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बिहार : कोरोना संक्रमणकाल में हुए बेरोजगार लोगों की शिकायतों के लिए एप की मांग

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- बिहार : कोरोना संक्रमणकाल में हुए बेरोजगार लोगों की शिकायतों के लिए एप की मांग
पटना, 1 जून (आईएएनएस)। बिहार युवक कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ललन कुमार ने कहा है कि लॉकडाउन का बहाना बनाकर कई निजी संस्थाओं, कंपनियों, एजेंसियों व अन्य ने अपने कर्मचारियों को हटा दिया, और यहां तक कि मार्च महीने का भी वेतन नहीं दिया, जबकि कर्मचारियों ने 20 दिनों तक कार्य किया था। उन्होंने कहा कि अब ये लोग इसकी शिकायत कहां करें, कोई नहीं बता रहा है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में अपील की थी कि कोई भी किसी को नौकरी से नहीं हटाए और वेतन न रोके, परंतु पिछले दो महीने में कई निजी संस्थाओं, कंपनियों, एजेंसियों व अन्य ने अपने कर्मचारियों को हटा दिया। आज सैकड़ों नहीं लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं, उनके समक्ष अब जीवन गुजारने का संकट खड़ा हो गया है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कोई ऐसा नंबर या एप जारी नहीं किया है, जिसपर हटाए गए या जिन्हें वेतन नहीं मिला है, वे शिकायत कर सकें।
ललन ने कहा कि बिहार में भी ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। राज्य सरकार भी ऐसे लोगों की कोई सुधि नहीं ले रही है। कई निजी संस्थानों की लॉकडाउन में आर्थिक स्थिति खराब हो गई है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता, लेकिन आखिर ये बेरोजगार हुए लोग कहां जाएं?
उन्होंने केंद्र सरकार और राज्य सरकार से इस दिशा में कारगर कदम उठाए जाने की मांग करते हुए कहा कि सरकार को ऐसे लोगों की शिकायत के लिए एप या कोई नंबर जारी करना चाहिए।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।