येरूशलम पर फिलिस्तीन का समर्थन गलत : सुब्रमण्यम स्वामी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। येरूशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने वाले अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप के फैसले पर भारत की खिलाफत का बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने विरोध किया है। इस मामले में स्वामी ने केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा है कि भारत के इस फैसले से हमने अमेरिका और इजरायल का भरोसा खोया है। स्वामी ने कहा है कि अमेरिका के विरोध का फैसला भारत के हित में नहीं है और यह भारत की क्रेडिबिलिटी पर भी सवाल खड़ा करेगा।
बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि भारत ने हमेशा ही फिलिस्तीन का साथ दिया और उसका समर्थन किया लेकिन कश्मीर के मामले में फिलिस्तीन हमेशा से ही इस्लामिक ऑर्गेनाइजेशन के साथ भारत का विरोध करता रहा। उन्होंने कहा कि अमेरिका और इजरायल के पक्ष में भारत ने वोट न करके बहुत बड़ी गलती की है।
गौरतलब है कि इसी महीने 6 दिसंबर को अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने येरूशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता दी थी। येरूशलम वो इलाका है, जिसपर इजरायल और फिलीस्तीन दोनों ही देश अपना दावा करते हैं। व्हाइट हाउस में दिए अपने भाषण में ट्रंप ने कहा था कि "अब समय आ गया है कि येरूशलम को इजरायल की राजधानी बनाया जाए।" उन्होंने कहा कि "फिलीस्तीन से विवाद के बावजूद येरूशलम पर इजरायल का अधिकार है।"
गुरुवार को यूनाइटेड नेशन में ट्रंप के इस फैसले को रद्द करने की मांग पर लाए गए प्रपोजल पर भारत ने भी अमेरिका के खिलाफ वोट डाला है। इस प्रपोजल में कहा गया है कि येरूशलम को लेकर लिया गया कोई भी फैसला अमान्य होगा और इसे रद्द किया जाना चाहिए।
स्वामी ने कहा कि भारत का इस तरह से अमेरिका का विरोध करना आश्चर्य लगता है। स्वामी ने बताया कि विदेश मंत्रालय की सलाहकार कमेटी में गुरूवार को ही उन्होंने इस बात को लेकर प्रश्न भी उठाया था कि भारत कांग्रेस की नीतियों को आगे बढ़ाएगा या फिर किसी नई पॉलिसी पर विचार करेगा। स्वामी के अनुसार विदेश सचिव जयशंकर प्रसाद ने उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं दी कि भारत की क्या पॉलिसी है। स्वामी ने कहा, "मैं अगली मीटिंग में यह सवाल जरूर उठाऊंगा। स्वामी ने भारत की इस पॉलिसी को चापलूसी वाली पॉलिसी बताई। उन्होंने कहा कि ये पॉलिसी कांग्रेस की तुष्टीकरण वाली पॉलिसी है जो हमारे लिए कभी भी अच्छी साबित नहीं होगी।
स्वामी ने कहा कि फिलिस्तीन हमेशा से भारत के विरोध में रहा है और ये कोई अथॉरिटी देश नहीं है इसे यूएन ने एक टेंपरेरी ब्लॉक के रूप में बनाया है। फिलिस्तीन ने गुजरात और कश्मीर के मुद्दे पर भारत के खिलाफ कई प्रस्ताव पास कराएं हैं। स्वामी ने कहा कि इजराइल हमारा दोस्त है और आतंकवाद से लड़ने के लिए हमारी हर संभव मद्द कर रहा है। वहीं अमेरिका के साथ हम अपने रिश्ते और बेहतर बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
स्वामी ने ट्रंप की धमकी को याद दिलाते हुए कहा कि अमेरिका ने कहा था कि जो उनके खिलाफ वोट करेगा वो दुश्मन होगा। ऐसे में भारत का इस तरह विरोध करना जायज नहीं है। सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि ये फैसला पूरे ब्यूरोक्रेट्स ने मिलकर तय किया है क्योंकि विदेशमंत्री ने इस मामले पर फॉरेन सेक्रेटरी से बोलने को कहा था। स्वामी ने कहा कि अकेले पीएम मोदी बिचारे क्या कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि देश की जनता को इस मामले में विरोध करना चाहिए।
Created On :   22 Dec 2017 4:57 PM IST