हिन्दुत्व समाज को जोड़ने का काम करता है : सुनील आंबेकर

Hindutva works to connect society: Sunil Ambekar
हिन्दुत्व समाज को जोड़ने का काम करता है : सुनील आंबेकर
हिन्दुत्व समाज को जोड़ने का काम करता है : सुनील आंबेकर

लखनऊ, 2 जून (आईएएनएस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि हिन्दुव समाज को जोड़ने का काम करता है। यही इसका शाश्वत स्वरुप है। हिन्दुत्व में एकात्मकता का भाव है। इस भावना में सभी के कल्याण की चिंता निहित है।

आंबेकर आज विश्व संवाद केंद्र लखनऊ द्वारा हिन्दुत्व, एक शाश्वत परिकल्पना विषय पर आयोजित ऑनलाइन संवाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हिन्दुव समाज को जोड़ने का काम करता है। यही इसका शाश्वत स्वरुप है। उन्होंने कहा कि इसमें जातीयता के आधार पर विभाजन नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत में विभिन्नता है, जिसपर लोग विभिन्नता में एकता की बात करते हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि हम एक ही हैं लेकिन विविध रुप में प्रकट होते हैं।

उन्होंने कहा कि समानता और एकात्मकता को समझने का तत्व ही हिन्दुत्व है। यह एक लोक कल्याण का मार्ग है। उन्होंने कहा कि हिन्दुत्व के एकात्म भाव की दुनिया को बहुत जरूरत है।

सुनील आंबेडकर ने कहा कि दुनिया में पांथिक आधार पर आतंक फैलाया जा रहा है। करीब एक हजार साल से समूचा विश्व इस विध्वंस का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा कि विध्वंस को फैलाने के लिए तकनीक का भी प्रयोग किया जा रहा है।

संघ के सह प्रचार प्रमुख ने कहा कि विध्वंसकारी शक्तियों से परेशान होकर आज पूरी दुनिया को एक ऐसे राष्ट्र की जरुरत है जो हिन्दुत्व के भाव पर हो और उसकी शक्ति लोक कल्याण के लिए हो। उन्होंने कहा कि हिन्दुत्व भाव के साथ वाली शक्ति विध्वंस के लिए नहीं बल्कि समृद्घि और कल्याण के लिए होती है।

सह प्रचार प्रमुख ने आद्य शंकराचार्य से लेकर स्वामी विवेकानंद तक और उसके बाद के तमाम ऋषियों और संतों का उदाहरण देते हुए कहा कि इन महापुरुषों ने भी हिन्दुत्व के इस तत्व को अपने-अपने भाव में व्यक्त किया।

उन्होंने विज्ञान की शक्ति और उसकी आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने बताया कि विज्ञान की शक्ति बहुत हद तक उसकी संगति से निर्धारित होती है। विज्ञान जब अध्यात्म की संगति करता है तो उसका स्वरुप असीमित, समग्र और समन्वयक हो जाता है। लेकिन दूसरी तरफ विज्ञान की संगति यदि राजनीति से हो जाती है तो यह सीमित हो जाता है। इसमें अपनों की संख्या कम और परायों की संख्या अधिक हो जाती है।

Created On :   3 Jun 2020 12:00 AM IST

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