पाकिस्तान चुनाव: पंजाब से होकर जाता है इस्लामाबाद की गद्दी तक का रास्ता, सभी पार्टियों के लिए क्यों अहम हैं यह प्रांत

पंजाब से होकर जाता है इस्लामाबाद की गद्दी तक का रास्ता, सभी पार्टियों के लिए क्यों अहम हैं यह प्रांत
  • पाकिस्तान में 8 फरवरी को होने हैं आम चुनाव
  • पंजाब से होकर जाता है इस्लामाबाद की गद्दी तक का रास्ता
  • सभी पार्टियों के लिए क्यों अहम हैं यह प्रांत

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में 8 फरवरी को आम चुनाव होने वाले हैं। पाकिस्तान की 24 करोड़ की आबादी वाली जनता चौथी बार मतदान के जरिए अपने देश का जननायक चुनेगी। लेकिन, इससे पहले मुल्क को आर्थिक तंगी और आवाम के क्रोध जैसी परिस्थितियों से जूझना पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि, 76 साल की आजादी के बावूजद वर्तमान में पाकिस्तान का एक भी प्रधानमंत्री पांच साल का कार्यकाल पूरा करने में विफल रहा है।

मुस्लिम बहुल देश के लोकतंत्र में अधिकांश समय सैन्य शासन ही लगता रहा है। जिससे लोकतंत्र की बहाली जैसी स्थिति में प्रभुत्व कायम रह सके। पाकिस्तान में साल 1956 से 1971, 1977 से 1998, और 1999 से 2008 तक सैन्य शासन का दौर चला था। इन वर्षों की तरह ही पाकिस्तान में इस बार के आम चुनाव में भी सैन्य शासन लागू रहेगा।

इस बार का चुनाव कितना अलग

पाकिस्तान में साल 2024 का चुनाव दो प्रमुख कारणों को लेकर चर्चाओं में बना हुआ है। पहला कारण, वहां के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का जेल में कैद होना। तो दूसरा कारण मुल्क में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का स्व निर्वासन से अपने मुल्क पाकिस्तान में प्रवेश करना, जो चौथी बार प्रधानमंत्री बनने की रेस में चुनावी मैदान में अपना सिक्का आजमाने वाले हैं। बता दें कि, चुनाव होने से पहले नवाज शरीफ को सभी आपराधिक मामलों से बरी कर दिया गया था।

निचले सदन में हैं कुल 342 सीटें

पाकिस्तान में संसद की बात करें तो वहां के निचले सदन की नेशनल असेंबली में टोटल 342 सीटें हैं। जिसमें से देश के चार प्रदेशों के 272 सांसद का चुनाव इन सीटों में से होता है। बची हुई 70 सीटों में से 60 सीट महिलाओं के लिए रिजर्व की गई है। तो, 10 सीटें धार्मिक अल्पसंख्यकों की होती है। पाकिस्तान के इन चार प्रांतों के नाम हैं पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान और खैर पख्तुनख्वा। जिन्हें पाकिस्तानी सत्ता के द्वार के तौर पर भी जाना जाता है। ऐसा कहने की खास वजह यह है कि इन प्रांतों की नेशनल असेंबली में 141 सीटें होती है, जो अन्य के मुकाबले काफी ज्यादा है।

इमरान की पार्टी में दरार!

साल 2018 के आम चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए- इंसाफ (पीटीआई) पार्टी ने चार प्रांतो में 67 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इसके बाद देश की राजधानी इस्लामाबाद से सत्ता में प्रवेश किया था। उधर, नवाज शरीफ की पार्टी PML-N ने 2018 के चुनाव में कुल 64 सीटें जीती थी। लेकिन इस बार की स्थिति पहले के स्थिती से काफी अलग है।

फिलहाल, पाकिस्तान में इमरान की नेतृत्व वाली पीटाई पार्टी मुश्किल दौर से गुजर रही है। दरअसल, साल 2024 के चुनाव में उन्हीं की पार्टी से कुछ नेता बागी होकर निर्दलीय चुनावी मैदान में उतर गए हैं। इसके अलावा पार्टी के अन्य नेता जेल में कैद हैं। इसी का फायदा उठाते हुए नवाज शरीफ की पार्टी के नेता चुनाव लड़ते हुए नजर आ रहे हैं। वहीं, लाहौर नेशनल असेंबली सीट-130 से नवाज शरीफ चुनाव लड़ेंगे। यही कारण है की पीएमएल-एन का पल्ला भारी दिखाई दे रहा है।

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत को लेकर कहा जाता है कि यहां जिस भी पार्टी का प्रभाव अधिक रहता है। वह मुल्क की सत्ता पर काबिज हो जाती है। वहीं, पंजाब में बिलावल भुट्टो की पीपीपी पार्टी का दबदबा काफी कम है। ऐसे में पंजाब की एक ही सीट से चुनाव लड़ रही है।

पाकिस्तान के बाकी प्रांतों की स्थिति

चुनाव में जीत के दृष्टिकोण से सिंध दूसरा सबसे महत्वपूर्व प्रांत है। यहां टोटल 61 सीटें हैं। पीपीपी का गढ़ कहे जाने वाले इस प्रांत में उसी की सरकार है। हालांकि, पीएमएल-एन पार्टी भी यहां अपनी जमीन मजबूत करने का प्रयास कर रही है। वह यहां मुताहिदा कौमी मूवमेंट के साथ गठबंधन कर चुनावी मैदान में उतर रही है। इसके अलावा खैबर पख्तुन्ख्वा प्रांत की बात करें तो यहां 45 और बलूचिस्तान में 16 सीटें हैं।

Created On :   3 Feb 2024 1:43 PM GMT

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