बेटे के बड़े होने तक उसके भरण-पोषण के लिए पिता जवाबदेह : सुप्रीम कोर्ट

Father responsible for maintenance of son till he grows up: Supreme Court
बेटे के बड़े होने तक उसके भरण-पोषण के लिए पिता जवाबदेह : सुप्रीम कोर्ट
पति-पत्नी विवाद पर SC ने कहा बेटे के बड़े होने तक उसके भरण-पोषण के लिए पिता जवाबदेह : सुप्रीम कोर्ट
हाईलाइट
  • विवाद में बच्चे को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि पति और पत्नी के बीच विवाद में बच्चे को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह माना जाता है कि बेटे के वयस्क होने तक उसका भरण-पोषण करना पिता की जिम्मेदारी है। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस ए.एस. बोपन्ना ने कहा, पति और पत्नी के बीच जो भी विवाद हो, एक बच्चे को पीड़ित नहीं होना चाहिए। बच्चे के विकास को बनाए रखने के लिए पिता की जिम्मेदारी तब तक बनी रहती है, जब तक कि बच्चा/बेटा वयस्क नहीं हो जाता।

पीठ ने कहा कि बच्चे की मां कमा नहीं रही है और वह जयपुर में अपने पैतृक घर में रह रही है। इसलिए शिक्षा सहित उसके बेटे के भरण-पोषण के लिए एक उचित/पर्याप्त राशि की आवश्यकता होती है, जिसका भुगतान प्रतिवादी-पति को करना होगा। सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए परिवार न्यायालय और उच्च न्यायालय द्वारा पति और पत्नी को दी गई तलाक की डिक्री की पुष्टि की। इसने पिता को हर महीने 50,000 रुपये भरण-पोषण देने का भी निर्देश दिया। पीठ ने इस बात पर विचार किया कि अलग हो चुके जोड़े मई 2011 से साथ नहीं रह रहे हैं।

पीठ ने कहा कि दिसंबर 2019 से पिता ने उस राशि का भुगतान करना बंद कर दिया था, जिसका भुगतान सेना के अधिकारियों द्वारा 15 नवंबर, 2012 को पारित आदेश के तहत किया जा रहा था। पीठ ने कहा, प्रतिवादी-पति को प्रतिवादी की स्थिति के अनुसार, बेटे के भरण-पोषण के लिए दिसंबर 2019 से अपीलकर्ता-पत्नी को प्रति माह 50,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया जाता है। दिसंबर 2019 से नवंबर तक प्रति माह 50,000 रुपये का बकाया 2021 का भुगतान आज से आठ सप्ताह की अवधि के भीतर किया जाए। दंपति का विवाह 16 नवंबर, 2005 को हुआ था और वह व्यक्ति तब एक मेजर के रूप में सेवा कर रहा था। दंपति का बच्चा अब 13 साल का हो गया है।

(आईएएनएस)

Created On :   2 Dec 2021 1:00 AM IST

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