आरे मेट्रो कार शेड विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने एमएमआरसीएल से कहा, अनुमति लेकर पेड़ काटें

Aarey Metro car shed dispute: SC asks MMRCL to cut trees with permission
आरे मेट्रो कार शेड विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने एमएमआरसीएल से कहा, अनुमति लेकर पेड़ काटें
नई दिल्ली आरे मेट्रो कार शेड विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने एमएमआरसीएल से कहा, अनुमति लेकर पेड़ काटें
हाईलाइट
  • परियोजना का 95 प्रतिशत पूरा होने से पहले ही परियोजना का शेष भाग इन 84 पेड़ों के कारण रुका हुआ था

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एमएमआरसीएल) को आरे मेट्रो कार शेड परियोजना के लिए 84 पेड़ों को काटने के लिए वृक्ष प्राधिकरण के समक्ष आवेदन देकर अनुमति लेने को कहा। प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा ने कहा कि पेड़ काटने वाले प्राधिकरण की अनुमति लेकर 84 पेड़ काटे जा सकते हैं।

पीठ ने कहा, हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि एमएमआरसीएल को रैंप के उद्देश्यों के लिए 84 पेड़ों को काटने की अनुमति के लिए वृक्ष प्राधिकरण के समक्ष अपने आवेदन को आगे बढ़ाने की अनुमति दी जानी चाहिए। हम स्पष्ट करते हैं कि वृक्ष प्राधिकरण स्वतंत्र निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होगा। आवेदन करें और यदि कोई शर्त लगाई जाती है, तो उसका पालन किया जाना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने मेट्रो कार शेड परियोजना के लिए मुंबई के आरे जंगल में पेड़ों की कटाई पर अपने यथास्थिति के आदेश को संशोधित किया। एमएमआरसीएल ने दावा किया कि परियोजना का 95 प्रतिशत पूरा होने से पहले ही परियोजना का शेष भाग इन 84 पेड़ों के कारण रुका हुआ था।

खंडपीठ ने कहा कि ऐसी परियोजनाओें, जिनमें सार्वजनिक धन का बड़ा परिव्यय शामिल है, यदि परियोजना में जाने वाले सार्वजनिक निवेश की अवहेलना की जाती है, तो अदालत गंभीर अव्यवस्था से बेखबर नहीं हो सकती। इसने आगे कहा कि पर्यावरण से संबंधित चिंताएं महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि सभी विकास कार्य टिकाऊ होने चाहिए।

शीर्ष अदालत को सूचित किया गया कि 2,144 पेड़ पहले ही काटे जा चुके हैं और रैंप के लिए पेड़ों को काटना बाकी है। पीठ ने स्पष्ट किया कि वह मुख्य याचिकाओं पर सुनवाई बाद में करेगी। एमएमआरसीएल का प्रतिनिधित्व करने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि 95 प्रतिशत काम खत्म हो गया है और परियोजना की मूल लागत 23,000 करोड़ रुपये थी।

उन्होंने कहा कि मुकदमेबाजी के कारण हुई देरी के कारण लागत बढ़कर 37,000 करोड़ रुपये हो गई है और इस बात पर जोर दिया गया है कि कार्बन उत्सर्जन कम होने पर भारी प्रभाव पड़ेगा और मेट्रो ट्रैक पर यातायात भी काफी हद तक कम हो जाएगा। मेहता ने जोर देकर कहा कि अगर 84 पेड़ों की वजह से पूरी परियोजना बंद हो जाती है तो किसी को कुछ हासिल नहीं होगा।

वरिष्ठ अधिवक्ता सी.यू. सिंह ने कहा कि पेड़ों की कटाई के खिलाफ कार्यकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले कहते हैं कि 23,000 करोड़ रुपये का निवेश पूरी परियोजना के लिए है, न कि कार शेड के लिए और समिति की रिपोर्ट का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि मेट्रो कार शेड साइट पर एक पिलर को छोड़कर कोई निर्माण नहीं हुआ है।

नवंबर में एमएमआरसीएल ने आरे कॉलोनी में मेट्रो कार शेड डिपो भूमि के 33 हेक्टेयर भूखंड पर 84 पेड़ों को काटने की अनुमति के लिए उनकी याचिका का फैसला करने के लिए बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के वृक्ष प्राधिकरण को निर्देशित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। शीर्ष अदालत ने 2019 में आरे कार शेड प्लॉट में पेड़ों की कटाई के विरोध में हुए प्रदर्शनों पर स्वत: संज्ञान लिया था।

इसने 7 अक्टूबर, 2019 को यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। उस समय मेहता ने एक हलफनामा दिया था कि सुनवाई की अगली तारीख तक पेड़ों की कटाई नहीं की जाएगी। यथास्थिति आदेश की वैधता अवधि समय-समय पर बढ़ाई गई थी।

(आईएएनएस)

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Created On :   29 Nov 2022 1:30 PM GMT

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