महाराष्ट्र पुलिस का खुलासा- एक्टिविस्ट देना चाहते थे राजीव गांधी हत्याकांड जैसी घटना को अंजाम

महाराष्ट्र पुलिस का खुलासा- एक्टिविस्ट देना चाहते थे राजीव गांधी हत्याकांड जैसी घटना को अंजाम
हाईलाइट
  • ADG ने कहा कि एक्टिविस्ट राजीव गांधी जैसी घटना को अंजाम देना चाहते थे।
  • इस बीच शुक्रवार को महारष्ट्र पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इन गिरफ्तारियों को सही बताया।
  • भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार किए गए वामपंथी विचारकों को लेकर देशभर में बहस छिड़ी हुई है।

डिजिटल डेस्क, मुंबई। भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार किए गए वामपंथी विचारकों को लेकर देशभर में बहस छिड़ी हुई है। इस बीच शुक्रवार को महारष्ट्र पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इन गिरफ्तारियों को सही बताया। महाराष्‍ट्र के एडीजी (कानून और व्‍यवस्‍था) परमवीर सिंह ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई सबूतों के आधार पर की गई है।   एडीजी ने कहा कि पुलिस के पास ऐसे हजारों दस्तावेज हैं जिससे यह साबित होता है कि सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, वरवर राव, वरनान गोंसाल्विस और अरूण परेरा प्रतिबंधित कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया ( माओवादी) के सक्रिय सदस्य हैं। इन लोगों की साजिश कानून-व्यवस्था को बिगाड़कर सरकार गिराने की थी। ADG ने कहा कि एक्टिविस्ट पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी जैसी घटना को अंजाम देना चाहते थे। एक आतंकवादी संगठन भी इस साजिश में इन लोगों के साथ शामिल था।

 

 


पत्र में हथियार खरीददारी का जिक्र
एडीजी ने प्रेस कांफ्रेंस में कुछ पत्र भी दिखाए जिसमें हथियारों की खरीददारी के बारे में बात की गई है। ADG ने कहा, एक्टिविस्ट एम-4 ग्रेनेड लांचर के चार लाख राउंड खरीदना चाहते थे। इनके पास पहले से ही रूस निर्मित जीएम-94 ग्रेनेड लांचर है। यह पत्र रोना विल्‍सन ने कॉमरेड प्रकाश को लिखा था। एडीजी ने कहा कि इन पत्रों से जाहिर होता है कि ये एक्टिविस्ट माओवादियों के साथ संपर्क में थे और कानूनी रूप से चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे थे। एक अन्‍य पत्र में राजीव गांधी जैसी घटना का भी जिक्र किया गया है। इन पत्रों में कश्‍मीरी अलगाववादियों के साथ मिलकर हमले करने की भी बात कही गई है। सिंह ने कहा कि रेड के दौरान बहुत सा साहित्य सीज किया गया है।

हार्डडिस्क से हुआ खुलासा
सिंह ने बताया कि इसी साल 17 अप्रैल को हुई कार्रवाई में सुधीर धवले, सोमा सेन, सुरेन्द्र गाडलिंग, रोना विल्सन आदि की गिरफ्तारी और जब्त किए गए हार्डडिस्क से घातक हथियार खरीदे जाने का पता चला था। 17 मार्च 2017 को रोना विल्सन ने वरावर राव को हथियार खरीद के संबंध में पत्र भेजा था। सभी पत्राचार हार्डडिस्क से खोज निकाला गया है। यह पुलिस की बड़ी कामयाबी है। एडीजी सिंह ने कहा कि 6 जून को पांच लोगों गिरफ्तारी के दौरान जब्त की गई सामग्री का पंचनामा कराकर फोरेंसिक लेबोरेटरी में भेजा गया था। इसकी मूल प्रति फोरेंसिक लैब में है। वहां से हमें क्लोन कॉपी प्राप्त हुई है। क्लोन कॉपी के आधार पर 23 अगस्त को सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, वरावर राव, अरूण परेरा और वरनान गोंसाल्विस के नाम एफाईआर मे जोड़े गए। उसके बाद 29 अगस्त को एक साथ 9 स्थानों पर छापेमारी की गई है। सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 5 सितंबर तक का समय दिया है। हमें विश्वास है कि इन सबूतों के आधार पर कोर्ट से इन आरोपियों की हिरासत मिल सकेगी। सुप्रीम कोर्ट में इस संबंध में हलफनामा भी दिया जाएगा कि पुलिस 90 से 180 दिन में अपनी जांच पूरी कर लेगी।

सुधा भारद्वाज का अलगाववादियों से संबंध
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से घर में नजरबंद की गई फरीदाबाद की सुधा भारद्वाज द्वारा कामरेड प्रकाश को लिखा गया पत्र पुलिस के हाथ लगा है। जिसमे कहा गया है कि कश्मीर में हमारे दुश्मनों (सेना) के खिलाफ हमारा अभियान सही चल रहा है और छत्तीसगढ़ के जगदलपुर और बस्तर में भी काम अच्छे से चल रहा है। संगठन के वकील से भी बराबर संपर्क में हैं। 21 साल की मेरी बेटी की बीमारी में काफी पैसे खर्च हो गए। प्रशांत कि गिरफ्तारी के बाद पैसे मिलने बंद हो गए हैं। पैसे जल्दी भेजवाया जाए। नोटबंदी के दौरान नक्सलियों को पैसे के लाले पड़ गए थे। इसको लेकर वरवरा राव ने सेंट्रल कमेटी को पत्र लिखकर शिकायत की थी। इसके बाद 17 मार्च 2017 को सुरेन्द्र गाडलिंग ने वरवरा राव को पत्र लिखा था कि नोटबंदी के चलते छत्तीगढ़ और गढ़चिरोली में पैसे नहीं भेज पाए। हमने पैसे रखे है और अब भेजना शुरु किया है।

भीमा-कोरेगांव हिंसा के लिए दिए गए थे 15 लाख रूपए
महाराष्ट्र पुलिस मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में एडीजी सिंह ने बताया कि भीमा-कोरेगांव में यलगार परिषद के आयोजन के लिए कबीर कला मंच को दो बार में 15 लाख रूपए दिए गए थे। 16 मार्च 2018 को कामरेड प्रकाश को भेजे गए पत्र से इसका खुलासा हुआ है। उन्होंने बताया कि पांच लाख रूपए की रकम पहले दी गई थी उसके बाद 10 लाख रूपए दिए गए थे। सिंह ने कहा कि यह रकम सुधीर धवले, सोमा सेन और सुरेन्द्र गाडलिंग को कैश में भेजे गए थे। वामपंथी विचारधारा के लोगों ने देश में अराजकता फैलाने के लिए फ्रांस की राजधानी पेरिस में भी बैठक की थी। इसके अलावा इनके रूस, चीन, म्यानमार और नेपाल में भी बैठक करने के सूबत मिले हैं।संगठनों को पैसे भेजे जाते थे।

कश्मीर-मणिपुर के आंतकियो से हैं माओवादियों के संबंध
देश में अराजकता फैला कर मोदी सरकार गिराने की साजिश में जुटे माओवादियों के देश में सक्रिय आतंकी संगठनों से भी संबंध थे। महाराष्ट्र पुलिस ने कहा कि इसको लेकर हमारे पास पुख्ता सबूत हैं। महाराष्ट्र के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक परमबीर सिंह ने बताया कि माओवादियों की गिरफ्तारी के वक्त हमें जो कागजात मिले हैं उससे पता चलता है कि इनके कश्मीर व मणिपुर में सक्रिय अलगाववादी आतंकी संगठनों से भी संबंध थे। इनके पास से बरामद पत्रों में कश्मीर की तरह देश के अन्य हिस्सों में पत्थरबाजी की योजना का उल्लेख है। पुलिस द्व्रारा गिरफ्तार सुधा भारद्वाज द्व्रारा लिखे एक पत्र में कहा गया है कि कामरेड अंकित और गौतम नवलखा कश्मीर के अलगाववादियों के सम्पर्क में हैं। गिरफ्तार आरोपी लोगों के ब्रेनवाश करते थे। दिल्ली के जेएनयू के छात्रों को जंगलों में ट्रेनिंग दिए गए थे। इनका इस्तेमाल भूमिगत कार्यों के लिए  किया जाता था। नक्सलियों को आर्थिक मदद को लेकर लिखे कई पत्र पुलिस के हाथ लगे हैं। इससे पता चलता है कि कैसे और किस प्रकार नक्सली संगठनों को पैसे भेजे जाते थे।

नए नहीं हैं शहरी माओवादी
सिंह ने कहा कि शहरी माओवादी शब्द नया नहीं है। उन्होंने कहा कि 20 साल पहले महाराष्ट्र के नक्सलग्रस्त चंद्रपुर-भंडारा में तैनाती के दौरान भी मैंने शहरी माओवादियों के खिलाफ कदम उठाए थे। ये लोग लोगों को भड़काने का काम करते थे। 1991 में चंद्रपुर में हुए मुठभेड़ में ऐसे लोग मारे गए थे।

नक्सलियों के पत्रों से साजिश का खुलासा नागपुर की बैठक में भी मांगे थे पैसे
प्रेस कांफ्रेस के दौरान सिंह ने कामरेड प्रकाश को सुधा भारद्वाज द्वारा हिंदी में  लिखे पत्र को दिखाते हुए पत्र में लिखी बाते पढ़ कर सुनाई। जिसमें लिखा है कि ‘कामरेड प्रशांत की गिरफ्तारी के बाद मुझे पैसे मिलने बंद हो गए हैं। नागपुर की मिटिंग में कामरेड सुरेंद्र ने भी पैसे देने से इंकार कर दिया। हथियारों की खरीदारी को लेकर भी पत्र लिखे गए। रोना विल्सन ने कामरेड प्रकाश को अंग्रेजी में लिखे पत्र में कहा था कि ‘8 करोड़ रुपए ग्रेनड लांचर के लिए चाहिए। जिससे मोदी राज खत्म करने के लिए राजीव गांधी हत्याकांड जैसी वारदात को अंजाम दिया जा सके।’। विल्सन के लैपटॉप से विदेशी हथियारों के कैटलॉग मिले हैं। जिससे पता चलता है कि वे रुसी ग्रेनेड लांचर, चीनी ग्रेनेड, मशीनगन खरीदने की योजना बना रहे थे। इन हथियारों की सप्लाई नेपाल से होने वाली था। सिंह ने बताया कि पुलिस के पास नक्सलियों के ऐसे हजारों पत्र हैं। उन्होंने कहा कि गिरफ्तार माओवादियों की हिरासत के बाद और जानकारियां मिल सकेंगी। भूमिगत होकर कार्य कर रहे मिलिंद तुंबले को रोना विल्सन द्व्रारा लिखे पत्र में कहा गया है कि भीमा-कोरगांव प्रदर्शन काफी सफल रहा। दलित भावना आरएसएस वादी ब्राम्हणों के खिलाफ हो चुकी है। 

Created On :   31 Aug 2018 5:25 PM IST

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