US capital hill violence: डोनाल्ड ट्रंप का आखिरी दांव भी बेकार, इन पांच कारणों से हुई थी हार
डिजिटल डेस्क, वाशिंगटन। दुनिया के सबसे ताकतवर देश का कैपिटल हिल फिलहाल दंगों की चपेट में है, दरअसल आज अमेरिका में बुधवार को चुनावों के 64 दिन बाद अमेरिकी संसद में जो बाइडेन की जीत पर मुहर लगने वाली थी, लेकिन उसी समय डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों ने बड़ी तादात में हथियारों समेत कैपिटल हिल पर हमला बोल दिया। समर्थकों ने पहले तो कैपिटल हिल में घुस कर जमकर तोड़फोड़ की फिर सीनेटरों को बाहर कर सीनेट पर कब्जा करने की कोशिश की।
अमेरिकन ने 200 सालों में ऐसा हंगामा नहीं देखा। इस शर्मसार हरकत की आलोचना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत दुनिया के कई बड़े नेताओं ने की है। जिसके बाद ट्विटर और फेसबुक ने ट्रंप का अकाउंट सस्पेंड कर दिया है, लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि जब अमेरिकी चुनावों में जो बाइडेन की जीत हो गई थी, जब उनका सत्ता में आना तय था, जब ट्रंप का वाइट हाउस छोड़ना निश्चित था, तो ये दंगे क्यों ? आखिर क्यों डोनाल्ड ट्रंप अपनी हार स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं?
हम आपको बताते है कि वे क्या कारण है जिसकी वजह से ट्रंप को हार का सामना करना पड़ा है। परेशानी की बात यह है कि ट्रंप को इन कारणों का एहसास भी नहीं है।
1) आक्रामकता
प्रेसीडेंट ट्रंप का व्यवहार आक्रामक है। जिसके चलते कई बार ट्रंप कोरिया और चीन को परमाणु हमले की धमकी दे चुकें है दुनिया के सबसे ताकतवर देश के सबसे ताकतवर व्यक्ति के में व्यवहार आक्रामकता की कोई जगह नहीं होनी चाहिए।
2) जातिवाद भाषा
प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप कई दफा अपने भाषण में लोगों को संबोधित करते समय जातिवाद भाषा का प्रयोग करते है, यही नहीं वे कई दफ़ा अपने ट्वीट पोस्ट में भी जातिवाद भाषा का प्रयोग करते आ रहें है।
3) अमेरिका के पारंपरिक सहयोगियों के बारे में उनकी तल्खी
किसी भी देश के लोगों की भावनाएं पारंपरिक संस्क्रति से जुड़ी होती है। एक देश के नेता होने के नाते जहां एक तरफ उन्हें देश के लोगों की भावनाओं को बढ़ावा देना चाहिए। वहीं, दूसरी तरफ प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने कई दफा अमेरिका के पारंपरिक सहयोगियों के बारे में देशवासियों के मन में खटास मिलाने की कोशिश की है।
4) सीमित राजनीतिक दायरा
प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप का राजनीतिक दायरा उनके एक बिजनेसमैन होने की वजह से काफी सीमित है। दरअसल, ट्रंप एक बिजनेसमैन है जिसके चलते उन्के कंधों पर देश और बिजनेस दोनों का भार है। ट्रंप देश की राजनीती को सीमित समय ही दे पाएंगे और साथ ही यह भी माना जा सकता है कि उनके देश को देखने का नज़रीया भी एक बिजनेसमैन का होगा जिससे उनके देश के सामाजिक समस्याए या देश के हित में होने वाली बातों को नज़र अंदाज़ करना लाजमी होगा।
5) जंग को बड़ावा देना
प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने सीरिया पर हमला करने के लिए तुर्की को हरी बत्ती दे दी थी। 2014 के बाद से कुर्दों ने इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लड़ाई में 11,000 हताहतों का सामना किया जिसके बाद ट्रम्प ने कुर्दों का वध करने के लिए त्याग दिया, कोई भी इस्लामवादी कट्टरपंथ के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका की मदद करने के लिए क्यों आगे बढ़ेगा? क्योंकि दुनिया के सबसे ताकतवर देश होने के नाते उन्हें विश्व शांति को बड़ावा देना चाहिए ना कि जंग को।
बुधवार के हिंसक दंगो के बाद हर जगह डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना हो रही है महर जत्तों जहत के बाद आज कैपिटल को बाधित करने के बाद कांग्रेस ने बिडेन की जीत को अंतिम रूप दिया।
Created On :   7 Jan 2021 5:23 PM IST