YEAR ENDER 2018: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 2018 में लगे ये झटके...
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए अच्छा नहीं रहा साल 2018
- मोदी सरकार पर उठाए गए कई सवाल
- विपक्ष ने कई मुद्दों पर मोदी सरकार को घेरा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए साल 2018 ज्यादा अच्छा साबित नहीं हुआ। 2014 में भारत के प्रधानमंत्री बने मोदी के लिए अपने कार्यकाल का अंतिम साल यानि के 2018 झटके देने वाला रहा। इस साल पीएम मोदी की सबसे बड़ी खासियत या काबिलियत पर कई सवाल खड़े हुए। पहला राफेल सौदे में विवाद से उनकी भ्रष्टाचार विरोधी इमेज पर सवाल उठे। दूसरा CBI और RBI में जो हुआ उससे उनकी प्रशासनिक काबिलियत पर प्रश्नचिन्ह लग गया। राफेल विवाद, सीबीआई के अंतर्कलह, RBI गवर्नर का इस्तीफा सहित पीएम मोदी ने इस साल बहुत कुछ अपने हाथों से गंवा दिया। आइए जानते है कैसा रहा देश के मुखिया का ये साल...
2018 खत्म होते-होते ही बीजेपी के एक और साथी ने साथ छोड़ दिया। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने NDA का साथ तो छोड़ा ही तुरंत UPA का हाथ भी थाम लिया।वहीं कुशवाहा दूसरे साथियों से अपील भी कर रहे हैं कि बीजेपी का साथ छोड़ दो।
पीएम नरेंद्र मोदी को सबसे बड़ा झटका उनके कुछ पुराने साथियों से मिला। कई सालों से NDA के साथी रहे TDP यानी तेलगू देशम पार्टी के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने मोदी सरकार को झटका देते हुए एनडीए से अपना नाता तोड़ लिया। TDP भी NDA की पुरानी सहयोगी रही है। चंद्रबाबू काफी समय से आंध्र प्रदेश के लिए मोदी सरकार से विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर रहे थे, जो पुरा नहीं हुआ तो अपने 16 सांसदों को लेकर वो एनडीए से बाहर हो गए।
कर्नाटक के बाद बीजेपी को जोर का झटका दिया हालिया पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव ने। पिछले 15 सालों से मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कब्जा जमा बैठी बीजेपी के हाथ से कांग्रेस ने सत्ता छीन ली, तो वहीं राजस्थान में भी वसुंधरा राजे का राज-पाठ छिन गया। इन तीन बड़े राज्यों में बीजेपी का हार 2019 से पहले उसे बड़ा जख्म दे गया। जो आने वाले वक्त तक नहीं भर पाएगा।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे ज्यादा 104 सीटें लाकर भी सरकार नहीं बना सकी। वहीं कांग्रेस 78 सीटों जीतकर भी सरकार बनाने में कामयाब हुई। कांग्रेस ने जेडीएस को समर्थन देकर सरकार बना ली और कुमार स्वामी सीएम बने। बीजेपी की इस हार को मोदी की हर के रूप में देखा गया।
बीजेपी ने पहली बार PDP के साथ मिलकर कश्मीर में सरकार बनाई थी। दोनों पार्टियों का गठबंधन उत्तर और दक्षिण का मिलन माना गया था। बड़ी मुश्किल से ये सरकार 2 साल तक चली, लेकिन आखिर में वही हुआ जिसका डर था, घिस घिस कर चल रही ये सरकार आखिर गिर ही गई, बीजेपी को समर्थन वापस लेना पड़ा और इस तरह पहली बार जम्मू-कश्मीर में बनी बीजेपी की सरकार अपने 5 साल भी पूरे नहीं कर पाई। जम्मू-कश्मीर में बीजेपी की सरकार गिरने के बाद विपक्षी दलों ने पीएम मोदी को निशाना बनाया था।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और मोदी सरकार के बीच हुआ झगड़ा इस साल सुर्खियों में रहा। गवर्नर उर्जित पटेल को रिजर्व बैंक के कामकाज में सरकार की दखलांदाजी पसंद नहीं आई और मतभेद इतने बढ़े कि उर्जित पटेल ने इस्तीफा दे दिया। दरअसल मोदी सरकार रिजर्व बैंक से ज्यादा डिविडेंड चाहती थी, बैंकों को कर्ज देने में ढील चाहती थी,लेकिन बात बनी नहीं और गवर्नर ने पद छोड़ दिया। जिसके बाद कांग्रेस ने एक बार फिर मोदी सरकार को घेरने का शुरू कर दिया। बता दें कि रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल को मोदी सरकार ने अगस्त 2016 में नियुक्त किया था। उर्जित के कार्यकाल में ही नवंबर 2016 में ही पीएम मोदी ने नोटबंदी का फैसला किया था। अब आर्थिक मामलों के पूर्व सेक्रेटरी शक्तिकांता दास नए रिजर्व बैंक गवर्नर हैं।
राफेल विवाद और आरबीआई गर्वनर के इस्तीफे के बाद सीबीआई विवाद ने मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ा दीं। देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई में मचा घमासान मोदी सरकार की बड़ी किरकिरी करा गया। डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना की लड़ाई खुलेआम हो गई। दोनों ने एक दूसरे पर रिश्वत लेने का आरोप लगा दिया। कांग्रेस पार्टी ने एक अच्छे विपक्ष की भूमिका निभाते हुए इस मुद्दे पर भी मोदी सरकार पर जमकर हमला किया। कांग्रेस ने सरकार पर देश की जांच एजेंसियों में दखल देने के आरोप लगाए। रातों रात राकेश अस्थाना और आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेज दिया गया। मोदी सरकार ने रात 12 बजे नया अंतरिम डायरेक्टर बना दिया।अब मामला कोर्ट में है।
पीएम मोदी के लिए राफेल विवाद ने इस साल कई मुश्किलें खड़ी कर दी। राफेल पर मोदी सरकार को कांग्रेस ने जमकर घेरा। सांसद से सड़कों तक मोदी के खिलाफ प्रदर्शन देखने को मिला। यही वो विवाद है जिसकी वजह से प्रधानमंत्री को विपक्ष ने चोर तक कह डाला। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आरोपों के बीच जैसे ही फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने एक इंटरव्यू में कह दिया कि भारत ने राफेल डील में अनिल अंबानी की कंपनी को ऑफसेट पार्टनर बनाने की शर्त रखी थी। इससे कांग्रेस को मोदी सरकार के खिलाफ एक नया हथियार हाथ लग गया। सुप्रीम कोर्ट में भी सरकार को जो राहत मिली, उसमें विवाद खड़ा हो गया है। फिलहाल ये साल खत्म होने वाला है, लेकिन राफेल विवाद अभी भी बना हुआ है।
Created On :   22 Dec 2018 1:34 PM IST