नेपाल: सुशीला कार्की ने इतिहास में दो बार अपना नाम दर्ज करवा लिया, पहले महिला जज और अब महिला पीएम

- वकील से लेकर सुप्रीम कोर्ट की जज और देश की पीएम
- जज के रूप में दिए कई ऐतिहासिक फैसले
- जेन-जी की उम्मीदों पर खरा उतरना कार्की की सबसे बड़ी प्राथमिकता
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नेपाल में अंतरिम सरकार की पीएम बनते ही सुशीला कार्की ने नेपाल के इतिहास में दो बार अपना नाम दर्ज करवा लिया है। देश की पहली महिला चीफ जस्टिस बनकर इतिहास रचा, अब देश की पहली महिला पीएम बनकर दूसरी बार इतिहास रचा है। चर्चित न्यायाधीश और नामचीन लेखक के बाद 73 साल की उम्र में सुशीला कार्की नेपाल की सियासत का प्रमुख चेहरा बन गईं है। उन्हें जेन-जी का भी समर्थन है। भ्रष्टाचार और आतंकवाद के खिलाफ उनका रुख सख्त है। नेपाल की सियासत में पुरुषों का ही दबदबा रहा है। कार्की का नेतृत्व पुरानी पीढ़ीगत राजनीति से एक ब्रेक होने के साथ साथ जवाबदेही और सुधार के लिए एक प्रतीकात्मक जीत है।
कार्की उस समय सुर्खियों में आई जब उन्होंने राजनीतिक दलों तथा नेताओं, मंत्रियों के खिलाफ साहसिक फैसले लिए, इन फैसलों से उनको प्रतिष्ठा मिली। सुशीला कार्की की परवरिश एक राजनीतिक परिवार और परिवेश में हुई है क्योंकि उनके परिवार के नेपाली कांग्रेस के प्रभावशाली कोइराला परिवार के साथ घनिष्ठ संबंध थे।
आपको बता दें ओली सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, राजनीतिक विशेषाधिकार, विरासत में मिली संपत्ति और सोशल मीडिया प्रतिबंधों के चलते जेन जेड़ ने भारी हिंसक विरोध प्रदर्शन किए, जिसके चलते ओली को इस्तीफा देना पड़ा। नेपाल में सियासी उथल-पुथल के बीच कार्की को जिम्मेदारी मिली हुई है। सैन्य प्रमुख, राष्ट्रपति और जेन जेड ने मिलकर कार्की को अंतरिम सरकार का पीएम बनाया है।
1952 में सुशीला कार्की का जन्म विराटनगर के शंकरपुर में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। सुशीला सात भाई-बहनों में सबसे बड़ी बेटी। सुशीला कार्की ने नेपाल कांग्रेस के मशहूर नेता दुर्गा प्रसाद सुबेदी के साथ शादी की थी। दोनों की मुलाकात बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में ही हुई थी, उनके पति ने 1970 में रॉयल नेपाल एयरलाइंस के विमान को हाईजैक किया था। जिस पर विमान विद्रोह नाम की किताब लिखी गई।
कार्की ने 1978 में वकालत की प्रैक्टिस शुरू की थी। वो नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस बनी। नेपाल के इतिहास में पहली बार किसी मंत्री को भ्रष्टाचार के मामले में जेल भेजने का काम कार्की ने किया। शेरबहादुर देउबा सरकार उनके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव लेकर लाई थी, जिसे भारी विरोध के बाद वापस लिया गया था। कार्की को सत्ता की विरासत के रूप में संकट का सामना करता एक राष्ट्र मिला है, न्यायिक क्षेत्र के बाद उन्हें सत्ता का स्वाद चखने को मिला है, अब उन्हें नेपाल की जनता की अपेक्षाओं पर भी खरा उतरना होगा।
Created On :   13 Sept 2025 4:15 PM IST