भारत को मिली बड़ी सफलता, INMAS ने विकसित की पहली स्वदेशी एंटी-न्यूक्लियर किट
- INMAS करीब दो दशकों से इस तरह की किट को तैयार करने में जुटा हुआ था।
- इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड अलाइड साइंस (INMAS) ने विकसित की एंटी न्यूक्लियर किट।
- इस मेडिकल किट की मदद से न्यूक्लियर एक्सिडेंट में गंभीर रूप से घायल लोगों को उपचार दिया जा सकेगा।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड अलाइड साइंस (INMAS) के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने भारत की पहली स्वदेशी ऐंटी न्यूक्लियर मेडिकल किट विकसित कर ली है। इस मेडिकल किट की मदद से गंभीर चोटों परमाणु युद्ध या रेडियोधर्मी रिसाव की वजह से गंभीर रूप के घायल लोगों का इलाज हो सकेगा।
INMAS करीब दो दशकों से इस तरह की किट के तैयार करने में जुटा हुआ था। इस किट में 25 से ज्यादा आइटम हैं, जिनका अलग-अलग इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें रेडिएशन के असर को कम करनेवाले रेडियो प्रोटेक्टर, बैन्डेज, गोलियां, मलहम सहित अन्य चीजें हैं।
INMAS के डायरेक्टर एके सिंह ने एक न्यूज एजेंसी को बताया कि पहली बार भारत में विकसित यह किट अमेरिका और रूस जैसे रणनीतिक रूप से उन्नत देशों की ओर से तैयार की गई किट का विकल्प है। अबतक भारत इस किट को इन देशों से खरीदता था, ये काफी महंगी भी थी।
इस किट में हल्के नीले रंग की गोलियां हैं, जो रेडियो सेसियम (Cs-137) और रेडियो थैलियम के असर को लगभग खत्म कर देती हैं। ये दोनों न्यूक्लियर बम के सबसे खतरनाक रेडियो आइसोटॉप है, जो मानव शरीर की कोशिकाओं को नष्ट कर देते है।
INMAS के अनुसार, ये किट सशस्त्र, अर्धसैनिक और पुलिस बलों के लिए विकसित की गई है क्योंकि इनकी सबसे पहले रेडियेशन के संपर्क में आने की संभावना रहती हैं - चाहे वह न्यूक्लियर, कैमिकल और बायोमेडिकल (NCB) वॉरफेयर हो या फिर न्यूक्लियर एक्सिडेंट के बाद का रेस्क्यू ऑपरेशन हो।
इस किट में एक इथाइलीन डायअमीन ट्रेट्रा एसिटिक एसिड (EDTA) इंजेक्शन भी है जो न्यूक्लियर एक्सिडेंट या वॉरफेयर के दौरान पीड़ितों के गले और रक्त में मोजूद यूरेनियम को ट्रैप कर लेता है।
किट में Ca-EDTA रेस्पिरेटरी फ्लूइड भी है, जो कि न्यूक्लियर एक्सिडेंट की साइटों पर श्वास के माध्यम से फेफड़ों में जमे भारी धातुओं और रेडियोधर्मी तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है।
जब EDTA का नसों में इंजेक्शन दिया जाता है, तो यह भारी धातुओं और खनिजों को "पकड़ता है" और उन्हें शरीर से बाहर निकाल देता है।
दवा नियंत्रित स्थितियों में 30-40 प्रतिशत तक रेडियोधर्मिता के शरीर के बोझ को कम करती है और परमाणु दुर्घटना के बाद बचाव दल और पीड़ितों के लिए बहुत उपयोगी है।
INMAS के मुताबिक, कई अर्धसैनिक बल उनके साथ समझौता करने पर विचार कर रही हैं ताकि इसकी खरीद हो सके।
Created On :   13 Sept 2018 10:51 PM IST