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दैनिक भास्कर हिंदी: Explained: भारत-चीन के बीच बातचीत के बाद भी नहीं निकला कोई हल, जानिए दोनों देशों के बीच विवाद की पूरी कहानी

हाईलाइट
- भारत और चीन की सेनाएं लद्दाख सीमा पर एक दूसरे के सामने
- पांगोंग लेक के फिंगर फोर से पीछे हटने को तैयार नहीं चीनी सेना
- जानिए क्या है भारत और चीन के बीच विवाद की वजह?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और चीन की सेनाएं पिछले एक महीने से भी ज्यादा समय से लद्दाख सीमा पर एक दूसरे के सामने खड़ी है। पांगोंग लेक, गलवान घाटी और हॉट स्प्रिंग क्षेत्रों में भारतीय सीमा में चीनी सैनिकों के दाखिल होने से ये विवाद पैदा हुआ है। इस विवाद को सुलझाने के लिए 6 जून को दोनों देश के बीच लेफ्टिनेंट जनरल लेवल की बातचीत लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के पास चुशूल मोल्डो में हुई थी। भारतीय सेना के ऑफिसर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने भारत की ओर से बैठक की अगुवाई की जबकि चीन की तरफ से मेजर जनरल लियु लीन ने नेतृत्व किया। इसके बाद दोनों देश अपनी-अपनी सेनाओं को करीब 2 किलोमीटर तक पीछे हटाने को सहमत हुए। 10 जून को चीन ने आधिकारिक तौर पर इसकी जानकारी दी। हालांकि अभी भी ये विवाद पूरी तरह से सुलझा नहीं है। चीन पांगोंग लेक के ग्रे एरिया से हटने को तैयार नहीं है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं इस विवाद के बारे में सब कुछ जो आपके जानने लायक है।
1914 में तय हुईं थी भारत की सीमा
भारत और चीन के बीच के विवाद को समझने के लिए हमें साल 1914 में जाना होगा जब भारत अंग्रेजों के कब्जे में था। उस समय शिमला में एक कॉन्फ्रेंस हुई। इस कॉन्फ्रेंस में तीन पार्टियां थीं- ब्रिटेन, चीन और तिब्बत। कॉन्फ्रेंस में भारत में ब्रिटेन के विदेश सचिव हेनरी मैकमहोन ने ब्रिटिश इंडिया और तिब्बत के बीच एक सीमा खींची। इसे मैकमहोन लाइन कहा जाता है। क्योंकि बाद में तिब्बत पर चीन ने कब्जा कर लिया इसलिए इस लाइन को भारत आधिकारिक रूप से चीन के साथ अपनी सीमा मानने लगा। लेकिन चीन कहता है कि भारत और उसके बीच आधिकारिक तौर पर कभी सीमा तय ही नहीं हुई। चीन का कहना है शिमला समझौते में पीठ पीछे ब्रिटेन और तिब्बत के प्रतिनिधियों ने अपनी मनमानी से सब तय कर लिया।
1962 में युद्ध के बाद बनी LAC
चीन ने आधिकारिक तौर पर 23 जनवरी, 1959 को इस लाइन के लिए भारत को चुनौती पेश की थी। उस समय भारत के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू थे। पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के पहले प्रीमियर झाउ इनलाई ने तब नेहरू को इसे लेकर एक चिट्ठी भेजी थी। एक तरफ जहां जवाहर लाल नेहरू भारत-चीन भाई-भाई का राग अलाप रहें थे वहीं चीन ने सीमा से जुड़े इसी विवाद के कारण 1962 में भारत पर हमला कर दिया। इस दौरान भारत के कई हिस्सों पर चीन ने कब्जा कर लिया। जंग के ख़त्म होने के बाद भारत और चीन के नियंत्रण में जो इलाके रह गए, उसका बंटवारा लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल से हुआ। लद्दाख में इस वक्त भारत और चीन के बीच जो सीमा विवाद चल रहा है वो भी इसी LAC के कारण है।
भारत फिंगर 8 तक मानता है अपना हिस्सा
दरअसल, लद्दाख के बीच से जो सीमा गुजरती है उसके और इंटरनेशनल बॉर्डर के बीच का एरिया करीब 38,000 स्क्वायर किलोमीटर का है। इसे अक्साई चिन वाला एरिया कहा जाता है। 1962 के युद्ध में चीन ने इंटरनेशनल बॉर्डर को लांधकर भारत के इस हिस्से पर कब्जा कर लिया था। मैप पर जब आप LAC को देखेंगे तो आपको दिखेगा कि ये पांगोंग त्सो (लेक) के बीच से भी गुजरती है। पांगोंग लेक का पश्चिमी हिस्सा भारत में और पूर्वी छोर चीन में आता है। इस लेक की लंबाई 135 किलोमीटर है। इसमें से 45 किलोमीटर का हिस्सा भारत के पास है जबकि 90 किलोमीटर का हिस्सा चीन के पास। इस लेक के उत्तर में जो पहाड़ है उसे आठ फिंगरों में मार्क किया गया है। फिंगर यानी पहाड़ का बाहर निकला हुआ हिस्सा। भारत मानता है कि LAC फिंगर 8 से गुजरती है जबकि चीन कहता है कि LAC फिंगर 4 से गुजरती है। फिंगर 4 से फिंगर 8 के बीच के 8 किलोमीटर के इलाके को ग्रे एरिया कहा जाता है क्योंकि यह विवादित है। इसी वजह से भारत फिंगर 1 से लेकर फिंगर 4 तक पेट्रोलिंग करता है। कई बार वह फिंगर 8 तक भी पेट्रोलिंग करते हुए चला जाता है। चीन की बॉर्डर पोस्ट फिंगर 8 पर ही है।
फिंगर 4 पर चीनी सैनिकों ने भारत को पेट्रोलिंग से रोका
5 और 6 मई 2020 को भारत और चीन के सैनिकों की धक्का-मुक्की की खबरें आई थी। इस धक्का-मुक्की की वजह थी चीन की सेना जो भारतीय सैनिकों को फिंगर 4 में पेट्रोलिंग से रोक रही थी। चीन ने आधिकारिक रूप से बयान दिया कि भारत चीन के इलाके में घुसपैठ कर रहा है। लेकिन सच्चाई तो यह है कि फिंगर 4 तो भारत का ही इलाका है। इस विवाद को सुलझाने के लिए बैठकों का दौर चल रहा है। दोनों देशों में कुछ इलाकों से सेना को करीब 2 किलोमीटर तक पीछे हटाने की सहमति भी बनी थी, लेकिन चीनी सेना फिंगर फोर पर डट गई है और भारत को पेट्रोलिंग के लिए इससे आगे नहीं जाने दे रही। इसके अलावा विवाद का एक और कारण है रोड का निर्माण। दरअसल, भारत ने लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी से श्योक नदी के पास से होते हुए लेह तक 260 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन यानी BRO ने किया है। BRO सेना की वो विंग है जो बॉर्डर पर सड़को का निर्माण करती है।
चीनी घुसपैठ DSDBO रोड के लिए सीधा खतरा
दारबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (DSDBO) रोड LAC के पैरलल लगभग 13,000 फुट से 16,000 फुट की ऊंचाई पर बनी हुई है। (BRO) को इस सड़क के निर्माण में लगभग दो दशक लग गए। इसका रणनीतिक महत्व यह है कि यह लेह को दौलत बेग ओल्डी से जोड़ता है और इंडियन मिलिट्री को तिब्बत-झिंगजैंग हाईवे के एक सेक्शन तक पहुंच प्रदान करता है जो अक्साई चिन से होकर गुजरता है। दौलत बेग ओल्डी में दुनिया की सबसे ऊंची हवाई पट्टी है। मूल रूप से इसे 1962 के युद्ध के दौरान बनाया गया था। 1965 से 2008 तक ये बंद रही। कई दशकों बाद 2008 में इंडियन एययफोर्स ने एंटोनोव एएन-32 की यहां लैंडिंग कराई थी। अगस्त 2013 में इंडियन एयरफोर्स ने लॉकहीड मार्टिन C-130J-30 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट को दौलत बेग ओल्डी एंडवांस लैंडिंग ग्राउंड में उतारकर इतिहास रचा था। गलवान घाटी क्षेत्र में चीनी घुसपैठ DSDBO रोड के लिए सीधा खतरा है। ऐसा इसलिए क्योंकि गलवान घाटी में इस रोड के करीब पहाड़ियों की ऊंचाई पर चीनी सैनिकों की मौजूदगी देखी गई है। चीनी सैनिक यहां से कभी भी DSDBO रोड को ब्लॉक कर सकते हैं। इससे पहले कभी चीन ने इस जगह पर घुसपैठ नहीं की थी।
चीन धीरे-धीरे बढ़ा रहा अपना कब्जा
चीन धीरे-धीरे कर भारत के हिस्से पर अपना कब्जा बढ़ाता जा रहा है। पांगोंग झील के करीब 83 वर्ग किलोमीटर इलाके में चीन अपना हक जताने लगा है। इसले अलावा चुमूर इलाके में 80 वर्ग किलोमीटर इलाके पर भी चीन की नजर है। पांगोंग झील से नीचे चुशूल है। इससे और नीचे जाएंगे तो डेमचोक। 1980 के बाद से चीन डेमचोक के इलाके पर भी इंच बाय इंच कब्जा कर रहा है। करीब 45 किलोमीटर का इलाका वह हथिया भी चुका है। UPA-2 सरकार के वक्त एक रिपोर्ट में ये बात कही गई थी। पूर्व विदेश सचिव श्याम सरण जो साल 2013 में नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजरी बोर्ड के चेयरमैन थे। उन्होंने कहा था कि लद्दाख का 640 वर्ग किलोमीटर का एरिया हम खो चुके हैं। हालांकि सेना ने उस वक्त इस दावे को खारिज किया था।
विवाद को सुलझाने में भारत का रुख साफ
भारत का रुख दो बातों पर बिल्कुल साफ है और उससे किसी भी तरह समझौता नहीं हो सकता। पहली- एलएसी पर इंफ्रास्ट्रक्चर का काम न रुकेगा न धीमा किया जाएगा और दूसरी बात कि चीन को अब किसी भी कीमत पर आगे नहीं बढ़ने दिया जाएगा। भारत ने ये भी साफ किया है कि वो चीन के साथ सीमा-विवाद बातचीत के जरिये सुलझाने का इच्छुक है। इसके मद्देनजर दोनों देशों की सेना के अधिकारियों की कई मौके पर बातचीत हुई है। LAC पर तनाव कम करने के लिए सेना के साथ-साथ राजनयिक स्तर पर भी बातचीत चल रही है। लेकिन अब तक कोई हल नहीं निकल पाया है। डोकलाम में भी 2017 में दोनों देशों के बीच 73 दिनों तक चले तनाव के बाद चीन के पीछे हटना पड़ा था।
स्वास्थ्य योजना: आरोग्य संजीवनी पॉलिसी खरीदने के 6 फ़ायदे
डिजिटल डेस्क, भोपाल। आरोग्य संजीवनी नीति का उपयोग निस्संदेह कोई भी व्यक्ति कर सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह बिल्कुल सस्ती है और फिर भी आवेदकों के लिए कई गुण प्रदान करती है। यह रुपये से लेकर चिकित्सा व्यय को कवर करने में सक्षम है। 5 लाख से 10 लाख। साथ ही, आप लचीले तंत्र के साथ अपनी सुविधा के आधार पर प्रीमियम का भुगतान कर सकते हैं। आप ऑफ़लाइन संस्थानों की यात्रा किए बिना पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन कर सकते हैं। आरोग्य संजीवनी नीति सामान्य के साथ-साथ नए जमाने की उपचार सेवाओं को भी कवर करने के लिए लागू है। इसलिए, यह निस्संदेह आज की सबसे अच्छी स्वास्थ्य योजनाओं में से एक है।
• लचीला
लचीलापन एक बहुत ही बेहतर पहलू है जिसकी किसी भी प्रकार की बाजार संरचना में मांग की जाती है। आरोग्य संजीवनी पॉलिसी ग्राहक को अत्यधिक लचीलापन प्रदान करती है। व्यक्ति अपने लचीलेपन के आधार पर प्रीमियम का भुगतान कर सकता है। इसके अलावा, ग्राहक पॉलिसी के कवरेज को विभिन्न पारिवारिक संबंधों तक बढ़ा सकता है।
• नो-क्लेम बोनस
यदि आप पॉलिसी अवधि के दौरान कोई दावा नहीं करते हैं तो आरोग्य संजीवनी पॉलिसी नो-क्लेम बोनस की सुविधा देती है। उस स्थिति में यह बोनस आपके लिए 5% तक बढ़ा दिया जाता है। आपके द्वारा बनाया गया पॉलिसी प्रीमियम यहां आधार के रूप में कार्य करता है और इसके ऊपर यह बोनस छूट के रूप में उपलब्ध है।
• सादगी
ग्राहक के लिए आरोग्य संजीवनी पॉलिसी को संभालना बहुत आसान है। इसमें समान कवरेज शामिल है और इसमें ग्राहक के अनुकूल विशेषताएं हैं। इस पॉलिसी के नियम और शर्तों को समझने में आपको ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। इससे पॉलिसी खरीदना आसान काम हो जाता है।
• अक्षय
आरोग्य संजीवनी स्वास्थ्य नीति की वैधता अवधि 1 वर्ष है। इसलिए, यह आपके लिए अपनी पसंद का निर्णय लेने के लिए विभिन्न विकल्प खोलता है। आप या तो प्रीमियम का भुगतान कर सकते हैं या योजना को नवीनीकृत कर सकते हैं। अंत में, आप चाहें तो योजना को बंद भी कर सकते हैं।
• व्यापक कवरेज
यदि कोई व्यक्ति आरोग्य संजीवनी पॉलिसी के साथ खुद को पंजीकृत करता है तो वह लंबा कवरेज प्राप्त कर सकता है। यह वास्तव में स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों से संबंधित बहुत सारे खर्चों को कवर करता है। इसमें दंत चिकित्सा उपचार, अस्पताल में भर्ती होने के खर्च आदि शामिल हैं। अस्पताल में भर्ती होने से पहले से लेकर अस्पताल में भर्ती होने के बाद तक के सभी खर्च इस पॉलिसी द्वारा कवर किए जाते हैं। इसलिए, यह नीति कई प्रकार के चिकित्सा व्ययों के खिलाफ वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में एक समग्र दृष्टिकोण है।
• बजट के अनुकूल
आरोग्य संजीवनी स्वास्थ्य योजना एक व्यक्ति के लिए बिल्कुल सस्ती है। यदि आप सीमित कवरेज के लिए आवेदन करते हैं तो कीमत बिल्कुल वाजिब है। इसलिए, जरूरत पड़ने पर आप अपने लिए एक अच्छी गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य देखभाल का विकल्प प्राप्त कर सकते हैं।
निष्कर्ष
आरोग्य संजीवनी नीति समझने में बहुत ही सरल नीति है और उपरोक्त लाभों के अलावा अन्य लाभ भी प्रदान करती है। सभी सामान्य बीमा कंपनियां ग्राहकों को यह पॉलिसी सुविधा प्रदान करने के लिए बाध्य हैं। हालांकि, यह सरकार द्वारा प्रायोजित नहीं है और ग्राहक को इस पॉलिसी की सेवाएं प्राप्त करने के लिए भुगतान करना होगा। इसके अलावा, अगर वह स्वस्थ जीवन शैली का पालन करता है और उसे पहले से कोई मेडिकल समस्या नहीं है, तो उसे इस पॉलिसी को खरीदने से पहले मेडिकल टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है। हालाँकि, इस नीति के लिए आवेदन करते समय केवल नीति निर्माताओं को ही सच्चाई का उत्तर देने का प्रयास करें।
SSC MTS Cut Off 2023: जानें SSC MTS Tier -1 कटऑफ और पिछले वर्ष का कटऑफ
डिजिटल डेस्क, भोपाल। कर्मचारी चयन आयोग (SSC) भारत में केंद्रीय सरकारी नौकरियों की मुख्य भर्तियों हेतु अधिसूचना तथा भर्तियों हेतु परीक्षा का आयोजन करता रहा है। हाल ही में एसएससी ने SSC MTS और हवलदार के लिए अधिसूचना जारी किया है तथा इस भर्ती हेतु ऑनलाइन आवेदन भी 18 जनवरी 2023 से शुरू हो चुके हैं और यह ऑनलाइन आवेदन 17 फरवरी 2023 तक जारी रहने वाला है। आवेदन के बाद परीक्षा होगी तथा उसके बाद सरकारी रिजल्ट जारी कर दिया जाएगा।
एसएससी एमटीएस भर्ती हेतु परीक्षा दो चरणों (टियर-1 और टियर-2) में आयोग के द्वारा आयोजित की जाती है। इस वर्ष आयोग ने Sarkari Job एसएससी एमटीएस भर्ती के तहत कुल 12523 पदों (हवलदार हेतु 529 पद) पर अधिसूचना जारी किया है लेकिन आयोग के द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार भर्ती संख्या अभी अनिश्चित मानी जा सकती है। आयोग के द्वारा एसएससी एमटीएस भर्ती टियर -1 परीक्षा अप्रैल 2023 में आयोजित की जा सकती है और इस भर्ती परीक्षा हेतु SSC MTS Syllabus भी जारी कर दिया गया है।
SSC MTS Tier 1 Cut Off 2023 क्या रह सकता है?
एसएससी एमटीएस कटऑफ को पदों की संख्या तथा आवेदन करने वाले उम्मीदवारों की संख्या प्रभवित करती रही है। पिछले वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष भर्ती पदों में वृद्धि की गई है और संभवतः इस वर्ष आवेदन करने वाले उम्मीदवारों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो सकती है तथा इन कारणों से SSC MTS Cut Off 2023 बढ़ सकता है लेकिन यह उम्मीदवार के वर्ग तथा प्रदेश के ऊपर निर्भर करता है। हालांकि आयोग के द्वारा भर्ती पदों की संख्या अभी तक सुनिश्चित नहीं कि गई है।
SSC MTS Tier 1 Expected Cut Off 2023
हम आपको नीचे दिए गए टेबल के माध्यम से वर्ग के अनुसार SSC MTS Expected Cut Off 2023 के बारे में जानकारी देने जा रहें हैं-
• वर्ग कटऑफ
• अनारक्षित 100-110
• ओबीसी 95 -100
• एससी 90-100
• एससी 80-87
• पुर्व सैनिक 40-50
• विकलांग 91-95
• श्रवण विकलांग 45-50
• नेत्रहीन 75-80
SSC MTS Cut Off 2023 – वर्ग के अनुसार पिछले वर्ष का कटऑफ
उम्मीदवार एसएससी एमटीएस भर्ती हेतु पिछले वर्षों के कटऑफ को देखकर SSC MTS Cut Off 2023 का अनुमान लगा सकते हैं। इसलिए हम आपको उम्मीदवार के वर्गों के अनुसार SSC MTS Previous Year cutoff के बारे में निम्नलिखित टेबल के माध्यम से बताने जा रहे हैं-
• वर्ग कटऑफ
• अनारक्षित 110.50
• ओबीसी 101
• एससी 100.50
• एससी 87
• पुर्व सैनिक 49.50
• विकलांग 93
• श्रवण विकलांग 49
• नेत्रहीन 76
SSC MTS के पदों का विवरण
इस भर्ती अभियान के तहत कुल 11994 मल्टीटास्किंग और 529 हवलदार के पदों को भरा जाएगा। योग्यता की बात करें तो MTS के लिए उम्मीदवार को भारत के किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड से कक्षा 10वीं उत्तीर्ण होना चाहिए। इसके अलावा हवलदार के पद के लिए शैक्षणिक योग्यता यही है।
ऐसे में परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए यह बेहद ही जरूरी है, कि परीक्षा की तैयारी बेहतर ढंग से करें और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करें।
रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय: वेस्ट जोन इंटर यूनिवर्सिटी क्रिकेट टूर्नामेंट का पहला मैच रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय ने 4 रनों से जीत लिया
डिजिटल डेस्क, भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के स्पोर्ट ऑफिसर श्री सतीश अहिरवार ने बताया कि राजस्थान के सीकर में वेस्ट जोन इंटर यूनिवर्सिटी क्रिकेट टूर्नामेंट का आज पहला मैच आरएनटीयू ने 4 रनों से जीत लिया। आज आरएनटीयू विरुद्ध जीवाजी यूनिवर्सिटी ग्वालियर के मध्य मुकाबला हुआ। आरएनटीयू ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। आरएनटीयू के बल्लेबाज अनुज ने 24 बॉल पर 20 रन, सागर ने 12 गेंद पर 17 रन और नवीन ने 17 गेंद पर 23 रन की मदद से 17 ओवर में 95 रन का लक्ष्य रखा। लक्ष्य का पीछा करने उतरी जीवाजी यूनिवर्सिटी की टीम निर्धारित 20 ओवर में 91 रन ही बना सकी। आरएनटीयू के गेंदबाज दीपक चौहान ने 4 ओवर में 14 रन देकर 3 विकेट, संजय मानिक ने 4 ओवर में 15 रन देकर 2 विकेट और विशाल ने 3 ओवर में 27 रन देकर 2 विकेट झटके। मैन ऑफ द मैच आरएनटीयू के दीपक चौहान को दिया गया। आरएनटीयू के टीम के कोच नितिन धवन और मैनेजर राहुल शिंदे की अगुवाई में टीम अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही है।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ब्रह्म प्रकाश पेठिया, कुलसचिव डॉ. विजय सिंह ने खिलाड़ियों को जीत की बधाई और अगले मैच की शुभकामनाएं दीं।
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