बागी सुरों के 'विश्वास की बगावत, अब कभी साथ नहीं आ पाएंगे केजरीवाल, कुमार?

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बागी सुरों के 'विश्वास की बगावत, अब कभी साथ नहीं आ पाएंगे केजरीवाल, कुमार?
बागी सुरों के 'विश्वास की बगावत, अब कभी साथ नहीं आ पाएंगे केजरीवाल, कुमार?

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कलम की दम पर अपना एक अलग मुकाम बनाने वाले कवि कुमार विश्वास की राजनीतिक पारी दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के साथ शुरु हुई थी। समाज सेवी अन्ना हजारे के साथ लोकपाल बिल की लड़ाई में (आंदोलन में) शामिल हुए कुमार विश्वास ने अरविंद केजरीवाल से ज्यादा नाम कमाया था। मगर दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने के बाद इन दोनों के रिश्ते में काफी बदलाव आया है। इसका सबसे बड़ा कारण कुमार विश्वास का भारतीय जनता पार्टी और पीएम नरेंद्र मोदी के पक्ष में बोलना माना जा रहा है।

बता दें कि आम आदमी पार्टी ने राज्यसभा के लिए 3 लोगों के नाम घोषित कर दिए हैं। इनमें सुशील गुप्ता, एनडी गुप्ता और संजय सिंह शामिल हैं। वरिष्ठ नेता कुमार विश्वास को उम्मीद थी कि पार्टी और उनके दोस्त अरविंद केजरीवाल उन्हें राज्यसभा का टिकट जरूर देंगे, लेकिन इसके बिल्कुल विपरित हुआ है। कुमार विश्वास ने अपना दर्द बयां करते हुए मीडिया के सामने कहा, "जिसने पार्टी को खड़ा किया उसे सजा मिली है। ये सच बोलने की सजा दी गई है। मैंने जो-जो बोला आज उसका पुरस्कार मुझे दंड स्वरूप दिया गया है। अरविंद ने मुझसे मुस्कुराते हुए कहा था कि सर जी आपको मारेंगे मगर शहीद नहीं होने देंगे। मैं उनको बधाई देता हूं कि मैं अपनी शाहदत स्वीकार करता हूं।"

सदियों की दोस्ती, लम्हों में खाक
जिस वक्त आम आदमी पार्टी का गठन हुआ तब यह एक राजनीतिक पार्टी ना होकर एक समाजसेवी विचारधार थी। जिससे हजारों लोगों के सपने जुड़े हुए थे। इस विचारधारा के तीन केंद्र अरविंद केजरीवाल, कुमार विश्वास और मनीष सिसोदिया थे। आज अरविंद केजरीवाल दिल्ली के सीएम हैं, तो वहीं मनीष सिसोदिया भी डिप्टी सीएम के पद पर आसीन हैं। उन्हें सांत्वना देने के लिए यूं तो पार्टी ने राजस्थान का प्रभार दे रखा है, लेकिन असल में वे आज भी पार्टी के एक नेता और एक कवि ही हैं। तभी तो राज्यसभा की आस लगाए कुमार का दोनों दोस्तों ने विश्वास तोड़ दिया।

यह कहना गलत नहीं होगा कि सदियों की दोस्ती लम्हों में खाक हो गई। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी से 2014 में लोक सभा चुनाव लड़ने वाले विश्वास कुछ समय से पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रहे हैं। विश्वास के करीबियों का मानना है कि यह दरार उस मंडली ने पैदा की है जो कि केजरीवाल के करीब हैं। उनका कहना है कि ये लोग विश्वास के खिलाफ हैं। विश्वास का मनना है कि पार्टी नेतृत्व ने उनकी अनदेखी की है। विवाद की एक वजह राज्य सभा सीट को ले कर संघर्ष भी है।

इस हालात में कुमार विश्वास की ही रचित एक कविता याद आती है कि...
सूरज पर प्रतिबंध अनेकों 
और भरोसा रातों पर
नयन हमारे सीख रहे हैं 
हँसना झूठी बातों पर

हमने जीवन की चौसर पर 
दाँव लगाए आँसू वाले
कुछ लोगों ने हर पल, हर दिन 
मौके देखे बदले पाले
हम शंकित सच पा अपने, 
वे मुग्ध स्वयं की घातों पर
नयन हमारे सीख रहे हैं 
हँसना झूठी बातों पर

सर्जिकल स्ट्राइक पर सबूत
यह पहली बार नहीं है कि कुमार विश्वास ने अपने बगावती सुर ऊंचे किए हों। इससे पहले भी वे अपनी ही पार्टी नेताओं के खिलाफ कई बार बगावती सुर उगल चुके हैं। कुमार विश्वास हमेशा से ही राष्ट्र भक्ति वाले बयान देते रहें हैं और भाजपा समेत पीएम नरेंद्र मोदी की वक्त वक्त पर तारीफ भी करते रहे हैं। विश्वास ने मोदी की सर्जिकल स्ट्राइक की भी सराहना करते हुए बयान दिया था। नोटबंदी पर उन्होंने अपना रुख थोड़ा आप के पक्ष में करते हुए पीएम पर तंज कसे थे, लेकिन वे पुरी तरह से नोटबंदी को गलत नहीं बताते थे। कुमार के यही बगावती बयान उन्हें अपने दोस्त केजरीवाल और आप पार्टी से दूर ले गए हैं।

बचपन के दोस्त सिसोदिया को नहीं रहा "विश्वास"
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और कुमार विश्वास बचपन के दोस्त रहे हैं। कुमार को उम्मीद थी कि अरविंद नहीं तो मनीष जरूर उनके पक्ष में बोलेंगे और उनका साथ देंगे। मगर राजनीति ने इन दोनों की दोस्ती के बीच भी एक बड़ी अविश्वास की दीवार खड़ी कर दी है। कुछ ही दिनों पहले सिसोदिया ने मीडिया में सामने आकर सार्वजनिक बयानों के लिए विश्वास की निन्दा की थी। सिसोदिया ने इस बात पर जोर दिया कि विश्वास यह सब विरोधी राजनीतिक दलों के फायदे के लिए कर रहे थे।

कुमार विश्वास के बगावती सुर
विश्वास का केजरीवाल और दूसरे नेताओं को उन मूल्यों की याद दिलाना जिनसे पार्टी बनी थी। ये बताना कि किस तरह पार्टी अपने तय किए गए रास्ते से भटक गई और किस तरह पंजाब, गोवा और दिल्ली में हार के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को दोष देना उल्टा साबित हो रहा था। पार्टी के कांग्रेसीकरण के आरोप और कश्मीर पर कुमार विश्वास के वीडियो और दूसरे बयान, जिसमें पाकिस्तान के पीओके में भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगना और ऐसी ही चीजें शामिल थीं। इन्हें केजरीवाल के खिलाफ माना गया। विश्वास ने कहा था कि किस तरह कार्यकर्ताओं की पार्टी व्यक्तित्व (केजरीवाल) पूजा सिंड्रोम की शिकार हो गयी, जहां नेता और कार्यकर्ताओं के बीच संवाद खत्म हो गया।

विश्वास को पसंद नहीं थी लालू-केजरीवाल की दोस्ती
बिहार की राजनीति में कूदते हुए अरविंद केजरीवाल ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से नजदीकियां बना ली थी। कुमार विश्वास ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि यदि मुख्यमंत्री केजरीवाल बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता व लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव से मिलते हैं तो इसमें कोई आपत्ति की बात नहीं है लेकिन यदि इस बहाने आप और राजद के बीच किसी चुनावी गठबंधन की कोशिश की जाएगी तो इसका जोरदार विरोध किया जाएगा।

Created On :   3 Jan 2018 4:39 PM GMT

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