ISRO ने लॉन्च किया GSAT-29, दूर-दराज के इलाकों में संचार जरूरतें होंगी पूरी

ISRO ने लॉन्च किया GSAT-29, दूर-दराज के इलाकों में संचार जरूरतें होंगी पूरी
हाईलाइट
  • चार टन भार ले जा सकने की क्षमता वाले GSLV-MK III रॉकेट से उपग्रह को कक्षा में छोड़ा गया।
  • चार टन भार ले जा सकने की क्षमता वाले जीएसएलवी-एमके 3 रॉकेट से उपग्रह को कक्षा में छोड़ा जाएगा।
  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बुधवार को आधुनिक संचार उपग्रह GSAT-29 को लॉन्च कर दिया।
  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) बुधवार को आधुनिक संचार उपग्रह GSAT-29 को लॉन्च करेगा।
  • मार्क III रॉकेट के लॉन्च के लिए उलटी गिनती मंगलव

डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)  ने बुधवार को आधुनिक संचार उपग्रह GSAT-29 को लॉन्च कर दिया। चार टन भार ले जा सकने की क्षमता वाले GSLV-MK III रॉकेट से उपग्रह को कक्षा में छोड़ा गया। लॉन्च चेन्नई से 90 किमी दूर श्रीहरिकोटा में सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से बुधवार को 17:08 बजे किया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ISRO चेयरमैन के सिवन ने मिशन की सफलता पर सभी को बधाई दी।

 

 

ISRO के सबसे भारी रॉकेट के लिए यह दूसरी टेस्ट उड़ान थी। इस रॉकेट ने GSAT-29 को भू स्थिर कक्षा में स्थापित किया। GSAT-29 उपग्रह उच्च क्षमता वाले का/कू-बैंड के ट्रांसपोंडरों से लैस है और यह 10 साल तक स्पेस में अपना कार्य करता रहेगा। इस उपग्रह से देश के दूर-दराज के इलाकों में संचार जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी। खास तौर पर जम्मू-कश्मीर और नार्थ ईस्ट के इलाकों की संचार जरुरतों के लिए इसे लॉन्च किया गया है।

इस उपग्रह पर यूनिक किस्म का "हाई रेज्यूलेशन" कैमरा लगा है, जिसे "जियो आई" नाम दिया गया है। इससे हिंद महासागर में दुश्मनों के जहाजों पर नजर रखी जा सकेगी. इसके अलावा क्यू/वी-बैंड पेलोड, ऑप्टिकल संचार लिंक के जरिए डाटा ट्रांसमिशन जैसी नई तकनीक के लिए भी यह मददगार होगा। इस साल ISRO का यह पांचवां लॉन्च था। डिजिटल इंडिया प्रोग्राग के तह इस मिशन को भेजा गया है।

इस मिशन के लॉन्चिंग पर मौसम का भी खतरा मंडरा रहा था। ISRO चेयरमैन के सिवन ने कहा था कि मौसम के अनुकूल नहीं रहने पर प्रक्षेपण टाला जा सकता है। मौसम विभाग ने 11 नवंबर को कहा था कि चक्रवात गाजा के 15 नवंबर को उत्तरी तमिलनाडु और दक्षिण आंध्रप्रदेश तट के बीच कुड्डालोर और श्रीहरिकोटा पार करने का अनुमान है।  

बता दें कि GSAT-29 को लॉन्च करने के लिए इस्तेमाल किए जा रहा GSLV-एमके 3 राकेट भारत का सबसे वजनी रॉकेट है। इसका वजन 640 टन है। यह  पूरी तरह भारत में बना है। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में 15 साल लगे है। इस विशाल रॉकेट की ऊंचाई किसी 13 मंजिली इमारत के बराबर है और ये चार टन तक के उपग्रह लॉन्च कर सकता है। अपनी पहली उड़ान में इस रॉकेट ने 3136 किलोग्राम के सेटेलाइट को उसकी कक्षा में पहुंचाया था। इस रॉकेट में स्वदेशी तकनीक से तैयार हुआ नया क्रायोजेनिक इंजन लगा है, जिसमें लिक्विड ऑक्सीजन और हाइड्रोजन का ईंधन के तौर पर इस्तेमाल होता है।

Created On :   13 Nov 2018 6:12 PM GMT

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