Farm Bills: राज्यसभा में कृषि से जुड़े दो विधेयक पास , सांसदों ने तोड़ा माइक, उपसभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव

Farm Bills: राज्यसभा में कृषि से जुड़े दो विधेयक पास , सांसदों ने तोड़ा माइक, उपसभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव
हाईलाइट
  • इन विधेयकों को लेकर विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया
  • कृषि संबंधित दो विधयक राज्यसभा से पास
  • कृषि से जुड़े ये बिल लोकसभा से पहले ही पास हो चुके हैं

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मॉनूसन सत्र के सातवें दिन कृषि से संबंधित दो विधेयेक राज्यसभा से पास हो गए। ये दो विधेयक फार्मर्स एंड प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) बिल और फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विस है। कृषि से जुड़े ये बिल लोकसभा से पहले ही पास हो चुके हैं। वहीं अब नाराज विपक्ष के जरिए राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है.

विपक्षी सांसदों ने वोटिंग के दौरान वेल में जाकर नारेबाजी की। सदन में हंगामा कर रहें सांसदो ने आसन के सामने लगे माइक को तोड़ दिया। टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने उपसभापति के सामने रूल बुक फाड़ दी। डेरेक ओ ब्रायन और तृणमूल कांग्रेस के बाकी सांसदों ने आसन के पास जाकर रूल बुक दिखाने की कोशिश की और उसको फाड़ा। हंगामे के चलते 10 मिनट तक सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। बाद में फिर से वोटिंग प्रक्रिया शुरू हुई और हंगामे के बीच ही दोनों बिल सरकार ने पास करा लिया।

कृषि संबंधित कुल तीन विधेयक
नंबर 1. कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल - इसका उद्देश्य एपीएमसी मंडियों के बाहर भी कृषि से जुड़े उत्पाद बेचने और खरीदने की व्यवस्था तैयार करना है। यानी मोदी सरकार ने वो व्यवस्था खत्म कर दी है, जिसमें किसान अपनी उपज APMC मंडियों में लाइसेंसधारी खरीदारों को ही बेच सकते थे।

नंबर 2. मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (संरक्षण एवं सशक्तिकरण बिल) - ये बिल कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को कानूनी वैधता प्रदान करता है, ताकि बड़े बिजनेस वाले और कंपनियां कॉन्ट्रैक्ट पर जमीन लेकर खेती कर सकें।

नंबर 3. आवश्यक वस्तु संशोधन बिल- इस बिल के जरिए खाद्य पदार्थों की जमाखोरी पर लगा प्रतिबंध हटा दिया गया है। यानी व्यापारी कितना भी अनाज, दालें, तिलहन, खाद्य तेल वगैरह जमा कर सकते हैं।

सदन में किसने क्या कहा?
-केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि बिलों को पेश करते हुए एक बार फिर दोहराया कि बिलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा, "मैं सदन के माध्यम से सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि इन बिलों का एमएसपी से कोई लेना-देना नहीं है। एमएसपी पहले की तरह जारी रहेगा। मैंने लोकसभा में भी यही कहा था और खुद पीएम मोदी ने आश्वासन दिया है कि एमएसपी के साथ छेड़छाड़ नहीं की जाएगी।" बता दें कि किसान चिंतित हैं कि यह बिल एमएसपी को खत्म कर देगा।

-केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया की तरफ से बिल का स्वागत किया। कहा, आज का दिन किसानों को न्याय देने का दिन है।

-आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा ये काला कानून है। आप किसानों को धोखा दे रहे हैं। देश की जनता को धोखा दे रहे हैं। आप देश के किसानों की आत्मा बेचने का काम कर रहे हैं।

-शिवसेना सांसद संजय राउत ने पूछा कि क्या सरकार यह स्पष्ट करेगी कि इस बिल को लागू करने के बाद किसानों की आय डबल हो जाएगी? किसान आत्महत्या नहीं करेंगे? उनके बच्चे भूखे नहीं नहीं रहेंगे? इस बिल को लेकर केवल पंजाब-हरियाणा में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। पूरे देश में किसान नहीं प्रदर्शन कर रहे हैं। इसका मतलब ये है कि बिल को लेकर केवल भ्रम है। सरकार को इन चीजों को स्पष्ट करना चाहिए।

-बसपा के सांसद सतीश चंद्र मिश्र ने कहा कि किसान एमएसपी को लेकर संशय में हैं। उन्हें डर है कि कहीं ये एमएसपी खत्म तो नहीं हो जाएगी। सरकार को इन मुद्दों को क्लियर करना चाहिए। इसके अलावा मंडी समिति में पूर्व की तरह बिक्री जारी रहेगी या नहीं?

-अकाली दल के सांसद नरेश गुजराल ने बिल को वापस सिलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग की। कहा कि, इस बिल में कई खामियां हैं। इसे बिल से जुड़े सभी लोगों से चर्चा करने के बाद ही पास किया जाए।

-वाईएसआरसीपी सांसद पीपी रेड्‌डी ने कहा कि कांग्रेस के पास इस बिल के विरोध का कोई कारण नहीं है। कांग्रेस दलालों के साथ खड़ी है।

-आरजेडी के सांसद प्रो. मनोज कुमार झा ने कहा, "" प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि किसान बिल पर कुछ लोग गुमराह कर रहे हैं, जबकि हकीकत ये है कि आपने तो सबकी राहें ही गुम कर दी हैं। बिल में कई चीजें स्पष्ट नहीं हैं। ये किसान विरोधी बिल है।""

-डीएमके सांसद टीकेएस एलंगोवन ने भी कृषि विधेयकों का विरोध किया। उन्होंने कहा, देश के कुल जीडीपी में कम से कम 20% का योगदान करने वाले किसानों को इन विधेयकों के जरिए गुलाम बनाया जाएगा। यह किसानों को मार देगा और उन्हें एक वस्तु बना देगा।

-समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने कहा कि ऐसा लगता है कि सत्ताधारी पार्टी इन बिल पर चर्चा ही नहीं करना चाहती है। ये केवल इन बिल को पास कराने के लिए इसे पेश कर रहे हैं। यही नहीं, इस बिल को रखने से पहले किसानों के किसी संगठन से चर्चा भी नहीं की।

-तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने 2022 तक किसानों की इनकम डबल करने का वादा किया है, लेकिन मौजूदा दर के हिसाब से तो 2028 तक डबल नहीं हो सकता। आपके (प्रधानमंत्री) वादों से आपकी विश्वसनीयता कम होती जा रही है।

-माकपा, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक ने विधेयकों में संशोधन की मांग की। इसे राज्यसभा की सिलेक्ट कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव रखा।

-कांग्रेस ने बिल का विरोध किया। कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि वह और उनकी पार्टी किसानों के डेथ वॉरंट पर साइन नहीं करेंगे।

-भाजपा सांसद भूपेंद्र यादव ने कांग्रेस से पूछा कि जब आपकी सरकार थी तो साल दर साल ग्रामीण क्षेत्रों की आय क्यों कम हुई? आप इस बिल का क्यों विरोध कर रहे हैं?

Created On :   20 Sept 2020 10:35 AM IST

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