विशेष: 150 साल पुराने फांसी-घर को 63 साल से महिला मुजरिम की गर्दन का इंतजार

150-year-old hanging-house waiting for the neck of a female convict for 63 years (IANS Special)
विशेष: 150 साल पुराने फांसी-घर को 63 साल से महिला मुजरिम की गर्दन का इंतजार
विशेष: 150 साल पुराने फांसी-घर को 63 साल से महिला मुजरिम की गर्दन का इंतजार
हाईलाइट
  • 150 साल पुराने फांसी-घर को 63 साल से महिला मुजरिम की गर्दन का इंतजार (आईएएनएस विशेष)

डिजिटल डेस्क, मथुरा। फांसी, फांसी-घर और मुजरिमों के किस्से-कहानियों और उसके इतिहास से जमाने की लाइब्रेरियां भरी पड़ी हैं। लेकिन इस भीड़ में शायद ही कोई ऐसी लाइब्रेरी दुनिया में हो, जिसमें कहीं किसी महिला-फांसी घर का जिक्र देखने-पढ़ने को मिला हो। आईएएनएस एक ऐसे महिला फांसी घर की सच्ची कहानी खोजकर निकाली है, जिसका निर्माण सन 1870 यानी अब से तकरीबन 150 साल पहले किया गया था।

हाल-फिलहाल लंबे समय से देश के इकलौते और पहले माने जाने वाले इस महिला फांसी-घर को पिछले 63 सालों से इंतजार है एक अदद महिला मुजिरम की गर्दन का। रहस्य और रोमांच से लबरेज इस इकलौते महिला फांसी-घर से संबंधित दस्तावेजों को खंगालने पर कई महत्वपूर्ण कहानियां-जानकारियां आईएएनएस के हाथ लगीं हैं। इस महिला फांसी घर का उल्लेख ब-मुश्किल इन दिनों अगर मिल सकता है तो, सिर्फ और सिर्फ उत्तर प्रदेश के करीब 63 साल पुराने जेल मैनुअल-1956 में। जिसमें इस फांसी घर का उल्लेख साफ-साफ दर्ज है।

अपने आप में अजूबा मगर गुमनामी में जमींदोज हो चुका यह रहस्यमयी महिला-फांसी घर मौजूद है राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से करीब 150 किलोमीटर दूर स्थित कृष्ण भगवान की जन्मस्थली और उत्तर प्रदेश के मथुरा की जिला जेल में। यह जेल स्थित है उसी खूनी जवाहर बाग के पास (मथुरा कैंट के पास), जहां जून 2016 में हुआ था पुलिस और ढोंगी रामबृक्ष यादव समर्थकों के बीच खूनी संघर्ष। उस खूनी संघर्ष में यूपी के कुछ बुजदिल पुलिस वालों के कारण तमाम बेकसूर और तत्कालीन पुलिस अधीक्षक (मथुरा) जांबाज मुकुल द्ववेदी मारे गए थे।

दस्तावेज खंगालने पर आईएएनएस को पता चला कि मथुरा जेल का निर्माण सन 1870 यानी अब से करीब 150 साल पहले हुआ था। उसी दौरान इस जेल परिसर में महिला फांसी-घर का निर्माण कराया गया था। आईएएनएस के पास मौजूद इस महिला फांसी घर की जानकारियों पर मथुरा जेल के मौजूदा वरिष्ठ जेल अधीक्षक शैलेंद्र कुमार मैत्रेय भी अपनी मुहर लगाते हैं।

यूपी में फिलहाल करीब 62 जेल हैं। 62वीं जेल का उद्घघाटन हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अंबेडकर नगर में किया था। मथुरा जेल यूं तो 36 एकड़ में फैली है। इसमें से 16 एकड़ में जेल परिसर निर्मित है। बाकी खाली भूमि पर सजायाफ्ता मुजरिमों से मशक्कत (खेती-बाड़ी) कराई जाती है।

मथुरा जेल में कैदियों को रखने की निर्धारित क्षमता 554 है। इस संख्या में 524 पुरुष और 30 महिला कैदी ही रखे जाने चाहिए। इसके बाद भी यहां, गाजर-मूली की तरह ठूंसकर भर दिए गए हैं करीब 1600 कैदी। इनमें से निर्धारित क्षमता 30 की तुलना में 102 सिर्फ महिला कैदी हैं। मतलब यूपी की सल्तनत ने मथुरा जिला जेल को घोड़ों का अस्तबल बनाकर छोड़ दिया है।

आईएएनएस की पड़ताल के दौरान सामने आए कुछ सवालों के बाबत पूछे जाने पर जेल के वरिष्ठ अधीक्षक शैलेंद्र कुमार मैत्रेय ने कहा, यहां मौजूद महिला फांसी-घर में सिर्फ महिला कैदियों को ही टांगा जाएगा। इसका उल्लेख उत्तर प्रदेश जेल मैनुअल-1956 में भी किया गया है।

करीब आधा बीघा जगह में जेल का यह महिला फांसी घर फिलहाल भुतहा और अभिशप्त जगह से ज्यादा कुछ नहीं है। जेल की बाहरी और भीतरी दीवार के बीच में मौजूद एक जर्जर, बेहद पुरानी कोठरी ही मथुरा जेल में मौजूद आजाद हिंदुस्तान का इकलौता और पहला महिला फांसी घर है। इसके आसपास किसी को फटकने की इजाजत नहीं है। वैसे भी इसकी जर्जर खंडहरनुमा तकरीबन दिन-ब-दिन जमींदोज हो रहे दर-ओ-दीवार की ओर किसी की जाने की हिम्मत नहीं होती है।

अदालत की पेशी से इस जेल में लौटे एक कैदी ने आईएएनएस को बताया, इस बूढ़े फांसी घर पर रात में जो बल्ब रोशनी के वास्ते जलाया जाता है, उसकी मद्धिम रोशनी भी डराती है। बदन के रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

वरिष्ठ जेल अधीक्षक होने के नाते महिला फांसी-घर में आप कितनी बार गए? शैलेंद्र कुमार मैत्रेय ने आईएएनएस से कहा, नहीं मैंने भी अंदर जाकर इसे कभी नहीं देखा। अंदर कुछ बचा ही कहां है? दरवाजा गल चुका है। दीवारें बेहद कमजोर हैं। अंदर बड़े-बड़े झाड़-झंखाड़ मौजूद हैं। महिला फांसी घर के दरवाजे के छेद से अंदर देखने पर, लोहे का लीवर भी एकदम गला हुआ दिखाई देता है। धूप-बरसात के कारण फांसी-घर पर किसी जमाने में लगाए गए लकड़ी के तख्ते मिट्टी में मिल-दब-खप चुके हैं। चूंकि यहां आज तक कभी किसी महिला मुजरिम को फांसी पर टांगा ही नहीं गया, इसलिए इसकी देखरेख-मरम्मत की भी जरूरत महसूस नहीं हुई।

 

Created On :   28 Jan 2020 8:01 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story