दिल्ली में अकेले 23 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं चरणजीव
नई दिल्ली, 24 जून (आईएएनएस)। देश में कोरोना महामारी का जबरदस्त संकट है। ऐसे में कोरोना पीड़ितों के साथ अलग बर्ताव की खबरें आम हो गई है। संकट के समय परिवार वाले भी कोरोना पीड़ितों का साथ छोड़ रहे हैं। ऐसे समय में विश्व हिन्दू परिषद के एक कार्यकर्ता समाज के सामने एक मिसाल पेश कर रहे हैं। विहिप के यह कार्यकर्ता कोरोना से मृत्यु होने पर लावारिस छोड़े गए शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं।
विहिप कार्यकर्ता चरणजीव मल्होत्रा लावारिस शवों का ही नहीं, ऐसे शवों का भी संस्कार कर रहे हैं, जिनको उनके परिवार वालों ने छोड़ दिया है।
चरणजीव ने आईएएनएस को बताया कि अब तक वो ऐसे ही 23 शवों का पूर्ण वैदिक रीति से दाह संस्कार कर चुके है। यही नहीं, आज वे ऐसे ही पांच लोगों की अस्थियां गंगा में प्रवाहित करने हरिद्वार जा रहे है। उन्होंने कहा कि मेरे सामने ऐसे मंजर गुजरे हैं, जिससे मुझे इस काम को करने की प्रेरणा मिली।
चरणजीव ने बातचीत में बताया कि कोरोना वायरस के डर से कोरोना पीड़ितों के साथ भेदभाव हो रहा है। आसपास के लोग भेदभाव करते हैं। ऐसे में हम लोगों ने उनके घर जाना शुरू किया। उन्हें दवाइयां बांटीं। आयुर्वेदिक काढ़ा बांटना भी शुरू किया। इस दौरान हमने देखा कि कोरोना से स्थिति इतनी खराब होती जा रही है कि लोग कोरोना मृतकों का अंतिम संस्कार करने से कतरा रहे हैं। अंतिम संस्कार के लिए परिवार का कोई सदस्य सामने नहीं आ रहा है, या फिर ऐसा कुछ हो रहा है कि लोग चाहकर भी अंतिम संस्कार नहीं कर पा रहे हैं। वहीं कुछ लोग कोरोना के भय के अंतिम संस्कार में हिस्सा नही ले रहे है। चरणजीव ने कहा कि ऐसे शवों को अंतिम स्थल तक पहुंचाने का जिम्मा हमने उठाया। उन्होंने परिवार से इजाजत लेकर कोरोना मृतकों का अंतिम संस्कार करना शुरू किया। इसके बाद लावारिस शवों का भी अंतिम संस्कार भी शुरू किया।
अंतिम संस्कार के दौरान चरणजीव पूरी तरह सुरक्षा उपकरण से लैस होते हैं। जैसे- पीपीई किट, ग्लव्स, मास्क, सैनिटाइजर आदि चीजों का विशेष ध्यान रखते हैं। वो कहते है समय बहुत मुश्किल है, लेकिन मैं पूरी कोशिश करूंगा कि कोई भी कोरोना मृतक जिसके अंतिम संस्कार के लिए अगर कोई नहीं होगा, मैं उसका अंतिम संस्कार करूंगा। उन्होंने यह भी बताया अगर किसी कोरोना मरीजों को दवाई, राशन की जरूरत है, तो वो वह उपलब्ध कराएंगे।
चरणजीव नियमित रूप से घाटों की सफाई भी करते है। श्मशान भूमि पर लोग कोरोना संक्रमित शव का अंतिम संस्कार कर पीपीई किट, ग्लव्स, मास्क आदि फेंक जाते हैं। उन चीजों को इकट्ठा करके वे उन्हें जलाकर डिस्पोज भी कर रहे हैं। इस दौरान श्मशान घाटों के सैनिटाइजेशन का भी काम वो करते हैं।
Created On :   24 Jun 2020 4:31 PM IST