उप्र : बढ़ रहा गंगा-यमुना का जलस्तर, तटवर्ती लोगों का पलायन शुरू
लखनऊ, 17 सितंबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में गंगा, यमुना समेत कई नदियों का जलस्तर बढ़ने के कारण तटवर्ती क्षेत्रों के लोगों ने घर छोड़कर पलायन शुरू कर दिया है। बाढ़ का असर खासकर प्रयाग, वाराणसी, गोंडा, अयोध्या, बलिया और मिर्जापुर में देखने को मिल रहा है। यहां पर जलस्तर बढ़ने के कारण लोग पलायन के लिए मजबूर हो रहे हैं।
प्रयाग में गंगा-यमुना का जलस्तर तेजी से खतरे की निशान की ओर बढ़ रहा है। दोनों नदियों के रौद्र रूप पकड़ने से निचले इलाकों में हड़कंप मच गया। दो दर्जन से ज्यादा मोहल्ले और 50 के करीब गांव बाढ़ की चपेट में हैं। हजारों की संख्या में लोग पलायन कर गए। कुछ बेघर हुए लोग राहत शिविरों में पहुंचने लगे हैं।
जलस्तर बढ़ने से दारागंज, छोटा बघाड़ा, चांदपुर सलोरी, सलोरी, शिवकुटी, तेलियरगंज, मेहंदौरी, रसूलाबाद, बेली गांव, बेली कछार, राजापुर, नेवादा, गौसनगर, करैलाबाग, नैनी, झूंसी और फाफामऊ के कछारी इलाकों में मुसीबत खड़ी हो रही है। हजारों घरों में पानी घुस गया है। जिला प्रशासन पल-पल बढ़ते जलस्तर पर नजर बनाए हुए है। बचाव कार्य के लिए सभी टीमें अलर्ट हैं।
बाढ़ के पानी से तटीय मुहल्ले जलमग्न हो गए हैं। हजारों लोग बाढ़ में फंस गए हैं। प्रशासन नाव के सहारे लोगों को बाहर निकालने की कवायद कर रहा है।
प्रयाग के जिलाधिकारी भानुचंद्र गोस्वामी ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। बाढ़ राहत शिविर में लोगों को दी जा रही सुविधाओं का निरीक्ष किया। अधिकारियों को निर्देश दिया कि जो लोग बाढ़ प्रभावित इलाकों में फंसे हुए हैं, उन्हें शीघ्र वहां से निकालकर राहत केंद्रों में विस्थापित किया जाए। डीएम ने बताया कि ढाई दो सौ परिवारों ने बाढ़ राहत शिविर में शरण ली है। शहर में कुल 31 शिविर बनाए गए हैं।
स्कूलों में बनाए गए बाढ़ शिविरों के चलते जिलाधिकारी भानु चंद्र गोस्वामी ने फिलहाल इन स्कूलों में तीन दिनों का अवकाश घोषित कर दिया है। जिला प्रशासन बाढ़ राहत शिविरों में लोगों के खाने-पीने के इंतजाम के साथ ही उनके स्वास्थ्य के लिए दवाइयों के इंतजाम का दावा कर रहा है। अशोक नगर के बाढ़ शिविर में 62 परिवारों के 285 लोग अपने सामानों और मवेशियों के साथ शरण लिए हुए हैं।
वाराणसी में गंगा खतरे के निशान के ऊपर बह रही है, जिस वजह से कई कालोनियां बाढ़ की चपेट में आ गई हैं। दशाश्वमेध घाट जाने वाली सड़क पर पानी भर गया है। लोग वहीं स्नान कर रहे हैं। चिताएं भी गलियों में जल रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की कई बीघे फसल पानी में डूब गई हैं। उधर मणिकर्णिका घाट की दूसरी मंजिल पर शवदाह हो रहा है, तो हरिश्चंद्र घाट जाने वाली गलियों में चिताएं जल रही हैं। जगह की कमी की चलते शवों को जलाने के लिए लोगों को काफी देर तक प्रतीक्षा करनी पड़ रही है।
वाराणसी के निवासी जयराम ने बताया कि सोमवार रात में ही गंगा खतरे के निशान को छू गई। सड़कों पर पानी भरने की वजह से संक्रमण का भी खतरा बढ़ रहा है। हालांकि प्रशासन व्यवस्था में लगा दिखाई दे रहा है। लोगों के लिए नावों की व्यवस्था की गई है।
गंगा और वरुणा में बाढ़ को देखते हुए प्राशसनिक अमला अलर्ट हो गया है। 31 बाढ़ की चौकियां बनाई गई हैं। प्रशासन ने एनडीआरएफ और बाढ़ कंट्रोल रूम को पल-पल की जानकारी लेने को कहा है।
उधर फतेहपुर में गंगा-यमुना का पानी बढ़ जाने से एक दर्जन गांवों में पानी भर गया है। रास्ते जलमग्न होने के कारण लोगों को नावों का सहारा लेना पड़ रहा है। किसानों की कई बीघा फसलें भी नष्ट हो गई हैं।
जिलाधिकारी संजीव सिंह ने बताया कि बाढ़ चौकियों के साथ हल्का लेखपालों और स्थानीय पुलिस थाना को हालात पर नजर बनाए रखने को कहा गया है।
गोंडा में घाघरा के उफान पर होने कारण बांध के आस-पास के लोग दहशत के माहौल में हैं। ग्रामीण भी पलायन की सोच रहे हैं।
गोंडा के रतन लाल ने बताया कि जलस्तर बहुत ज्यादा बढ़ गया है। गांवों में लोगों के साथ मवेशियों को भी लेकर सुरक्षित स्थानों पर निकलना पड़ रहा है। सरयू का जलस्तर भी काफी बढ़ गया है। इस कारण अयोध्या के आस-पास के इलाकों में समस्या उत्पन्न हो रही है।
सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता शशिकांत प्रसाद ने बताया कि सरयू नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है। करतनिया घाट के बंधा का भी जलस्तर बढ़ गया है।
बलिया में गंगा नदी का जलस्तर बहुत अधिक मात्रा में बढ़ गया है। बलिया के बंधे में दरार पड़ने की सूचना मिलने के बाद डीएम-एसपी मौके पर निरीक्षण करने पहुंचे थे। उनके निरीक्षण के दौरान ही दो नदियों के बीच में मौजूद दुबे छपरा रिंग बंधा टूट गया। किसी तरह अधिकारी बचते हुए वहां से हटे।
गौरतलब है कि दुबे छपरा रिंग बांध दक्षिणी तरफ गंगा नदी तो उत्तरी तरफ उफनाई घाघरा नदी का तेवर नहीं झेल पाया। डीएम भवानी सिंह खंगारौत ने बताया कि दुबे छपरा रिंग बांध टूटने से चार गांव पूरी तरह प्रभावित हो गए हैं। इन गांवों में बाढ़ का पानी घुसने लगा है। गांव के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का काम प्रशासन कर रहा है।
सिंचाई एवं जलसंचायन विभाग के मुख्य अभियंता ए़ के.सिंह ने बताया कि गंगा वर्तमान में खतरे के निशान के ऊपर बह रही है। गंगा का जलस्तर 57़ 615 होता है, लेकिन यह खतरे के निशान को पार करके 59़ 140 मीटर पर बह रही है। इसी प्रकार यमुना 84़51 खतरे के निशान को पार करके 84़ 730 पर बह रही है। घाघरा भी लगभग 20 मीटर खतरे के निशान को पार कर गई है। सरयू का जलस्तर घट बढ़ रहा है।
बाढ़ राहत आपदा कार्यालय के पदाधिकारियों ने बताया कि जिन जिलों में नदियों का जलस्तर बढ़ा है, वहां की बाढ़ चौकियों को अलर्ट किया गया है। राहत बचाव के लिए वहां पर जिला प्रशासन को तेजी लाने के लिए कहा गया है। एनडीआरएफ की टीम को भी सक्रिय रहने को कहा गया है।
Created On :   17 Sept 2019 8:01 PM IST