बाॅर्डर विवाद : चीन की मीडिया ने फिर भारत को कोसा

डिजिटल डेस्क, बीजिंग. सिक्किम में बाॅर्डर विवाद को लेकर चीन की मीडिया के तेवर लगातार तीखे होते जा रहे हैं। गुरूवार को चीन के सरकारी अखबार ने फिर आगाह किया कि बीजिंग सिक्किम में आजादी समर्थकों को मदद कर सकता है अगर भारत ने क्षेत्रीय असंतुलन को खत्म करने के लिए कोई कदम नही उठाए।
अखबार ने अपने संपादकीय में लिखा है कि पहले भी चीन ने दलाई लामा को लेकर भारत के रुख पर लगातार नाराजगी जताई लेकिन अब दलाई लामा कार्ड का बहुत इस्तेमाल हो चुका है और इससे अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में तिब्बत को लेकर कोई असर नही पड़ता। चीन का आधिकारिक अखबार ग्लोबल टाइम्स लिखता है कि चीन को सिक्किम पर अपने रवैये में बदलाव लाना चाहिए। अखबार के मुताबिक हालांकि चीन ने 2003 में सिक्किम पर भारत के आधिपत्य को मान्यता दी थी लेकिन अब उसे इस पर पुनर्विचार करना चाहिए। सिक्किम में ऐसे लोग हैं जो अपने राज्य को भारत से अलग मानते हैं। चीन में भी एक हिस्सा सिक्किम की आजादी का समर्थक है। अखबार के मुताबिक दोनों आवाजें मिलकर सिक्किम में आजादी समर्थकों को बढ़ावा दे सकती हैं।
ग्लोबल टाइम्स ने यह भी लिखा है कि दलाई लामा के खिलाफ सिक्किम चीन के लिए एक अच्छा टंप कार्ड हो सकता है। उधर कम्युनिस्ट पार्टी आॅफ चाइना के एक अखबार ने लिखा है कि भारत भूटान पर बहुत ज्यादा दबदबा बना रहा है और यही वजह है कि भूटान चीन के साथ या संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अन्य स्थायी सदस्यों के साथ कूटनीतिक संबंध नही बना पा रहा है। अखबार ने लिखा है कि भारत ने सिक्किम पर भी इसी तरह का दबाव बनाया था। 1960 से 70 के दशक में बनाए गए इसी दबाव के चलते भारत ने सिक्किम की राजशाही को 1975 में सत्ता से हटाया और देश की संसद के जरिए सिक्किम का भारतीय संघ में विलय करवा लिया। अखबार ने यह भी लिखा है कि आजादी के बाद भारत ने ब्रिटेन से मिली अपनी साम्राज्यवादी मानसिकता को क्षेत्रीय असंतुलन के लिए बरकरार रखा है और इसमें हिमालयीन इलाकों के छोटे देशों को बलिदान करना पड़ा है।
Created On :   6 July 2017 12:32 PM IST