नो मैन्स लैंड में फंसे हजारों रोहिंग्या शरणार्थी, पलायन का क्रम जारी

Thousands of Rohingya refugees stranded in No Meas Land
नो मैन्स लैंड में फंसे हजारों रोहिंग्या शरणार्थी, पलायन का क्रम जारी
नो मैन्स लैंड में फंसे हजारों रोहिंग्या शरणार्थी, पलायन का क्रम जारी

डिजिटल डेस्क, ढाका। रोहिंग्या मुसलमानों की स्थिति में कोई सुधार आता दिखाई नहीं दे रहा है। म्यांमार और बांग्लादेश सीमा पर स्थित नो मैन्स लैंड में करीब 10 हजार रोहिंग्या फंस गए हैं। रेड क्रास उन्हें जरूरी चीजों की आपूर्ति कर रहा है। इसके साथ ही हिंसाग्रस्त म्यांमार से रोहिंग्या शरणार्थियों के आने का क्रम अब भी जारी है। दोनों देशों के बीच सीमा पर छूटे 45 मीटर चौड़े क्षेत्र को "नो मैन्स लैंड" कहा जाता है, जहां दोनों ही देशों का प्रभावी नियंत्रण नहीं है।

जाना नहीं चाहते शरणार्थी
बांग्लादेश के बंदरबन जिले में घूम-धूम सीमा चौकी के स्थानीय सरकारी प्रतिनिधि एकेएम जहांगीर अजीज ने कहा, "वे नो मैन्स लैंड पर इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि उनके लिए कहीं और कोई स्थान शायद बचा ही नहीं है। नो मैन्स लैंड पर 1,360 परिवार रह रहे हैं, जिनके सदस्यों की संख्या दस हजार के करीब है। अजीज ने कहा हालांकि बांग्लादेशी अधिकारी रोहिंग्याओं को देश में घुसने से नहीं रोक रहे हैं, लेकिन शरणार्थियों को नो मैन्स लैंड में ही रहना उचित लग रहा है क्योंकि वहां उन्हें आईसीआरसी द्वारा सहायता मिल रही है।

स्थानांतरण का काम शुरू
अजीज ने कहा, "अधिकारियों ने करीब 16,000 रोहिंग्या शरणार्थियों को स्थानांतरित करने का काम शुरू किया है, जो वर्तमान में बंदरबन के कुतुपलोंग में अस्थायी शिविरों में रह रहे हैं। स्थानांतरण पूरा होने के बाद, वे नो-मैन्स लैंड में फंसे लोगों को स्थानांतरित करना शुरू कर देंगे।" आईसीआरसी के प्रवक्ता रेहान सुल्ताना तोमा ने कहा संगठन, बांग्लादेश रेड क्रीसेंट सोसायटी के साथ मिलकर बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के निवेदन पर फंसे हुए रोहिंग्या लोगों की मदद कर रहा है।

पलायन का क्रम जारी
इस बीच, म्यांमार के रखाइन में हिंसा भड़कने के बाद रोहिंग्या शरणार्थियों के पड़ोसी देश बांग्लादेश भागने का क्रम लगातार छठे हफ्ते भी जारी रहा। पड़ोसी देश म्यांमार से अब भी बड़ी संख्या में शरणार्थियों के आने का सिलसिला जारी है। बांग्लादेश में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के अनुसार अगस्त के अंत में म्यांमार में हिंसा भड़कने के बाद बाद से लगभग 5,09,000 रोहिंग्याओं ने बांग्लादेश की ओर पलायन किया है। पलायन का यह क्रम अब भी जारी है। 

बांग्ला कोस्ट गार्ड्स ने तोड़ी नावें
रोहिंग्याओं की लगातार बढ़ती संख्या ने बांग्लादेश को परेशान कर दिया है। बांग्ला कोस्ट गार्ड्स ने आज रोहिंग्याओं को लाने वाली 20 नावें तोड़ दीं। म्यांमार में हिंसा का सामना कर रहे रोहिंग्या समुदाय के लोग इन्हीं बोट के जरिए बांग्लादेश आए थे। बांग्ला कोस्ट गार्ड्स ने कहा इन नावों के माध्यम से मेथैम्फेटामाइन नामक मादक पदार्थ की तस्करी की जा रही है। कुछ शरणार्थियों ने बताया कि शाह पोरिर द्वीप पर पहुंचते ही उनके साथ मारपीट की गई और कुछ लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। 

ड्रग व मानव तस्करी में कई गिरफ्तार
बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश के स्थानीय कमांडर लेफ्टिनेंट कर्नल अरिफुल इस्लाम ने शरणार्थियों से मारपीट के आरोपों को बेबुनियाद बताया है। इस्लाम ने बताया कि यह मामला मानव तस्करी और मेथैम्फेटामाइन ड्रग की तस्करी का है। इस ड्रग को स्थानीय लोग "या बा" कहते हैं। उन्होंने कहा, "बोट्स में कुछ ऐसे लोगों को ले जाया जा रहा था, जिन्हें नहीं ले जाना चाहिए।" इस्लाम ने आरोप लगाया बोट चलाने वाले लोग रोहिंग्याओं का शोषण कर रहे थे। यहां लाए जाने के बादले उनसे बड़ी रकम वसूली गई है। 
 

Created On :   5 Oct 2017 1:26 PM GMT

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