दहशत: जम्मू-कश्मीर से अंडमान-निकोबार तक भूकंप के झटके, पटना में भी धरती हिलने से घरों से बाहर निकले लोग

Earthquake tremors in Patna, Jammu and Kashmir, Andaman and Nicobar
दहशत: जम्मू-कश्मीर से अंडमान-निकोबार तक भूकंप के झटके, पटना में भी धरती हिलने से घरों से बाहर निकले लोग
दहशत: जम्मू-कश्मीर से अंडमान-निकोबार तक भूकंप के झटके, पटना में भी धरती हिलने से घरों से बाहर निकले लोग
हाईलाइट
  • 12 फरवरी को दिल्ली-एनसीआर सहित पूरे उत्तर भारत में आया था भूकंप
  • भूकंप से घरों में बर्तन गिर गए
  • किश्तवाड़ में भूकंप के झटकों से लोग सहम उठे

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में सोमवार को दो बार भूकंप के झटके महसूस किए गए। शाम करीब 7.23 बजे अंडमान व निकोबार द्वीप में 4.1 की तीव्रता से भूकंप आया। इसके बाद जम्मू-कश्मीर व रात करीब 9:30 बजे बिहार की राजधानी पटना समेत कई जिलों में भी धरती हिलने की खबर आई है। हालांकि कहीं पर भी जानमाल के नुकसान की सूचना नहीं मिली है।

नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के अनुसार अंडमान में आए भूकंप का केंद्र दक्षिण-दक्षिण पूर्वी पोर्टब्लेयर में था। पटना के साथ ही दक्षिण व उत्तर बिहार के कई जिलों सोमवार रात 9.25 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। इनकी तीव्रता 3.5 थी। दहशत के मारे पटना समेत कुछ क्षेत्रों में लोग घरों से बाहर निकल आए। करीब 30 सेकंड तक कंपन हुआ। पटना के बोरिंग रोड, आशियाना नगर, पटेल नगर में लोगों ने भूकंप के झटके महसूस किए। वहीं, भागलपुर, गया समेत कई जिलों में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। यहां भूकंप का केंद्र नालंदा से 20 किमी दूर था।

भूकंप से घरों में बर्तन गिर गए
बोरिंग रोड में रहनेवाली नेहा ने बताया कि वह रसोई में खाना बना रही थी, तभी बर्तन गिरने की आवाज आने लगी। पाटलिपुत्र कॉलोनी में रहने वाली निवेदिता राज ने बताया कि वह भी किचन में खाना बना रही थी, तभी अचानक कंपन महसूस हुआ। शिवपुरी के शैलेंद्र सिंह और सुमन कुमार ने बताया कि वे फर्श पर बैठकर खाना खा रहे थे, तभी रात को 9 बजकर 23 मिनट पर कम्पन महसूस हुआ।

किश्तवाड़ में भूकंप के झटकों से लोग सहम उठे
अंडमान में भूकंप के कुछ ही देर बाद जम्मू-कश्मीर में भी शाम करीब 7:23 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। किश्तवाड़ में भूकंप के झटकों से लोग सहम उठे। जम्मू-कश्मीर में आठ फरवरी को भी सुबह 4.56 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 3.5 थी। राज्य में जनवरी में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। दिसंबर में भी 19 तारीख को घाटी में धरती हिली थी।

12 फरवरी को दिल्ली-एनसीआर सहित पूरे उत्तर भारत में आया था भूकंप
इससे पहले गत शुक्रवार को दिल्ली-एनसीआर, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल और पंजाब समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में शुक्रवार रात को भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे। यूपी और उत्तराखंड के भी कई शहरों में झटके महसूस किए गए थे। भूकंप का केंद्र ताजिकिस्तान में जमीन से 74 किलोमीटर नीचे था। रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 6.3 मापी गई थी। कश्मीर घाटी से लेकर जम्मू संभाग के अधिकांश जिलों में भूकंप महसूस कर लोग घरों से बाहर की ओर भागे। 
 
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने शुरुआत में अफगानिस्तान और अमृतसर में भूकंप का केंद्र बताया, लेकिन जांच के बाद भूकंप का केंद्र ताजिकिस्तान में निकला। रात 10.31 बजे आए भूकंप के झटकों की अवधि 40 सेकंड तक रही। झटके इतने तेज थे कि दिल्ली एनसीआर में लोग घरों से बाहर निकल आए।

भूकंप के जोन 5 में आता है बिहार
भारत को भूकंप के खतरे के आधार पर जोन-2, 3, 4 और 5 में बांटा गया है। जोन-2 सबसे कम खतरे वाला और जोन-5 सबसे ज्यादा खतरे वाला जोन माना जाता है। दक्षिण भारत के ज्यादातर हिस्से सीमित खतरे वाले जोन-2 में आते हैं। मध्य भारत भी कम खतरे वाले जोन-3 में आता है। वहीं, जोन-4 में जम्मू और कश्मीर का कुछ हिस्सा, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, उत्तर बंगाल, दिल्ली, महाराष्ट्र शामिल हैं। जोन-5 में जम्मू-कश्मीर, पश्चिमी और मध्य हिमालय, उत्तर और मध्य बिहार, उत्तर-पूर्व भारत, कच्छ का रण और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह आते हैं।

2015 में नेपाल में जोरदार भूकंप आया था
पटना में सोमवार को आए भूकंप ने लोगों को 25 अप्रैल 2015 की याद दिला दी। तब नेपाल में 5.3 तीव्रता के भूकंप में 8000 से ज्यादा मौतें और 2000 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इसके चलते बिहार में भी कई झटके महसूस किए गए थे। नेपाल से सटे सीतामढ़ी, शिवहर, दरभंगा समेत उत्तरी बिहार में तो लोग कई दिनों तक आशंकित रहे थे।

ऐसे मापते हैं भूकंप की तीव्रता
भूकंप की तीव्रता का अंदाजा उसके केंद्र (एपीसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है। सैकड़ों किलोमीटर तक फैली इस लहर से कंपन होता है। धरती में दरारें तक पड़ जाती हैं। भूकंप का केंद्र कम गहराई पर हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी करीब होती है, जिससे बड़ी तबाही होती है।

Created On :   15 Feb 2021 5:52 PM GMT

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