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जेएनयू: ओवैसी ने लगाया आरोप दिल्ली पुलिस ने से हमलावरों को भागने दिया
हाईलाइट
- ओवैसी ने दिल्ली पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप
- ओवैसी ने कहा- यह सुनियोजित हिंसा है, उन्हें सत्ताधारी पार्टी का समर्थन है
डिजिटल डेस्क, हैदराबाद। एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस ने नकाबपोश गुंडों को जेएनयू में छात्रों व प्राध्यापकों पर न केवल आधे घंटे तक क्रूरतापूर्ण हमला करने दिया, बल्कि उत्पात मचाने के बाद उन्हें सुरक्षित भागने का रास्ता दिया। हैदराबाद के सांसद ने हमले की कड़ी निंदा की और उत्पात मचाने वालों को देश विरोधी तत्व करार दिया।
उन्होंने सवाल किया कि राष्ट्रीय राजधानी में इस तरह के हमले करवाकर नरेंद्र मोदी सरकार दुनिया को क्या संदेश देना चाहती है? ओवैसी ने संवाददाताओं से कहा, यह सुनियोजित हिंसा जिन कायरों ने की, उन्हें निश्चित रूप से सत्ताधारी पार्टी का समर्थन मिला हुआ है। इसमें कोई संदेह नहीं कि शामिल रहे लोगों को सत्ता से हरी झंडी मिली रही होगी।
हमलावर क्या मंगल ग्रह से आए एलियन थे
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख ने कहा कि हमलावर अपना चेहरा ढके हुए थे, मगर उनकी विचारधारा उजागर हो गई। एबीवीपी के इस दावे पर कि हमले में उनके लोग शामिल नहीं थे, ओवैसी ने सवाल उठाया, क्या वे यह कहने की कोशिश कह रहे हैं कि हमलावर मंगल ग्रह से आए एलियन थे?
हमले का मतलब है कि जेएनयू के छात्रों को सजा दी गई
ओवैसी ने इससे पहले ट्वीट कर कहा था कि वह जेएनयू के बहादुर छात्रों के साथ हैं। उन्होंने लिखा कि, 'इस बर्बर हमले का मतलब है कि जेएनयू के छात्रों को सजा दी गई, क्योंकि वे खिलाफत के लिए खड़े हुए। ओवैसी ने कहा, यह कितना बुरा है कि केंद्रीय मंत्रियों को ट्वीट कर कहना पड़ा कि वे लाचार हैं। मोदी सरकार जवाब दे कि पुलिस गुंडों की तरफदारी में क्यों लगी है।'
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।