राजनीति का नया अखाड़ा बने उपचुनाव, विपक्ष ने भाजपा को घेरने में झोंकी पूरी ताकत

By-Election turned new arena for opposition, election campaign in full swing
राजनीति का नया अखाड़ा बने उपचुनाव, विपक्ष ने भाजपा को घेरने में झोंकी पूरी ताकत
राजनीति का नया अखाड़ा बने उपचुनाव, विपक्ष ने भाजपा को घेरने में झोंकी पूरी ताकत

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के सत्तारूढ़ होने के साथ ही अब नजरें 28 मई को होने वाले लोकसभा और विधानसभा उपचुनावों पर टिक गई हैं। सोमवार को यूपी के कैराना, महाराष्ट्र के गोंदिया-भंडारा, पालघर और नागालैंड लोकसभा सीट के लिए वोटिंग होगी। इसके अलावा 9 राज्यों की 10 विधानसभा सीटों पर भी मतदान होना है। राजस्थान की दो और यूपी की दो लोकसभा सीटें बीजेपी से छीनने के बाद अब विपक्ष इस उपचुनाव में भी बीजेपी की घेराबंदी करना चाहता है। यही वजह है कि बीजेपी के खिलाफ विपक्ष आक्रामक प्रचार में जुट गया है। 



कैराना-नूरपुर के कांटे की टक्कर

 


उत्तर प्रदेश की कैराना संसदीय सीट में 16 लाख 9 हजार 580 मतदाता हैं। यहां दलित, मुस्लिम, गुर्जर व जाट के साथ ही ओबीसी के करीब पांच लाख वोट हैं। इनमें सैनी व कश्यप वोटरों की संख्या एक-एक लाख से अधिक है। वहीं, प्रजापति, लुहार, दर्जी, पाल, विश्वकर्मा आदि जातियों की भी अच्छी खासी संख्या है। माना जाता है कि यह वोट बैंक भाजपा की ओर रहता है। इस बार भाजपा प्रत्याशी मृगांका सिंह के सामने गठबंधन प्रत्याशी तबस्सुम हसन टक्कर में हैं। मुस्लिम दलितों के साथ ही ओबीसी वोट बैंक की चुप्पी भी चौंकाने वाले परिणाम दे सकती है। चुनाव में दंगा, पलायन व हिंदुत्व के बूते मैदान में डटी भाजपा का लक्ष्य ओबीसी वोटों का मतदान प्रतिशत बढ़ाना है। हाल ही में तबस्सुम को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरे उनके देवर कुंवर हसन ने अपना समर्थन दे दिया है। इसका लाभ तबस्सुम को मिलना तय है। इससे मुस्लिम मतों का विभाजन रुकेगा, जिसका सीधा लाभ गठबंधन प्रत्याशी तबस्सुम को मिलेगा। कुंवर हसन के समर्थन के बाद तबस्सुम, भाजपा प्रत्याशी मृगांका सिंह के मुकाबले में आ गई हैं। वहीं नूरपुर विधानसभा सीट से एसपी ने नईमुल हसन को मैदान में उतारा है, जबकि बीजेपी ने अवनी सिंह पर भरोसा जताया है। 



पालघर में बीजेपी और शिवसेना आमने-सामने 

 


मुंबई के पालघर लोकसभा उपचुनाव में भाजपा और शिवसेना आमने सामने हैं। पालघर की 6 विधानसभाओं में से 3 पर बहुजन विकास पार्टी का कब्जा है। ऐसा कहा जाता है कि इलाके में उत्तर भारतीयों को बसाने में इनकी अहम भूमिका है और स्थानीय निकाय पर भी इसी पार्टी का कब्जा है। चुनाव प्रचार के दौरान उत्तर भारतीयों का मुद्दा जिस प्रकार उछला उससे तय है कि यही मतदाता चुनाव परिणामों की दिशा तय करेंगे। कांग्रेस और एनसीपी के बीच हुए चुनावी समझौते के अनुसार, कांग्रेस ने पालघर सीट पर और एनसीपी भंडारा-गोंदिया सीट पर अपने प्रत्याशी को खड़ा किया है। चिंतामन वनगा का इस साल जनवरी में निधन होने की वजह से पालघर लोकसभा सीट पर उपचुनाव कराया जा रहा है। वहीं वनगा के बेटे श्रीनिवास वनगा ने बीजेपी पर अपने पिता के अपमान का आरोप लगाते हुए शिवसेना का दामन थाम लिया है। वो शिवसेना से उम्मीदवार भी हैं।

भंडारा सीट पर कांग्रेस-एनसीपी एकसाथ 

 


महाराष्ट्र के भंडारा गोंदिया सीट से भाजपा के हेमंत पटले उम्मीदवार हैं। पालघर से शिवसेना ने श्रीनिवास वंगा को अपना उम्मीदवार बनाया है। पालघर सुरक्षित सीट है। वहीं भंडारा गोंदिया सीट नाना पटोले के इस्तीफे के बाद खाली पड़ी थी। गोंदिया पूर्व केंद्रीय मंत्री और एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल का गढ़ है। हालांकि बीजेपी उम्मीदवार के लिए सीएम देवेंद्र फडणवीस ने पूरी ताकत झोंक दी है।

 

 

 

कहां-कहां हो रहे हैं चुनाव ?

 

3 राज्यों की 4 लोकसभा सीटों पर चुनाव :

  • उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट
  • महाराष्ट्र की भंडारा-गोंदिया और पालघर लोकसभा सीट
  • नागालैंड की नागालैंड लोकसभा सीट


9 राज्यों की 10 विधानसभा सीटों पर होंगे चुनाव :

  • बिजनौर, यूपी की नूरपुर विधानसभा सीट
  • बिहार की जोकीहाट विधानसभा सीट
  • झारखंड की गोमिया और सिल्ली विधानसभा सीट
  • केरल की चेंगनूर विधानसभा सीट
  • महाराष्ट्र की पालुस कादेगांव विधानसभा सीट
  • मेघालय की अंपाती विधानसभा सीट
  • पंजाब की शाहकोट विधानसभा सीट
  • उत्तराखंड की थराली विधानसभा सीट
  • पश्चिम बंगाल की महेशताला विधानसभा सीट

 


जोकीहाट में मुस्लिम बनाम मुस्लिम लड़ाई 


जोकीहाट विधानसभा उपचुनाव के लिए 28 मई को मतदान और 31 मई को काउटिंग है। जेडीयू से सरफराज आलम जोकीहाट से विधायक थे। आरजेडी के टिकट पर अररिया लोकसभा सीट जीतने के बाद ये सीट खाली हो गई है। जोकीहाट विधानसभा में कुल 2,70,415 मतदाता हैं। इनमें से 1,44,176 पुरुष और 1,26,225 महिला मतदाता हैं। जोकीहाट सीट पर एनडीए की ओर से जदयू प्रत्याशी मो. मुर्शीद आलम हैं। मुर्शीद पहले भी दो बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। 2005 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर और 2010 में एनसीपी के टिकट पर सिकटी विधानसभा से चुनाव लड़ चुके हैं। आरजेडी की ओर से सांसद सरफराज आलम के भाई शहनवाज चुनावी मैदान में हैं। इन दोनों के अलावा निर्दलीय उम्मदीवार शब्बीर अहमद और प्रसेनजीत कृष्णा ने नामांकन दाखिल किया है। 

थराली में कांग्रेस-भाजपा में टक्कर 


28 मई को उत्तराखंड के थराली विधानसभा में उपचुनाव भी होना है। इसके लिए बीजेपी और कांग्रेस ने एड़ी चोटी का जोर लगाया हुआ है। थराली विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा था लेकिन मगन लाल शाह की मृत्यु के बाद अब ये सीट खाली है। बीजेपी ने इस सीट से दिवंगत विधायक की धर्मपत्नी को टिकट दिया है। वहीं कांग्रेस ने प्रोफेसर जीत राम आर्य को अपना प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस उत्तराखंड में पहले लोकसभा चुनाव और फिर विधानसभा चुनाव में करारी हार झेल चुकी है। उपचुनाव के जरिए कांग्रेस खुद को मनोवैज्ञानिक तरीके से मजबूत करने में भी लग गई है। 

दारुल उलूम का फतवा, एकजुट हो कर वोट करें मुसलमान 


दारूल उलूम देवबंद ने मुस्लिमों से अपील की है कि भाजपा को हराना है, इसके लिए सारे मुसलमान भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ वोट दें। कैराना और नूरपुर का जिक्र करते हुए दारूल उलूम देवबंद ने इन उपचुनावों में मुसलमानों से अपील की है कि वे भाजपा उम्मीदवार को हराने के लिए मतदान करें। इस रमजान के पवित्र महीने में रोजा रखने के बावजूद लोग अपने घरों से बाहर निकलें और बड़ी संख्या में मतदान करें। दारुल उलूम ने कहा देश को आगे ले जाने के लिए भाजपा को हराना जरूरी है। जमीयत उलेमा ए हिन्द के कोषाध्यक्ष मौलाना हशीब सिद्दीकी ने कहा कि मोदी सरकार से पूरा हिंदुस्तान और सियासी जमात परेशान है। मुस्लिम मतदाता अपना समर्थन भाजपा को देकर अपना वोट बर्बाद नहीं करें। 

कैराना और नूरपुर उपचुनाव में प्रचार नहीं करेंगे अखिलेश 

 


यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कैराना में चुनाव प्रचार नहीं करने का फैसला किया है। वहीं, ऐसी भी संभावना है कि अखिलेश नूरपुर में भी चुनाव प्रचार नहीं करेंगे। बताया जा रहा है कि महागठबंधन को आशंका है कि कैराना में चुनाव प्रचार और बड़ी रैलियों का दांव उल्टा पड़ सकता है और इससे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का मौका मिल जाएगा। अखिलेश यादव को आरएलडी और एसपी के स्टार प्रचारक की लिस्ट में रखा गया था। सूत्रों का कहना है कि एसपी और आरएलडी का यह मानना है कि बड़ी रैलियों से सांप्रदायिक ध्रुवीकरण हो सकता है, जिससे अंततः बीजेपी को फायदा पहुंच सकता है। भाजपा का आरोप है कि अखिलेश कैराना उपचुनाव में प्रचार करने इसलिए नहीं आ रहे हैं कि वह डरे हुए हैं। लोग अब वहां निडर होकर रह रहे हैं। बता दें कि हाल ही में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपनी पिछली रैली में कहा था कि अखिलेश यादव के हाथ खून से सने हैं। उनके अंदर हिम्मत नहीं है कि वह यहां (कैराना) आकर चुनाव प्रचार करें। 

Created On :   26 May 2018 11:07 AM IST

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