गंगा यात्रा : आस्था को अर्थ से जोड़ने की सफल कोशिश

Ganga Yatra: Successful attempt to connect faith to Artha
गंगा यात्रा : आस्था को अर्थ से जोड़ने की सफल कोशिश
गंगा यात्रा : आस्था को अर्थ से जोड़ने की सफल कोशिश
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लखनऊ, 31 जनवरी (आईएएनएस)। योगी सरकार की पांच दिवसीय गंगा यात्रा बिजनौर से बलिया वाया कानपुर तक। करीब 1358 किलोमीटर की यात्रा के दौरान गंगा की गोद में बसे 27 जिलों, 21 नगर निकायों, 1038 ग्राम पंचायतों के करोड़ों लोगों को जोड़ने की सफल कोशिश है।

अपने तरह की इस इकलौती यात्रा में सरकार उन लोगों तक पहुंची भी। हालांकि फोकस आस्था की गंगा को अर्थ की गंगा बनाने पर रहा, पर इस दौरान केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की और उप्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुआई में जारी प्रमुख योजनाओं और विकास और सुशासन के एजेंडे को लोगों को बताने का जरिया भी बन गई यह यात्रा।

संवेदनशीलता योगी सरकार के एजेंडे में सर्वोपरि रहा है। इस यात्रा के दौरान एक बार फिर सरकार यह बताने में सफल रही कि जरूरत के समय वह लोगों के दरवाजे पर है। वह भी पूरे संसाधनों के साथ। यात्रा के प्रमुख पड़ावों पर लगे स्वास्थ्य शिविर और इनमें आए लोग इसके प्रमाण थे। यात्रा के जरिये सरकार अधिक से अधिक लोगों तक प्रभावी तरीके से अपनी बात पहुंचा सके, इसकी हर संभव कोशिश की गई।

मसलन, बलिया से राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और बिजनौर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यात्रा की शुरुआत की। मुख्यमंत्री तो मिर्जापुर, प्रयागराज और यात्रा के समापन के मौके पर कानपुर में भी इसके साझीदार बने। जाना तो उनको वाराणसी भी था, पर मौसम आड़े आ गया।

नके अलावा केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी, संजीव बालियान, बाबुल सुप्रियो, साध्वी निरंजन ज्योति प्रदेश सरकार के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, डॉ.दिनेश शर्मा और अन्य मंत्री भी इस यात्रा को प्रभावी बनाने में पूरी शिद्दत से लगे रहे।

शुरुआती तीन दिनों में खराब मौसम के बावजूद जिस तरह से लोग गंगारथ और रथ के साथ चल रहे यात्रियों की स्वागत में उमड़े, वह इस बात का सबूत है कि सरकार अपनी मंशा में सफल रही।

इस यात्रा के पहले सरकार ने गंगा के तटवर्ती शहरों, कस्बों और गांवों के लिए जो योजनाएं (गंगा मैदान, गंगा पार्क, औषधीय पौधों की खेती, गंगा नर्सरी, पौधरोपण, बहुउद्देशीय गंगा तालाब, जैविक खेती) की घोषणा की है। अगर उनपर प्रभावी तरीके से अमल हुआ तो आने वाले समय में वाकई पूरे गंगा बेसिन का कायाकल्प होता दिखेगा।

दरअसल, गंगा के बेसिन का शुमार दुनिया के सबसे उर्वर भूमि में होता है। सर्वाधिक सघन आबादी और प्रचुर जल संपदा वाला और अलग-अलग तरह के कृषि जलवायु क्षेत्र के कारण इस क्षेत्र में असीम संभावनाएं हैं। खासकर कृषि क्षेत्र में। चूंकि मुख्यमंत्री का खेतीबाड़ी के क्षेत्र पर खासा फोकस है। गंगा बेसिन की खूबियों की सार्वजनिक चर्चा वह अक्सर करते भी रहे हैं। यात्रा के दौरान भी किया।

उनकी चर्चा और चिंता के अनुसार बदलाव की शुरुआत हो चुकी है। बिजनौर से बलिया तक लोगों ने इसे स्वीकार भी किया। बिजनौर के ब्रजघाट के रामजी चौधरी और कछलाघाट के धर्मेंद्र का जवाब एक ही था। दोनों ने कहा पहले से बहुत बदलाव हुआ है। घाट पर नियमित आरती होने से रौनक भी बढ़ी है और सफाई भी। इससे गंगा भी पहले से साफ दिख रही है। लोगों का आना बढ़ा है तो रोजगार के अवसर भी।

सरकार का अगर फोकस इसी तरह रहा तो आने वाले समय में हालात और बेहतर होंगे। ऐसा हुआ तो आस्था की गंगा उप्र के लिए अर्थ की गंगा भी बनेगी। आस्था और अर्थ के इस संगम का लाभ गंगा की गोद में बसे करोड़ों लोगों का होगा। उनको सर्वाधिक जिनकी आजीविका का साधन कभी गंगा ही हुआ करती है। सरकार के प्रयासों से जैसे-जैसे गंगा निर्मल और अविरल होगी यह वर्ग खुशहाल होता जाएगा।

Created On :   31 Jan 2020 5:31 PM GMT

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