उपवास के दिन गोलगप्पा व पराठा खाते पकड़े गए जैन मुनि, भगाया गया
डिजिटल डेस्क, कोलकाता। अपने त्याग और जैन धर्म के प्रति निष्ठा के लिए पहचाने जाने वाले जैन मुनि को धर्म को शर्मसार करने वाला काम करते देखा गया। कोलकाता में एक जैन संत चोरी-छुपे वर्जित भोजन कर धार्मिक जीवन और लोगों की श्रद्धा का मजाक बनाते देखे गए।
दरअसल वाक्या यह था कि मुनि प्रतीक सागर जी महाराज चातुर्मास के बाद तेरह्पंथी कोठी के महामंत्री कमल किशोर पहाड़िया के बुलावे पर कोलकाता पहुंचे थे। यहां उन्होंने त्याग और संन्यासी नियमों को ताक पर रखकर गोलगप्पे और आलू के पराठों का लुत्फ उठाया। यह देखने वालों ने इसे अपने कैमरे में कैद कर लिया। मुनि श्री प्रतीक सागर जी महराज के इस व्यवहार से नाराज संघ व्यवस्था समिति ने भी उन्हें नहीं बख्शा, पदाधिकारियों ने उन्हें कपड़े पहनाकर कोलकाता से बाहर का रास्ता दिखा दिया। पारसनाथ में साधना करने पहुंचे मुनि प्रतीक सागर जी महाराज, रात में महिलाओं से बात और उनसे मांगकर खाना खाने के कारण काफी विवादों में रहे हैं। इतना ही नहीं मुनि श्री इस दौरान कई बार अपने भक्तो से भी उलझ गए। धर्म के लोगों की लाख कोशिशों के बाद भी उन्होंने अपना स्वभाव नहीं छोड़ा।
ऐसा माना जाता है कि किसी दिगंबर संत को कपड़े पहना देना सबसे बड़ा पाप है, क्योंकि जैन धर्म में दिगंबर मतलब आसमान से ढका हुआ या यूं कहें कि जिसने आसमान को ही अपना वस्त्र समझ लिया है। फिर उन्हें कपड़े नहीं पहनना होता।
कठिन है दिगंबर मुनि का जीवन
दिगंबर पंथ पर चलने वाले मुनियों का जीवन आसान नहीं होता। उन्हें कई तरह के कठिन त्याग करने पड़ते हैं, जैसे सारे वस्त्र त्यागने होते हैं और हमेशा पैदल सफर करना होता है। जैन दिगंबर संन्यासी को दिन में केवल एक ही बार भोजन करना होता है, उसमें भी कई प्रकार के खाद्य वस्तुएं वर्जित होती हैं, जैसे जैन संत जड़त्व सब्जियां और फल नहीं खाते हैं। अगर कोई व्यक्ति दिगंबर मुनि बनने की शुरुआत करते हैं तो, सबसे पहले मुमुक्षु बनते हैं। अगर मुमुक्षु चाहे तो संत जीवन छोड़ सकता है। मुमुक्षु, संत और साधारण जीवन का फर्क है।
Created On :   30 April 2018 5:18 PM IST