कश्मीर मामले में इमरान व कुरैशी के झूठ को पाकिस्तानी पत्रकार ने रंगे हाथ पकड़ा

Pakistani journalist caught red handed by Imran and Qureshi in Kashmir case
कश्मीर मामले में इमरान व कुरैशी के झूठ को पाकिस्तानी पत्रकार ने रंगे हाथ पकड़ा
कश्मीर मामले में इमरान व कुरैशी के झूठ को पाकिस्तानी पत्रकार ने रंगे हाथ पकड़ा

इस्लामाबाद, 23 सितम्बर (आईएएनएस)। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचसीआर) में कश्मीर मामले में 58 देशों के समर्थन के पाकिस्तानी झूठ का पर्दाफाश खुद वहां के एक वरिष्ठ पत्रकार ने कर दिया है। पत्रकार ने अपनी रिपोर्ट में साफ किया है कि ऐसा कोई समर्थन सिरे से मौजूद नहीं था जिसकी वजह से पाकिस्तान नियत समय पर यूएनएचसीआर में अपना प्रस्ताव पेश नहीं कर सका।

यह पत्रकार हामिद मीर हैं और उन्होंने जियो न्यूज उर्दू में अपने देश के शासकों को कठघरे में खड़ा करते हुए उन्हें बेपर्दा कर दिया है।

मीर ने अपनी रिपोर्ट की शुरुआत में लिखा है, नाकामी या गलती को मान लेने वाले बहादुर कहलाते हैं। नाकामी पर बहाने बनाने वाले या झूठ बोलने वाले कायर ही नहीं बल्कि वे भी होते हैं जिन पर भरोसा नहीं किया जा सकता।

उन्होंने लिखा, पाकिस्तानी कौम से भी ऐसा ही एक बहुत बड़ी नाकामी को छिपाया जा रहा है। जो भी इस पर सवाल उठाएगा, उसे गद्दार और भ्रष्ट बता दिया जाएगा। लेकिन, सवाल तो उठेगा।

मीर ने लिखा, सवाल यह है कि विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने 11 सितम्बर को जिनेवा में यह दावा किया कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में पाकिस्तान ने 50 से अधिक देशों के समर्थन से एक बयान पेश कर दिया है जिसमें भारत से मांग की गई है कि वह अधिकृत कश्मीर में मानवाधिकारों का उल्लंघन बंद करे।

उन्होंने लिखा कि भारत ने कुरैशी के इस बयान को तुरंत खारिज कर दिया और कहा कि 50 से अधिक देशों के समर्थन की बात झूठ है।

मीर ने लिखा, अगले दिन 12 सितम्बर को प्रधानमंत्री इमरान खान ने दावा किया कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में पाकिस्तान की तरफ से पेश बयान को 58 देशों का समर्थन हासिल है। इमरान ने इन देशों का शुक्रिया भी अदा कर दिया।

उन्होंने लिखा कि भारत ने इसका भी खंडन कर दिया लेकिन पाकिस्तानी कौम को यही बताया गया कि मसला कश्मीर पर पाकिस्तान को भारी कूटनीतिक सफलता मिल रही है।

पाकिस्तानी पत्रकार ने लिखा, पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में 19 सितम्बर तक भारत के खिलाफ प्रस्ताव पेश करना था ताकि उसकी रोशनी में जम्मू-कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की विशेष बैठक बुलाई जा सके। इस प्रस्ताव के लिए पाकिस्तान को परिषद के 47 में से मात्र 16 सदस्य देशों के समर्थन की जरूरत थी।

हामिद मीर ने बताया, इस प्रस्ताव के लिए 19 सितम्बर की दोपहर एक बजे की डेडलाइन तय थी। मैंने सुबह से इस्लामाबाद और जिनेवा में अहम लोगों से संपर्क किया ताकि पाकिस्तानी प्रस्ताव का समर्थन करने वाले देशों का नाम पता चल सके। पहले कहा गया, फिक्र न करें, थोड़ी देर में प्रस्ताव पेश होने वाला है, फिर नाम बताएंगे।

मीर ने लिखा, जब डेडलाइन गुजर गई तो बताया गया कि प्रस्ताव जमा ही नहीं हुआ। यह सुनकर मैंने पूछा कि हमारे प्रधानमंत्री ने तो 58 मुल्कों के समर्थन का दावा किया था और यहां तो सिर्फ 16 के समर्थन की जरूरत थी। फिर प्रस्ताव क्यों नहीं जमा हुआ? कहा गया कि शाह महमूद कुरैशी साहब से पूछिए। तो जनाब, सवाल बड़ा सादा है। अगर आपके पास 16 देशों का समर्थन नहीं था तो आपने 58 देशों के समर्थन का दावा क्यों किया? और, अगर आपके पास पर्याप्त समर्थन था तो प्रस्ताव जमा क्यों नहीं किया। क्या चक्कर चल रहा है और कौन किसको चक्कर दे रहा है।

उन्होंने लिखा, चलिए, अगर 16 देशों का समर्थन हासिल करने में नाकामी का सामना करना पड़ गया तो कोई बात नहीं, लेकिन नाकामी को छिपाने के लिए 58 देशों के समर्थन का दावा क्यों किया गया? पाकिस्तानी कौम से झूठ बोलकर आप कश्मीर के मामले को मजबूत कर रहे हैं या कमजोर?

Created On :   23 Sept 2019 6:00 PM IST

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