केंद्र की सुप्रीम कोर्ट से अपील : समलैंगिक वकील को दिल्ली हाईकोर्ट का जज बनाने पर पुनर्विचार करें
- कानून और न्याय की अवधारणा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र सरकर ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम से वरिष्ठ वकील सौरभ कृपाल को दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने की अपनी सिफारिश पर पुनर्विचार करने के लिए कहा है।
सौरभ कृपाल भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश बी.एन. कृपाल के बेटे हैं, दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में उनकी पदोन्नति की सिफारिश पिछले चार वर्षो से विवादों से घिरी रही है।
सूत्रों के मुताबिक, केंद्र की मुख्य आपत्ति यह है कि सौरभ कृपाल स्विस नागरिक हैं। कृपाल के लिए सिफारिश उन 10 सिफारिशों में से एक है जो कानून मंत्रालय ने कॉलेजियम को लौटा दी है, जिसके प्रमुख भारत के प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ हैं।
एक सूत्र के अनुसार, केंद्र ने नौ नामों को भी वापस कर दिया है, जिन्हें पहले दोहराया गया था - दो कलकत्ता हाईकोर्ट से, दो केरल हाईकोर्ट से और पांच इलाहाबाद हाईकोर्ट से। पता चला है कि ये फाइलें पिछले हफ्ते कॉलेजियम को भेजी गई थीं। घटनाक्रम से परिचित एक सूत्र ने कहा कि इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सौरभ का साथी सुरक्षा जोखिम बन सकता है।
मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (एमओपी) के अनुसार, अगर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम अपने फैसले को दोहराता है, तो सरकार नामों को अधिसूचित करने के लिए बाध्य है। सोमवार को जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने न्यायिक हस्तक्षेप के खिलाफ चेतावनी देते हुए सरकार से कॉलेजियम द्वारा मंजूर किए गए नामों पर कार्रवाई करने को कहा। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि एक बार सिफारिश दोहराए जाने के बाद नामों को मंजूरी देनी होगी।
शीर्ष अदालत ने केंद्र के वकील से सवाल किया कि क्या राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग की स्थापना पर केंद्र द्वारा पारित कानून मस्टर पास नहीं कर पाने के कारण उसकी सिफारिशों को रोक दिया गया था? सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर को न्यायाधीशों की नियुक्ति में देरी पर अपना कड़ा असंतोष व्यक्त करते हुए कहा, यह कहने की जरूरत नहीं है कि जब तक सक्षम वकीलों द्वारा पीठ की शोभा नहीं बढ़ाई जाती है, तब तक कानून और न्याय की अवधारणा ही प्रभावित होती है।
आईएएनएस
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Created On :   28 Nov 2022 11:30 PM IST