झारखंड : 65 पार पर भारी पड़ा अबकी बार सोरेन सरकार
रांची, 23 दिसंबर (आईएएनएस)। झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजों से साफ हो गया है कि लोगों को इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का अबकी बार 65 पार का नारा पसंद नहीं आया और मतदाताओं ने इस नारे को नकार दिया। झारखंड के मतदाताओं ने अबकी बार सोरेन सरकार नारे को अपना लिया है। अभी तक के रुझानों से साफ है कि कांग्रेस, राजद और झामुमो गठबंधन के मुख्यमंत्री प्रत्याशी हेमंत सोरेन के नेतृत्व में राज्य की अगली सरकार बनेगी।
भाजपा 30 से कम सीटों पर सिमटती दिख रही है। जबकि झामुमो गठबंधन 41 सीटों के बहुमत के आंकड़े को पार कर रही है।
गौरतलब है कि भाजपा इस चुनाव में अकेले मैदान में उतरी थी। ऐसे में उसके साथ कोई सहयोगी भी नहीं है, जो किसी तरह उसकी नैया पार लगा सके।
भाजपा के लिए सबसे शर्मनाक स्थिति यह है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास स्वयं जमशेदपुर पूर्व सीट से काफी पीछे हो गए हैं, और उनके प्रतिद्वंद्वी निर्दलीय सरयू राय ने निर्णायक बढ़त बना ली है।
दूसरी ओर, झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन ने हेमंत सोरेन को चुनाव पूर्व ही मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर दिया था, जिसका लाभ भी गठबंधन को हुआ है।
भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने यहां जोरदार चुनाव प्रचार किया था। जबकि गठबंधन की ओर से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने भी हेमंत सोरेन के साथ साझा रैलियों को संबोधित किया था।
भाजपा की इस स्थिति के संबंध में जब मुख्यमंत्री रघुवर दास से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जनादेश का सम्मान है। उन्होंने 65 पार के नकारने के संबध में पूछे जाने पर कहा कि लक्ष्य कभी भी बड़ा रखना चाहिए, और उसी के अनुरूप लक्ष्य बड़ा रखा गया था।
झामुमो के प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने तंज कसते हुए कहा कि भाजपा ने यह नारा झामुमो गठबंधन के लिए दिया था। मतगणना समाप्त होने दीजिए झामुमो गठबंधन वहां तक पहुंच जाएगा।
उल्लेखनीय है कि पिछले चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन तब सरकार बनाने के करीब थी और उसके साथ सहयोगी भी थे। 2014 में भाजपा ने 37 सीटों पर जीत दर्ज की थी। चुनाव के बाद झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के छह विधायक भी उसके साथ आ गए थे।
Created On :   23 Dec 2019 6:30 PM IST