दोपहर को हो गई है। चंद्रग्रहण के कारण ही दोपहर एक बजे गंगा आरती का विशेष आयोजन किया गया। इसके अलावा चंद्र ग्रहण के सूतक काल से पहले श्री बद्रीनाथ मंदिर के कपाट दिन में 12 बजकर 30 मिनट और श्री केदारनाथ मंदिर के कपाट दिन में 2 बजकर 54 मिनट पर बंद कर दिए गए। दूसरे दिन सुबह ग्रहण समाप्त होने के बाद नियमित पूजा अर्चना के लिए उन्हें फिर से खोल दिया जाएगा।

 

 

इन बातों को ध्यान रखना जरूरी
ज्योतिष और पंडितों के अनुसार सूतक लगने से पहले घर में पूरे दिन की भोजन सामग्री तैयार कर लेना चाहिए। यदि ऐसा नहीं कर पाते है तो सभी खाने पीने की चीजों में तुलसी पत्‍ता डाल दें। दूध-दही में भी तुलसी पत्‍ता डालना चाहिए। सूतक के दौरान ईश्वर का मानसिक स्मरण व मंत्रोच्चरण करना चाहिए। सूतक के दौरान भोजन बनाने से बचना चाहिए। कहा जाता है कि इस दौरान गर्भवती महिलाओं को चाकू से कुछ नहीं काटना चाहिए। भगवान की मूर्ति को स्पर्श नहीं करना चाहिए। बुरी आदतों से दूर रहना जरूरी होता है।



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एक नजर में चंद्रग्रहण का समय

  • ग्रहण का स्पर्श कालः रात 11 बजकर 54 मिनट
  • खग्रास आरंभः रात 12 बजे
  • ग्रहण मध्यः 1 बजकर 52 मिनट
  • खग्रास समाप्तः 2 बजकर 43 मिनट
  • ग्रहण मोक्षः 3 बजकर 49 मिनट


चंद्रग्रहण पूर्णिमा के दिन ही पड़ता है
चंद्रग्रहण पूर्णिमा के दिन पड़ता है लेकिन हर पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण नहीं पड़ता है। इसका कारण है कि पृथ्वी की कक्षा पर चंद्रमा की कक्षा का झुके होना। यह झुकाव तकरीबन 5 डिग्री है इसलिए हर बार चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश नहीं करता. उसके ऊपर या नीचे से निकल जाता है। यही बात सूर्यग्रहण के लिए भी सच है। सूर्यग्रहण हमेशा अमावस्या के दिन होते हैं क्योंकि चंद्रमा का आकार पृथ्वी के आकार के मुकाबले लगभग 4 गुना कम है। इसकी छाया पृथ्वी पर छोटी आकार की पड़ती है इसीलिए पूर्णता की स्थिति में सूर्य ग्रहण पृथ्वी के एक छोटे से हिस्से से ही देखा जा सकता है। लेकिन चंद्र ग्रहण की स्थिति में धरती की छाया चंद्रमा के मुकाबले काफी बड़ी होती है। लिहाजा इससे गुजरने में चंद्रमा को ज्यादा वक्त लगता है।

 

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Created On :   27 July 2018 8:28 AM IST

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