IND-PAK तनाव: जैसलमेर में क्यों बरती जा रही सावधानी, आजादी के बाद से दुश्मन मुल्क के निशाने पर रहा है शहर, जानिए 'Golden City' का जंगी इतिहास

जैसलमेर में क्यों बरती जा रही सावधानी, आजादी के बाद से दुश्मन मुल्क के निशाने पर रहा है शहर, जानिए Golden City का जंगी इतिहास
  • हमले के बाद जैसलमेर में बरते जा रहे ऐतिहात
  • शाम 5 बजे के बाद बंज हो जाएंगे बाजार की सभी दुकाने
  • जिला प्रशासन ने शाम 6 बजे से अगली सुबह 6 बजे तक किया ब्लैकआउट का ऐलान

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के चलते राजस्थान के जैसलमेर में जिला प्रशासन ने कई बड़े फैसले लिए हैं। बता दें, गुरुवार रात पाकिस्तान ने भारत के कई हिस्सों पर हवाई हमले किए थे। हालांकि, भारतीय सेना ने पाकिस्तान के इन हवाई हमलों को सफलतापूर्वक नाकाम कर दिया था। पाकिस्तान ने अपनी सीमा से लगभग 450 किलोमीटर दूस राजस्थान के जैसलमेर में तकरीबन 30 से ज्यादा मिसाइलें दाग दी थी।

जैसलमेर में सावधानी!

पाकिस्तान के किए इन हमलों के बाद सरकार जैसलमेर को लेकर सतर्क हो चुका है। जिला प्रशासन ने स्थानीय लोगों को लेकर कई बड़े फैसले लिए हैं। जिला प्रशासन की ओर से लोगों के लिए गाइडलाइन जारी की गई है कि शाम 5 बजे के बाद जिले के पूरे बाजार बंद कर दिए जाएंगे। वहीं, शाम 6 बजे से लेकर अगली सुबह 6 बजे तक पूर्ण ब्लैकआउट का पालन किया जाएगा।

क्यों जैसलमेर को कहते हैं 'गोल्डन सिटी'?

जानकारी के लिए बता दें, राजस्थान के जैसलमेर को 'गोल्डन सिटी' के नाम से भी जाना जाता है। अब यहां सवाल खड़ा होता है आखिर इसका नाम 'गोल्डन सिटी' क्यों पड़ा? जैसलमेर का नाम "गोल्डन सिटी" यहां की अनोखी अर्किटेक्चर के चलते पड़ा। बता दें, यहां मौजूद किले को सोनार किला भी कहते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ये किला पीले बलुआ पत्थरों से बने हैं। जब इन पत्थरों पर सूरज की रोशनी पड़ती है तो ये सुनहरे रंग में चमक उठते हैं। इस किले के अलावा यहां मौजूद हवेलियां, मंदिर और बाजारों में भी बने इमरतों में इन्हीं बलुए पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। जिसकी वजह से धूप की किरण पड़ने के साथ ही पूरा शहर सोने की तरह चमचमाता दिखाई पड़ता है।

दुश्मन मुल्क पाकिस्तान से राजस्थान के जैसलमेर की दूरी काफी कम है। जैसलमेर पाकिस्तान की सीमा से लगभग 450 किलोमीटर की दूरी पर है। ऐसे में राजस्थान का ये इलाका दुश्मनों की मिसाइलों के निशाने पर रहता है। बता दें, बीते गुरुवार को ये पहली बार नहीं था जब पाकिस्तान ने जैसलमेर को निशाना बनाया था। इससे पहले भी कई बार उन्होंने स्वर्ण नगरी पर हमला किया है। चलिए खंगालते हैं इतिहास के पन्नों को और जानते हैं आखिर कितनी बार पाकिस्तान ने जैसलमेर को अपना निशाना बनाया है।

1948 में हुआ था पहला हमला

देश की आजादी के अगले ही साल जैसलमेर को पाकिस्तान के हमलों का सामना करना पड़ा था। बता दें, साल 1948 में हजारों की तादाद में हथियारबंद पश्तून उग्रवादी ऊंटों और घोड़ों पर सवार होकर पाकिस्तान से जैसलमेर की ओर कूच कर दिया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए जोधपुर के महाराज हनवंत सिंह ने जैसलमेर के राजा महारावल सिंह को शाही परिवार समेत राज्य छोड़ने के लिए मनाने के लिए ओसियां के ठाकुर मोहन सिंह, जोधपुर के रावलोत ठाकुर जैसलमेर भेजा था। लेकिन राजा महारावल सिंह ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और अपने नागरिकों के लिए लड़े। इसके बाद जैसलमेर की सेना ने जोधपुर की वायु सेना की मदद से गांवों को लूटने में व्यस्त पश्तूनों को खदेड़ दिया था।

1965 हमले में तनोट माता मंदिर पर गिरे थे 450 पाकिस्तानी बम

भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध में जैसलमेर पर दूसरा हमला साल 1965 में हुआ था। उस दौरान पाकिस्तानी सेना ने यहां कुल 3000 बम के गोले बरसाए थे। बता दें, इन हमलों के बीच वहां मौजूद तनोट माता मंदिर काफी चर्चा में आ गया था। ऐसा इसलिए क्योंकि इन 3000 बम के गोलों में से तकरीबन 450 इसी मंदिर के परिसर में गिरे थे। लेकिन इसके बावजूद इस मंदिर पर एक भी खरोंच नहीं आई थी। आज भी जंग में जाने से पहले बीएसएफ के जवान इस मंदिर पर माथा टेकते हैं। बता दें, ये मंदिर जैसलमेर के सीमा पर स्थित तनोट नामक गांव में है। इस गांव को राजस्थान का आखिरी गांव भी कहा जाता है।

हंटर ने पाकिस्तान के मंसूबों किया था नाकाम

भारत-पाक के बीच हुए युद्ध के इतिहास में लोंगेवाला की लड़ाई एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। साल 1971 में जैसलमेर के लोंगेवाला में पाकिस्तानी सेना के 2000 जवानों पर हमला कर दिया था। पाकिस्तानी सेना की इस बड़ी टुकड़ी पर भारतीय सेना के 120 जवानों ने भारी पड़े थे। दोनों देशों के बीच उस दौरान हुई इस लड़ाई में भारतीय वायु सेना के हंटर विमानों ने अहम भूमिका निभाई थी। भारतीय वायु सेना ने इन हंटर विमानों से पाकिस्तान के टैंक को नेस्तनाबूद कर दिया था और युद्ध के नतीजे भारत के पक्ष में कर दी थी।

Created On :   9 May 2025 7:32 PM IST

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