हाईकोर्ट ने SC/ST अधिनियम के उपयोग की सीमा को किया निर्धारित

High Court fixed the limit of use of SC / ST Act
हाईकोर्ट ने SC/ST अधिनियम के उपयोग की सीमा को किया निर्धारित
कर्नाटक हाईकोर्ट ने SC/ST अधिनियम के उपयोग की सीमा को किया निर्धारित
हाईलाइट
  • आरोपों का गलत निर्धारण नहीं होना चाहिए HC

डिजिटल डेस्क, बेंगलुरू। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने माना है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम केवल इसलिए लागू नहीं किया जा सकता क्योंकि पीड़िता उसी समुदाय से आती है। न्यायमूर्ति श्रीनिवास हरिकुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने लोकनाथ के खिलाफ अत्याचार अधिनियम के तहत दायर एक विशेष अदालत द्वारा प्राथमिकी और जांच को खारिज करते हुए मंगलवार को कहा कि अधिनियम का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए और जांच अधिकारी को ऐसे मामलों में जिम्मेदारी से कार्य करना चाहिए।

पीठ ने कहा अगर जाति के मामलों से जुड़ी कोई घटना होती है तो इन धाराओं को लागू किया जा सकता है। पीठ ने कहा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम अस्पृश्यता को जड़ से खत्म करने, भेदभाव को रोकने, अत्याचारों को रोकने और एससी, एसटी समुदाय के खिलाफ घृणा अपराधों को रोकने के लिए अधिनियमित किया गया है। यह कानून तभी लागू किया जाना चाहिए जब जाति के आधार पर हमला हो और आरोप पत्र दाखिल किया जाए।

लोकनाथ मामले का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि संगमा प्रिया की एक शिकायत के आधार पर पुलिस ने लोकनाथ के खिलाफ अधिनियम की धारा 3 (1), (जी) और आईपीसी की धारा 172, 173 के तहत मामला दर्ज किया है। अत्याचार अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज करने से पहले आरोपों को पूरी तरह से सत्यापित किया जाना चाहिए और आरोपों का गलत निर्धारण नहीं होना चाहिए। अत्याचार अधिनियम का दुरुपयोग भी नहीं होना चाहिए। पीठ ने कहा कि जांच अधिकारी को जिम्मेदारी से व्यवहार करना चाहिए।

 

(आईएएनएस)

Created On :   3 Nov 2021 10:31 AM GMT

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