सूर्य के अध्ययन से लेकर 'गगनयान' मिशन के लिए ISRO के साइंटिस्ट हैं तैयार, जल्द अंतरिक्ष में भारत का बढ़ेगा दबदबा

सूर्य के अध्ययन से लेकर गगनयान मिशन के लिए ISRO के साइंटिस्ट हैं तैयार,  जल्द अंतरिक्ष में भारत का बढ़ेगा दबदबा
  • जल्द अंतरिक्ष में भारत का बढ़ेगा दबदबा
  • कल शाम को चंद्रयान-3 चंद्रमा पर होगा लैंड!

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत का मून मिशन चंद्रयान-3 बुधवार शाम को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करके इतिहास रचने वाला है। भारतीय अनुसंधान संगठन (ISRO) के साइंटिस्ट चंद्रयान-3 के सफल होने के बाद खाली हाथ नहीं बैठने वाले हैं। इसरो साइंटिस्ट आगे भी स्पेस रेस के लिए अलग-अलग प्रोजेक्ट्स को लेकर तैयार बैठे हैं। इसमें गगनयान के तहत मानव अंतरिक्ष उड़ान भी शामिल हैं। इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने बेंगलुरु में राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी के मुख्यालय में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कहा था, "हमारे हाथ भरे हुए हैं... हम आने वाले दिनों में अपने सुरक्षा उद्देश्यों के लिए भी बड़ी संख्या में उपग्रह बनाने जा रहे हैं।"

आइए जानते हैं कि इसरो आने वाले दिनों में कौन-कौन से प्रजोक्ट्स स्पेस में लॉन्च करने वाला है।

आदित्य-एल1

इस लिस्ट में पहला नाम आदित्य-एल1 का है। आदित्य-एल1 सूर्य का अध्ययन करने के लिए बनाया गया है। यह देश की पहली अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो आदित्य-एल1 सितंबर के पहले सप्ताह लॉन्च होगा। इस प्रोजेक्ट के जरिए इसरो के वैज्ञानिक सूर्य को और करीब से जानने की कोशिश करेंगे।

XPosat

XPosat भारत का पहला और दुनिया का दूसरा पोलारिमेट्री मिशन है। इसरो के मुताबिक, इसका उद्देश्य चरम स्थितियों में उज्ज्वल खगोलीय एक्स-रे स्रोतों की विभिन्न गतिकी का अध्ययन करना है।

इन्सैट-3डीएस

इन्सैट-3डीएस जलवायु का अध्ययन करेगा। भारतीय वैज्ञानिक इस मिशन पर लगातार काम कर रहे हैं। जल्द ही यह मिशन भी पूरी दुनिया में भारत के लिए एक मिसाल पेश करेगा।

निसार

निसार को इसरो और पूर्व अमेरिकी समकक्ष नासा की तरफ से संयुक्त रूप से विकसित किया जा रहा है। साथ ही, इसे एक सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR),NASA-ISRO SAR(NISAR) की वैधशाला के तहत तैयार किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट पर भी तेजी से काम किया जा रहा है।

गौरतलब है कि निसार के जरिए दुनिया में आने वाली प्राकृतिक आपदा के बारे में हमे पहले से जानकारी मिल पाएगी। निसार को धरती के निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा। निसार के माध्यम से हर 12 दिन में पूरी दुनिया का नक्शा बनाया जाएगा। यह धरती पर भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी, इकोसिस्टम, समुद्री जलस्तर, भूजल का स्तर, प्राकृतिक आपदाएं, बर्फ की मात्रा, पेड़-पौधे, बायोमास और भूस्खलन आदि पर नजर बनाए रखेगा।

गगनयान

गगनयान मिशन के तहत इसरो भी दुनिया में अपनी तकनीक और अपने यंत्र की मदद से एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष की यात्रा कराने की तैयारी में है। यह ऑर्बिटल मॉड्यूल के तहत किया जाएगा। यह दो भाग में तैयार किया जा रहा है। पहला क्रू मॉड्यूल जिसमें एस्ट्रोनॉट्स रहेंगे और दूसरा सर्विस मॉड्यूल जो क्रू मॉड्यूल को ऊर्जा देगा। जिसकी मदद से यंत्र चलेगा। इस यान से एस्टोनॉट्स को धरती से करीब 400 किलोमीटर दूर अंतरिक्ष में भेजगा। इस यान को एक से तीन दिन के लिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। यह यान पृथ्वी के चारों ओर गोलकार ऑर्बिट में चक्कर लगाएगा। इसके बाद यह तय स्थान पर समुद्र में लैंड करेगा। भारतीय वैज्ञानिक इस प्रोजेक्ट पर भी तेजी से काम कर रहे हैं।

भारत रचेगा इतिहास!

इधर, चंद्रयान-3 का लैंडिंग मॉड्यूल विक्रम बुधवार को शाम 6 बजे चंद्रमा पर सोफ्ट लैंडिंग करने में कामयाब रहता है तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। साथ ही, भारत चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव की सतह पर मून मिशन को लैंड करने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा। अभी तक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर किसी भी देश ने अपने मून मिशन को अंजाम नहीं दिया है। अगर कल इसरो ऐसा करने में सफल होता है तो भारत ऐसा करने वाला पहला देश बन जाएगा।

Created On :   22 Aug 2023 4:20 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story