कोरोना समेत हवा में फैले अन्य कीटाणुओं पर करेगा 99.99 फीसदी प्रहार
- यह तकनीक डीसीडी तंत्र पर काम करती है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आईआईटी गांधीनगर से जुड़ा एक स्टार्ट-अप एंटी-माइक्रोबियल एयर प्यूरीफायर के घरेलू संस्करण को विकसित करने में मदद करेगा। यह कोरोना वायरस के आकार के कणों सहित कीटाणुओं को 99.99 प्रतिशत तक कम और निष्क्रिय कर सकता है। एंटी-माइक्रोबियल एयर प्यूरीफायर विकसित करने वाली इस स्टार्ट-अप एर्थ रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड को 50 लाख रुपये की सीड फंडिंग प्रदान की गई है।
इस स्टार्ट-अप द्वारा विकसित एंटी-माइक्रोबियल वायु शोधन तकनीक लोगों को न केवल अ²श्य कीटाणुओं और वायु प्रदूषकों से बल्कि रोग संचरण से भी बचाती है। सामान्य एयर प्यूरीफायर के विपरीत, जो कीटाणुओं के लिए प्रजनन स्थल बन जाते हैं, इस तकनीक आसपास की हवा से कीटाणुओं को निष्क्रिय कर देती है।
यह तकनीक डीसीडी (डीएक्टिवेट-कैप्चर-डिएक्टिवेट) तंत्र पर काम करती है जिसमें यूवी-सी विकिरण द्वारा वायरस को निष्क्रिय कर दिया जाता है। एक कोटिंग के साथ विशेष फिल्टर का उपयोग करके उन्हें पकड लिया जाता है जो एंटी-माइक्रोबियल गुण प्रदान करता है और फिल्टरेशन दक्षता में सुधार करता है, और फिर फिल्टर में प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन प्रजातियां (आरओएस), आयनीकरण से ओएच रेडिकल्स, और निरंतर यूवीसी विकिरण के साथ उन पर हमला करता है।
वर्तमान एयर प्यूरीफायर 500 स्कवेर फुट तक के क्षेत्र में हवा को शुद्ध कर सकते हैं। उन्होंने वायरस-आरएनए, बैक्टीरिया और फंगस पर तकनीक का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। और अब दवा प्रतिरोधी रोगाणुओं पर इसका परीक्षण करने पर काम कर रहे हैं।
आईआईटी बॉम्बे के पूर्व छात्र रवि कौशिक द्वारा स्थापित यह स्टार्ट-अप एंटी-माइक्रोबियल एयर प्यूरीफायर विकसित करता है, जो कोरोनावायरस के आकार के कणों सहित कीटाणुओं को 99.99 प्रतिशत तक कम और निष्क्रिय कर सकता है।
कंपनी ने वर्तमान में बड़े स्थानों के लिए एक एयर प्यूरीफायर विकसित किया है, और इसका उपयोग मुंबई में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया कार्यालय, एसएचसीआईएल और ओएनजीसी जैसे शुरूआती एडेप्टर्स द्वारा किया जा रहा है। एर्थ रिसर्च ने अब उसी तकनीक का उपयोग करके, लेकिन बेहतर दक्षतावाले अपने एयर प्यूरीफायर का एक छोटा संस्करण विकसित करने का प्रस्ताव रखा है, जो घरों और छोटे कार्यालय के लिए उपयुक्त हो।
यह फंडिंग कोविड -19 के खिलाफ लड़ाई के लिए मेक इन इंडिया आंदोलन को गति देने के उद्देश्य से की गई है। भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा समर्थित प्रौद्योगिकी व्यवसाय इनक्यूबेटर - आईआईटी गांधीनगर इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप सेंटर ने 50 लाख रुपये की सीड फंडिंग की है। यह इस कार्यक्रम के तहत किसी भी इन्क्यूबेशन सेंटर द्वारा किसी स्टार्ट-अप को प्रदान की जाने वाली सबसे अधिक धनराशि है।
50 लाख रुपये के वित्त पोषण की कुल प्रतिबद्धता में से पहले ही 25 लाख रुपये की पहली किस्त एर्थ रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड को जारी की जा चुकी है। वित्त पोषण के अलावा, स्टार्ट-अप को सलाह और माकेर्टींग सहायता भी प्रदान की जा रही है ताकि उनकी उत्पाद तकनीक को अगले स्तर तक जल्द से जल्द बढ़ाया जा सके।
रवि कौशिक ने कहा, इस फंडिंग के कारण हम अपने उत्पादों को एक कैंसर अस्पताल तक पहुंचाने में सक्षम रहे, और अब हम उस अस्पताल में प्रतिरक्षाविहीन रोगियों के जीवन को बचाने में योगदान करने में सक्षम हैं। अपने प्रभाव को कई गुना करने के लिए, हम इस आर्थिक सपोर्ट से अपने विनिर्माण को बढ़ाएंगे।
इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप सेंटर के आनंद पांडे ने कहा, देश के भीतर ब्राइट माइंड्स द्वारा विकसित ऐसी स्वदेशी प्रौद्योगिकियां तकनीकी डोमेन में भारत की ताकत को दर्शाती हैं। हम मेंटर्स, एडवाइजर्स और एडवांस इंफ्रास्ट्रक्च र के माध्यम से स्टार्ट-अप्स को सही तरह का सपोर्ट इकोसिस्टम मुहैया करा रहे हैं ताकि वे अपने आइडिया को व्यवहार्य और स्केलेबल बिजनेस में बदल सकें।
(आईएएनएस)
Created On :   14 April 2022 8:30 PM IST