रोहिंग्या मुस्लिमों की होगी घर वापसी, UN करेगा मदद

डिजिटल डेस्क, ढाका। रोहिंग्या मुसलमानों की सुरक्षित स्वदेश वापसी के लिए म्यांमार और बांग्लादेश संयुक्त मानवाधिकार संगठन की मदद लेने को तैयार हो गए हैं। रोहिंग्या की वापसी पर दोनों देशों ने गुरुवार को एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था। समझौते के बाद म्यांमार लौटे रोहिंग्या शरणार्थियों को शुरुआत में अस्थायी आश्रयगृह या शिविरों में रहना होगा। समझौते के मुताबिक अगले दो महीने के भीतर रोहिंग्या मुस्लिमों की म्यांमार लौटने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार अगस्त से 620000 रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश चले गए थे और म्यांमार में सैन्य कार्रवाई के बाद अब दुनिया के सबसे बड़े शरणार्थी शिविर में रह रहे हैं।
कई संगठनों ने मांग की थी कि रोहिंग्या मुसलमान सुरक्षित म्यांमार लौटें, इसके लिए एक निगरानी समूह का होना जरुरी है। इस पर बांग्लादेश के विदेश मंत्री अबुल हसन महमूद अली ने कहा कि इस प्रक्रिया में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन की भी भूमिका होगी। दोनों ही देश अपनी जरूरत के अनुसार इस संगठन की सहायता लेंगे।
म्यांमांर की नेता आंग सान सू ची और बांग्लादेश के विदेश मंत्री अबुल हसन महमूद से राजधानी नेपीतो में बातचीत हुई। हफ्तों की रस्साकस्सी के बाद दोनों देशों ने इस बारे में एक करार पर हस्ताक्षर किया। समझौते के तहत म्यांमार उत्तरी राखाइन प्रांत में सामान्य स्थिति बहाल करेगा और म्यांमार गए लोगों से सुरक्षित तरीके से अपने घर लौटने या अपनी पसंद के सर्वाधिक निकटतम सुरक्षित स्थान पर लौटने के लिये प्रोत्साहित करेगा।
ज्ञात हो कि पोप फ्रांसिस 26 नवंबर से दो दिसंबर तक म्यांमार और बांग्लादेश की यात्रा पर आएंगे। म्यांमार के अधिकारियों का कहना है कि स्वदेश लौटने वाले रोहिंग्या तब तक राहत शिविरों में रहेंगे जब तक हिंसा में उजड़े गांवों का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो जाता है। इसके साथ रोहिंग्या मुस्लिमों को पहचान पत्र भी मुहैया कराया जाएगा।
इससे पहले मानवाधिकारों की रक्षा से संबंधित कार्य से जुड़ा संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) ने रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी के लिए म्यांमार और बांग्लादेश के बीच समझौते को "हास्यास्पद" बताते हुए शुक्रवार (24 नवंबर) को इसे खारिज कर दिया।
Created On :   25 Nov 2017 11:49 PM IST