यहां सेना में भर्ती होने पहुंचे जम्मू-कश्मीर के युवा, कभी माना जाता था हिजबुल का गढ़
- 111 पदों पर चल रही आर्मी भर्ती में भाग लेने पहुंचे सैकड़ों युवा।
- कभी कहा जाता था आतंकी संगठन हिजबुल का गढ़।
- पहला आतंक मुक्त जिला है बारामुला।
डिजिटल डेस्क, बारामूला। आतंकवाद की आग में झुलस रहे जम्मू-कश्मीर में आज सैकड़ों युवाओं को देशसेवा के लिए एकजुट होते देखा गया। यह सारे युवा बारामूला में चल रही आर्मी भर्ती में शामिल होने पहुंचे थे। गौरतलब है कि यह बारामूला जिले को पहले हिजबुल का गढ़ कहा जाता था। सेना में शामिल होने के लिए पहुंचे एक युवा बिलाल अहमद ने कहा कि हम आर्मी में अपने परिवार की रक्षा के लिए और देशसेवा के लिए शामिल होना चाहते हैं, इससे ज्यादा किसी को और क्या चाहिए।
पहला आतंक मुक्त जिला है बारामूला
बीती जनवरी में हुई मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने इलाके के तीन आतंकियों को मार गिराया था। मुठभेड़ के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजीपी दिलबाग सिंह ने दावा किया था कि यहां अब कोई आतंकी नहीं बचा है। आतंकी संगठन हिजबुल के गढ़ के नाम से कुख्यात इलाके को इसके बाद राज्य का पहला आतंक मुक्त जिला घोषित कर दिया गया था। बता दें कि साल 2016 में सेना पर बारामूला के उरी में हमला हुआ था, जिसमें 18 जवानों की मौत हो गई थी।
सेना ने लिया पुलवामा हमले का पहला बदला
सेना ने जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले का पहला बदला ले लिया है। पिंगलेना गांव में मुठभेड़ के बाद सेना ने तीन आतंकियों को ढेर कर दिया। मारे गए आतंकी में पुलवामा का मास्टर माइंड माना जा रहा जैश-ए-मोहम्मद का टॉप कमांडर अब्दुल राशिद गाजी उर्फ (कामरान) शामिल है। इस मुठभेड़ में 55 राष्ट्रीय राइफल्स के मेजर समेत सेना के पांच जवान भी शहीद हो गए थे। जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीआईजी अमित कुमार, सेना के ब्रिगेडियर और लेफ्टिनेंट कर्नल समेत कई सैन्यकर्मी घायल हुए। मुठभेड़ खत्म होने के बाद अब सेना सर्च ऑपरेशन चला रही है। गौरतलब है कि 14 फरवरी को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों ने फिदायीन हमला कर सीआरपीएफ के 40 जवानों की हत्या कर दी थी।
Created On :   19 Feb 2019 6:45 PM IST