श्रीलंका में खत्म होगा राजनीतिक घमासान, राजपक्षे शनिवार को देंगे इस्तीफा
- प्रधानमंत्री के पद को लेकर चल रहे विवाद के बीच महिंद्रा राजपक्षे ने अपने पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है।
- शनिवार को वह प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा देंगे।
- श्रीलंका में मची राजनीतिक उथल-पुथल अब थमती हुई दिखाई दे रही है।
डिजिटल डेस्क, कोलंबो। श्रीलंका में मची राजनीतिक उथल-पुथल अब थमती हुई दिखाई दे रही है। प्रधानमंत्री के पद को लेकर चल रहे विवाद के बीच महिंद्रा राजपक्षे ने अपने पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है। शनिवार को वह प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा देंगे। राजपक्षे के बेटे और सांसद नमल राजपक्षे ने इस बात की पुष्टी की है। बता दें कि इस विवाद को शुरु हुए करीब 7 हफ्ते हो चुके हैं। अपदस्थ प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने बुधवार को संसद में स्पष्ट बहुमत साबित कर दिया था। 225 सदस्यीय संसद में विश्वास प्रस्ताव को पारित करने के पक्ष में रानिल विक्रमसिंघे को 117 वोट मिले थे। इन नतीजों ने राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना पर विक्रमसिंघे को दोबारा प्रधानमंत्री नियुक्त करने का दबाव बढ़ा दिया था। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने प्रेसिडेंट मैत्रिपाला सिरिसेना के संसद भंग करने के फैसले को भी असंवैधानिक करार दिया था।
To ensure stability of the nation, Former President @PresRajapaksa has decided to resign from the Premiership tomorrow after an address to the nation. The SLPP with Frm President, SLFP others will now work to form a broader political coalition with President Sirisena.
— Namal Rajapaksa (@RajapaksaNamal) December 14, 2018
गौरतलब है कि श्रीलंका में राजनीतिक उथल-पुथल की शुरुआत 26 अक्टूबर को हुई थी जब तत्कालीन प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को हटाकर प्रेसिडेंट मैत्रिपाला सिरिसेना ने पूर्व राष्ट्रपति महिंद्रा राजपक्षे को प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई थी। श्रीलंका की राजनीति में अचानक इस तरह का बदलाव इसलिए आया था क्योंकि सिरिसेना की पार्टी यूनाइटेड पीपल्स फ्रीडम (UPFA) ने रानिल विक्रमेसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी (UNP) के साथ गठबंधन तोड़ लिया था।
इसके बाद मैत्रिपाला सिरिसेना ने 225 सदस्यीय संसद को भंग कर दिया था। संसद भंग होने के बाद श्रीलंका में तयशुदा कार्यक्रम से दो साल पहले 5 जनवरी को चुनाव की घोषणा की गई थी। इसके लिए 19 नवंबर से 26 नवंबर के बीच नामांकन किए जाने थे। विक्रमसिंघे ने संसद भंग करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इसके बाद संसद भंग के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। इतना ही नहीं अदालत ने चुनाव की तैयारियों पर भी रोक लगा दी थी। चीफ जस्टिस नलिन परेरा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने यह फैसला सुनाया था।
सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद 122 सांसदों की ओर से महिंद्रा राजपक्षे और उनकी सरकार के खिलाफ याचिका दायर की गई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने महिंद्रा राजपक्षे के प्रधानमंत्री के रूप में काम करने पर रोक लगा दी थी। कोर्ट का ये आदेश राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना के लिए एक झटके की तरह था क्योंकि उन्होंने ही रानिल विक्रमसिंघे की जगह राजपक्षे को पीएम पद की शपथ दिलाई थी। कोर्ट की इस रोक के बाद राजपक्षे ने कहा था कि वह कोर्ट के इस फैसले से संतुष्ट नहीं है और सुप्रीम कोर्ट में वह इसके खिलाफ अपील करेंगे।
Created On :   14 Dec 2018 3:01 PM GMT