कारगिल : नचिकेता को बचाने गए इस पायलट की जिंदा नहीं हुई थी वतन वापसी
- अजय आहूजा को 15 अगस्त 1999 को वीर चक्र से किया था सम्मानित
- अजय आहूजा को मरणोपरातं दिया गया गोल्ड मेडल
- नचिकेता को ढूंढते हुए पाक सीमा में जा पहुचे थे कैप्टन अजय आहूजा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना के पायलट अभिनंदन वर्थामन इस वक्त पाकिस्तान के कब्जे में हैं। पाक ने गुरुवार को उन्हें वापस भेजने का ऐलान किया है। वो शुक्रवार को बाघा बॉर्डर के रास्ते भारत आएंगे। कई देशों के दबाव के बाद पाकिस्तान अभिनंदन को वापस तो भेज रहा है, लेकिन कई वीर सैनिक ऐसे भी हुए, जो पाकिस्तान से जिंदा वापस नहीं आ पाए।
कारगिल युद्ध के दौरान 1999 में कैप्टन नचिकेता भी पाकिस्तान के कब्जे में आ गए थे, हालांकि उन्हें 8 दिन बाद वापस कर दिया गया था, लेकिन नचिकेता को ढूंढने गए एक और पायलट पाकिस्तान की सीमा में दाखिल हुए थे, जो नचिकेता की तरह सही-सलामत भारत नहीं लौट पाए। भारतीय एयर फोर्स के वीर पायलट अजय आहूजा, जिनका सर्विस नंबर 1786-A था, कारगिल ऑपरेशन के लिए श्रीनगर भेजे गए MIG-21 स्क्वाड्रन के फ्लाइट कमांडर थे।
दुश्मनों के ठिकानों को देखने के लिए 27 मई 1999 में 2 एयरक्राफ्ट उड़ाने की योजना बनाई गई। उड़ान भरने के बाद मुंथो ढालो के पास नचिकेता के विमान मिग-27 के क्रैश होने की जानकारी मिली, पता चला कि नचिकेता ने विमान से इजेक्ट कर लिया है। जानकारी मिलते ही अजय ने नचिकेता को ढूंढने का काम शुरू कर दिया। आहूजा के पास दो विकल्प थे, वे चाहते तो एयरबेस की तरफ सुरक्षित लौट सकते थे, लेकिन उन्हें लगा कि नचिकेता किसी बड़ी परेशानी में हैं, और उन्होंने अपना विमान मुंथो ढालो की तरफ बढ़ा दिया।
पाकिस्तान की फौज जमीन से लगातार आसमान में मिसाइल दाग रही थी, लेकिन हार माने बिना पायलट अजय आहूजा आगे बढ़ते रहे। पाकिस्तान की सीमा में उड़ान भर रहे आहूजा दुश्मन के निशाने पर आ गए, पाकिस्तान ने उनके विमान पर मिसाइल दागी, उन्होंने फिर भी विमान उड़ाने की कोशिश की, लेकिन इंजन में आग लगने के कारण उन्हें इजेक्ट होना पड़ा।
भारतीय एयरबेस से उनके मुंह से कुछ आखिरी शब्द सुने थे, उन्होंने कहा था हर्कुलस कुछ चीज मेरे प्लेन से टकराई है। ये एक मिसाइल भी हो सकती है, मैं अब प्लेन से इजेक्ट हो रहा हूं। 28 मई 1999 के दिन भीरतीय सेना को आहूजा का शव सौंप दिया गया। उनके शरीर में गोलियों के 2 निशान थे। ये भी बताया गया कि पैराशूट से कूदने के बाद उनके बाएं घुटने में फ्रैक्चर हो गया था। गनशॉट से पता चला कि वे जिंदा उतरे थे, लेकिन बाद में उन्हें गोली मार दी गई, उनकी मौत को "कोल्ड ब्लडेड मर्डर" भी कहा जाता है।
मरणोपरांत स्क्वाड्रन लीडर आहूजा को 15 अगस्त 1999 को वीर चक्र से सम्मानित किया गया। पाकिस्तान का दावा था कि प्लेन क्रैश होने के कारण अजय की मौत हुई थी, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उनका झूठ पकड़ा गया। रिपोर्ट में पाया गया कि आहूजा को नजदीक से गोलियां मारी गई थीं, तीन गंभीर घाव होने की बात भी सामने आई थी।
Created On :   28 Feb 2019 8:06 PM IST