संविधान दिवस: मनमोहन सिंह बोले- संवैधानिक आदर्शों का उल्लंघन कर रही सरकार

संविधान दिवस: मनमोहन सिंह बोले- संवैधानिक आदर्शों का उल्लंघन कर रही सरकार

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत के संविधान को अंगीकार किए जाने के आज (मंगलवार) 70 वर्ष पूरे हो चुके हैं। इस मौके पर संसद के सेंट्रल हॉल के साथ-साथ सारे देश में संविधान दिवस समारोह मनाया जा रहा है। विपक्ष दलों द्वारा इस समारोह का बहिष्कार किया गया, उनका आरोप है कि भाजपा ने महाराष्ट्र में लोकतंत्र की हत्या की है। इसके अलावा कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने संसद की संयुक्त बैठक का बहिष्कार भी किया।

गौरतलब है कि डॉ. बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर ने दुनिया भर के तमाम संविधानों को बारीकी से परखने के बाद भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया था। 26 नवंबर 1949 को इसे भारतीय संविधान सभा के समक्ष लाया गया। इसी दिन संविधान सभा ने इसे अपनाया था। इसके बाद में 26 जनवरी 1950 को इसे देश में लागू किया गया। 11 अक्टूबर, 2015 को मुंबई में डॉ.अंबेडकर की प्रतिमा का शिलान्यास करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी।

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संविधान दिवस पर विपक्ष द्वारा संयुक्त सत्र का बहिष्कार किए जाने पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह संविधान का उल्लंघन नहीं है, बल्कि यह सभी को याद दिलाता है कि वर्तमान प्रतिष्ठान (सरकार) द्वारा संवैधानिक आदर्शों / मानदंडों का उल्लंघन किया जा रहा है।

 

 

 

कार्यक्रम संपन्न

संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का संबोधन पूर्ण होने के बाद संविधान दिवस पर आयोजित विशेष कार्यक्रम संपन्न हुआ। कार्यकर्म के बाद राष्ट्रपति कोविंद ने सत्र में उपस्थित सभी सदस्यों से चर्चा की।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद को संबोधित करते हुए कहा कि "मैं भारत के संविधान को अपनाने की 70 वीं वर्षगांठ के अवसर पर आप सभी को और भारत व विदेशों में हमारे सभी साथी नागरिकों को हार्दिक बधाई देता हूं।"

 

 

 

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि "हमारे महान संविधान निर्माताओं ने भय, प्रलोभन, राग-द्वेष, पक्षपात और भेदभाव से मुक्त रहकर शुद्ध अन्तःकरण के साथ कार्य करने की भावना को अपने जीवन में पूरी निष्ठा व ईमानदारी से अपनाया था। उनमें यह विश्वास जरूर रहा होगा कि उनकी भावी पीढ़ियां यानी हम सभी देशवासी भी उन्हीं की तरह, इन जीवन-मूल्यों को उतनी ही सहजता और निष्ठा से अपनाएंगे। आज इस पर हम सबको मिलकर आत्म-चिंतन करने की जरूरत है।"

राष्ट्रपति कोविंद ने बताया कि "हमारा संविधान, भारत के लोगों के लिए, भारत के लोगों द्वारा निर्मित भारत के लोगों का संविधान है। यह एक राष्ट्रीय दस्तावेज़ है जिसके विभिन्न सूत्र, भारत की प्राचीन सभाओं व समितियों, लिच्छवि तथा अन्य गणराज्यों और बौद्ध संघों की लोकतान्त्रिक प्रणालियों में भी पाए जाते हैं।" उन्होंने कहा कि "17वीं लोकसभा में आज तक की सबसे बड़ी संख्या में 78 महिला सांसदों का चुना जाना हमारे लोकतन्त्र की गौरवपूर्ण उपलब्धि है। राष्ट्रपति कोविंद ने बताया कि "महिलाओं को शक्‍तियां प्रदान करने संबंधी स्थायी संसदीय समिति में, आज शत-प्रतिशत सदस्यता महिलाओं की है। यह एक महत्वपूर्ण सामाजिक और राजनैतिक परिवर्तन है जिसमें आने वाले कल की सुनहरी तस्वीर झलकती है।"

अधिकार और कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू

अपने भाषण में राष्ट्रपति कोविंद ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी अपने विचार रखें। उन्होंने कहा कि अधिकार और कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। हमारे संविधान में, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मूल अधिकार भी है, सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखने और हिंसा से दूर रहने का कर्तव्य भी है। उन्होंने कहा कि "अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का गलत अर्थ लगाकर यदि कोई व्यक्ति किसी सार्वजनिक संपत्ति को क्षति पहुंचाने जा रहा है, तो उसे ऐसे हिंसात्मक व अराजकता-पूर्ण काम से रोकने वाले व्यक्ति, जिम्मेदार नागरिक कहलाएंगे।"

 

 

 

संविधान का आदर करें नागरिक

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा "संविधान के अनुसार, प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह संविधान के आदर्शों और संस्थाओं का आदर करे; आज़ादी की लड़ाई के आदर्शों का पालन करे; ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो महिलाओं की गरिमा के विरुद्ध हैं; तथा हमारी संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका परिरक्षण करे।"

सभी का मार्गदर्शन करता है संविधान

राष्ट्रपति कोविंद ने अपने संबोधन में बताया कि भारत का संविधान विश्व के सबसे बड़े लोकतन्त्र का आधार-ग्रंथ है। उन्होंने कहा कि "संविधान हमारे देश की लोकतान्त्रिक संरचना का सर्वोच्च कानून है जो निरंतर हम सबका मार्गदर्शन करता है। यह संविधान हमारी लोकतान्त्रिक व्यवस्था का उद्गम भी है और आदर्श भी है।" उन्होंने बताया कि "25 नवंबर, 1949 को संविधान सभा में अपना अंतिम भाषण देते हुए डॉक्टर आंबेडकर ने कहा था कि संविधान की सफलता भारत की जनता और राजनीतिक दलों के आचरण पर निर्भर करेगी।"

 

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में अपने संबोधन में बताया कि देश के लोगों ने संविधान को कमजोर नहीं होने दिया है। उन्होंने कहा कि "मैं विशेष तौर पर 130 करोड़ भारतीयों के सामने नतमस्तक हूं, जिन्होंने भारत के लोकतंत्र के प्रति आस्था को कभी कम नहीं होने दिया और हमारे संविधान को हमेशा एक पवित्र ग्रंथ माना।"

पीएम मोदी ने कहा कि "भारत का संविधान नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों दोनों पर प्रकाश डालता है। यह हमारे संविधान का एक विशेष पहलू है। हमें इस बारे में विचार करना चाहिए कि हम अपने संविधान में उल्लिखित कर्तव्यों को कैसे पूरा कर सकते हैं।"

 

 

 

पीएम मोदी ने संविधान दिवस पर कहा कि "कुछ दिन और अवसर ऐसे होते हैं, जो हमारे अतीत के साथ हमारे संबंधों को मजबूती देते हैं। हमें बेहतर काम करने के लिए प्रेरित करते हैं।" उन्होंने कहा कि "आज 26 नवंबर का दिन ऐतिहासिक दिन है, 70 साल पहले हमने विधिवत रूप से एक नए रंग रूप के साथ संविधान को अंगीकार किया था।" उन्होंने कहा कि "हमारा संविधान हमारे लिए सबसे पवित्र ग्रंथ है। ऐसा ग्रंथ जिसमें हमारे जीवन की, समाज की परंपराओं, हमारे आचार-विचार का समावेश है और अनेक चुनौतियों का समाधान भी है।"

पीएम मोदी ने बताया कि "हमारे संविधान की मजबूती के कारण ही हम एक भारत-श्रेष्ठ भारत की दिशा में आगे बढ़ पाए हैं। हमने तमाम सुधार संविधान की मर्यादा में रहकर किए हैं।" उन्होंने कहा कि "डॉ राजेन्द्र प्रसाद, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर, सरदार पटेल, मौलाना आजाद, सुचेता कृपलानी और अनेक अनगिनत महापुरुषों ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष योगदान देकर ये महान विरासत हमें सौंपी हैं। मैं उन सभी महापुरुषों को नमन करता हूं।"

26 / 11 हमले को किया याद

पीएम मोदा ने साल 2008 के मुंबई के 26 / 11 हमले को याद करते हुए कहा कि "26 नवंबर हमें दर्द भी पहुंचाता है। 26/11 के हमलों के दौरान 2008 में "दुनिया एक बड़ा परिवार है" के हमारे संदेश पर आतंकवादियों ने हमला किया था।" उन्होंने कहा कि "जब भारत की महान परंपराओं, हजारों साल की सांस्कृतिक विरासत को आज के ही दिन मुंबई में आतंकवादी मंसूबों ने छलनी करने का प्रयास किया था। मैं वहां मारी गईं सभी महान आत्माओं को नमन करता हूं।"

 

 

राष्ट्र को सशक्त करने के काम करें : पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि "यदि सड़क पर किसी को तकलीफ हुई और आपने उसकी मदद की तो ये अच्छी बात है, लेकिन यदि मैंने ट्रैफिक नियमों का पालन किया और किसी को तकलीफ नहीं हुई तो वह मेरा कर्तव्य है।" उन्होंने कहा कि "आप जो कुछ भी कर रहे हैं, उसके साथ यदि हम एक सवाल जोड़ कर देखें कि क्या इससे हमारा देश मजबूत हो रहा है, नागरिक होने के नाते हम वो करें जिससे हमारा राष्ट्र सशक्त हो।"

विपक्ष का विरोध

कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में संसद भवन परिसर स्थित भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के पास एकत्रित होकर विपक्षी दलों के नेताओं ने समारोह में भाग नहीं लेने का निर्णय लिया। अंबेडकर की प्रतिमा के पास पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, राहुल गांधी, शिवसेना नेता अरविंद सावंत, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कई नेता मौजूद थे। पार्टियों ने प्रतिमा पर एक बैनर लगा रखा था जिसपर लिखा था लोकतंत्र की हत्या बंद करो।

 

 

संविधान को अनुशासित करने की कोशिश

संसद में राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम शुरू किया गया है। लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा कि "आज के दिन संविधान को अंगीकृत कर इतिहास रचा गया था।" उन्होंने कहा कि "यदि संविधान ने हमें मौलिक अधिकार दिए हैं, तो हमें मौलिक कर्तव्य देकर उन्हें अनुशासित करने की कोशिश भी करनी होगी। स्पीकर बिड़ला ने कहा कि "देश की संप्रभुता को बनाए रखने का दर्शन दिया है, कर्तव्यों की बात ना कर सिर्फ अधिकार की बात करने से असंतुलन पैदा होता है।"

संसद परिसर पहुंचे कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी

 

 

 

Created On :   26 Nov 2019 2:30 AM GMT

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