अयोध्या मामले पर 4 जनवरी को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
- इससे पहले 29 अक्टूबर को पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इसकी तारीख आगे बढ़ा दी थी।
- सुप्रीम कोर्ट ने 4 जनवरी
- 2019 को सुनवाई की तारीख तय की है।
- सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्भूमि विवाद को लेकर सुनवाई की तारीख का ऐलान कर दिया है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्भूमि विवाद को लेकर हो रहे देरी के लिए दाखिल किए गए PIL पर सुनवाई की तारीख का ऐलान कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने 4 जनवरी, 2019 को सुनवाई की तारीख तय की है। इस PIL में सुप्रीम कोर्ट से अपील की गई है कि राम जन्भूमि विवाद पर जल्द से जल्द सुनवाई की जाए।
Supreme Court to hear a PIL on January 4 questioning delay in adjudication of Ayodhya matter and requesting it to hear the matter on urgent basis and in a time bound manner. pic.twitter.com/5BN7ugNnud
— ANI (@ANI) December 24, 2018
इससे पहले 29 अक्टूबर को राम जन्भूमि विवाद को लेकर हुई पिछली सुनवाई में कोर्ट ने तारीख आगे बढ़ा दिया था। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस के एम जोसेफ की बेंच इस मामले को जनवरी 2019 तक के लिए टाल दिया था। इसके बाद राममंदिर निर्माण को लेकर जल्द सुनवाई के लिए हिन्दू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। 12 नवंबर, 2018 को इस अपील पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई से इंकार कर दिया था और जनवरी के पहले सप्ताह में सुनवाई की तारीख तय की थी।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टलने के बाद से हिंदूवादी संगठनों और बीजेपी के कुछ नेताओं ने राम मंदिर के लिए अध्यादेश लाने की मांग की थी। उनका कहना था कि राम मंदिर में बहुत देरी हो चुकी। आरएसएस, वीएचपी और शिवसेना ने प्रदर्शन करने की बात कही थी। राम मंदिर को लेकर अयोध्या, दिल्ली में संतों की कई बैठकें हो चुकी हैं। वहीं इसको लेकर विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने धर्म सभा भी आयोजित किया था। धर्मसभा को संबोधित करते हुए आरएसएस के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने कहा कि सरकार को शीतकालीन सत्र में राम मंदिर के लिए कानून बनाना चाहिए।
क्या है पूरा विवाद
अयोध्या मामला इस देश का सबसे बड़ा विवाद है। जिस पर राजनीति भी होती रही है और सांप्रदायिक हिंसा भी भड़की है। हिंदू पक्ष ये दावा करता है कि अयोध्या का विवादित ढांचा भगवान राम की जन्मभूमि है और इस जगह पर पहले राम मंदिर हुआ करता था। जिसे बाबर के सेनापति मीर बांकी ने 1530 में तोड़कर यहां पर मस्जिद बना दी थी। तभी से हिंदू-मुस्लिम के बीच इस जगह को लेकर विवाद चलता रहा है। माना जाता है कि मुग़ल सम्राट बाबर के शासन में हिंदू भगवान राम के जन्म स्थान पर मस्जिद का निर्माण किया। मस्जिद बाबर ने बनवाई इसलिए इसे बाबरी मस्जिद कहा गया।
अयोध्या विवाद ने 1989 के बाद से तूल पकड़ा और 6 दिसंबर 1992 को हिंदू संगठनों ने अयोध्या में राम मंदिर की जगह बनी विवादित बाबरी मस्जिद का ढांचा गिरा दिया। जिसके बाद ये मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट में गया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सितंबर 2010 में इस विवाद पर फैसला सुनाया था। फैसले में कहा गया था कि विवादित जमीन को 3 बराबर हिस्सों में बांटा जाएगा, एक हिस्सा राम मंदिर के लिए, एक हिस्सा निर्मोही अखाड़े को और एक हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया गया था। तीनों ही पक्षों ने इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। देश की सबसे बड़ी अदालत ने इसी साल मार्च में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुझाव दिया था कि इस पूरे विवाद को कोर्ट के बाहर बातचीत के जरिए भी सुलझाया जा सकता है। अगर जरूरत पड़ी तो वो इसमें मध्यस्थता करेंगे लेकिन कोई बात नहीं बनी।
Created On :   24 Dec 2018 8:04 PM IST