सरकार के खिलाफ पाक में भड़की हिंसा, 6 लोगों की मौत 200 घायल
डिजिटल डेस्क, इस्लामाबाद। दुनिया को आतंक की आग में झोंकने वाले पाकिस्तान के अंदरुनी हालात ठीक नहीं है। बता दें कि इस्लामाबाद में रसूल अल्लाह नाम के इस्लामिक संगठन के 20 दिन से जारी प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई और 200 से अधिक लोग घायल हो गए। जिसके बाद पाकिस्तान सरकार ने वहां सेना की तैनाती के आदेश दिए हैं। इससे पहले फैजाबाद इंटरचेंज पर प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों के हटाने के लिए सुरक्षाबलों ने कार्रवाई कीृ थी।
प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाकर्मियों पर पथराव भी किया जिसके जवाब में उन्होंने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। इससे 200 से अधिक लोग घायल हो गए, जिसमें 95 सुरक्षाकर्मी भी बताए जा रहे हैं। गृह मंत्रालय ने इस्लामाबाद राजधानी क्षेत्र में कानून-व्यवस्था को नियंत्रित करने में नागरिक प्रशासन की मदद के लिए सेना की तैनाती के लिए सांविधिक नियामक आदेश (एसआरओ) जारी किया है। मंत्रालय ने कहा कि इस्लामाबाद में शांति कायम करने के लिए अनिश्चित काल के लिए सेना की तैनाती की जाएगी। संविधान के अनुच्छेद 245 के तहत स्थिति नियंत्रण में करने को लेकर सेना की तैनाती की गयी है।
प्रदर्शनकारियों ने कर दिया है पुलिस की नाक में दम
बता दें कि प्रदर्शन करने वाले लोगों की संख्या ज्यादा नहीं थी,लेकिन प्रदर्शनकारियों ने पत्थर-डंडों से छिप-छिपकर वार करके पुलिस को नाको तले चने चबवा दिए। इस बीच पाक सरकार द्वारा प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई के लाइव कवरेज से मीडिया को रोकने पर पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रेग्युलेटरी अथॉरिटी ने विरोध में सभी टीवी चैनलों से अपना प्रसारण रोकने को कहा है। हालांकि जियो न्यूज समेत पाकिस्तान के कुछ न्यूज चैनलों ने प्रसारण बंद नहीं किया है।
पूरा मामला
आज सुबह पुलिस करीब 8 हजार जवानों ने इस्लामाबाद के फैजाबाद इंटरचेंज में धरने पर बैठे करीब 2000 प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करना शुरू किया। इसके बाद चारों तरफ हंगामा मच गया और प्रदर्शनकारियों ने सड़कों और बाजारों को ब्लॉक कर दिया है। यह धरना 6 नवंबर को टीएलपी नाम के छोटे से इस्लामिक संगठन ने शुरू किया था। अब प्रदर्शनकारियों ने मुख्य हाइवे को ब्लॉक कर दिया है जिसकी वजह से हजारों लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। टीएलपी कार्यकर्ता अल्पसंख्यक अहमदी समुदाय के प्रति कथित नरम रुख को लेकर संघीय और प्रांतीय कानून मंत्री जाहिद हमीद और राणा सनाउल्लाह के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
ये है बवाल की वजह
प्रदर्शनकारियों का मानना है कि चुने हुए प्रतिनिधियों के शपथ वाले नियम में इलेक्शन एक्ट 2017 के अधिनियम के तहत मोहम्मद साहब की सर्वोच्चता को चुनौती दी गई है। हालांकि सरकार ने इसे एक मानवीय भूल बताया था। सरकार संसद के एक एक्ट के तहत इसमें सुधार कर चुकी है। प्रदर्शनकारी कानून मंत्री जाहिद हामिद की इस्तीफे की मांग पर अड़े हुए हैं। हालांकि अभी इस बात के कोई प्रमाण नहीं है कि एक्ट में बदलाव के लिए हामिद जिम्मेदार हैं। राजा जाफारूल हक के नेतृत्व में एक कमिटी इस मामले की जांच कर रही है।
Created On :   25 Nov 2017 10:13 AM GMT