त्रिपुरा में शरणार्थियों के पुनर्वास के खिलाफ आंदोलन खत्म

Movement against refugee resettlement ends in Tripura
त्रिपुरा में शरणार्थियों के पुनर्वास के खिलाफ आंदोलन खत्म
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अगरतला, 24 नवंबर (आईएएनएस)। हजारों की संख्या में रियांग आदिवासी शरणार्थियों के पुनर्वास के भाजपा की अगुवाई वाली त्रिपुरा सरकार के फैसले के विरोध में कंचनपुर उपमंडल में शुरू हुए आंदोलन और बेमियादी बंद को मंगलवार को नौ दिन बाद स्थगित कर दिया गया।

रियांग आदिवासी शरणार्थी उत्तरी त्रिपुरा के दो सबडिवीजनों में सात राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं, ये 23 साल पहले मिजोरम से विस्थापित हुए हैं।

संयुक्त आंदोलन समिति (जेएमसी) के नेताओं ने 16 नवंबर से चल रहे आंदोलन के संदर्भ में मंगलवार की शाम को अगरतला में मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब के साथ बैठक की।

जेएमसी में दो संगठन शामिल हैं - नागरिक सुरक्षा मंच (नागरिक सुरक्षा मंच) और मिजो कन्वेंशन। ये दोनों गैर-आदिवासी और लुसाई आदिवासियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

उपमुख्यमंत्री जिष्णु देव वर्मा, कानून और शिक्षा मंत्री रतन लाल नाथ और सरकार के शीर्ष अधिकारी भी इस महत्वपूर्ण बैठक में मौजूद रहे।

जेएमसी के संयुक्त आंदोलन समिति के नेता सुशांत बिकास बरूआ और अध्यक्ष जिरमथियामा पचू ने मीडिया को बताया कि उन्होंने बंद को उठा लिया है और मुख्यमंत्री के साथ एक बैठक में हिस्सा लेंगे।

बरूआ ने मीडिया को बताया, राज्य सरकार की एक प्रतिनिधि के रूप में भाजपा विधायक भगवान दास ने सोमवार देर रात तक हमारे साथ दो मैराथन बैठकें कीं। यदि राज्य सरकार कंचनपुर उपमंडल में 6,000 रियांग आदिवासी शरणार्थियों के पुनर्वास के अपने निर्णय पर अडिग रही, तो हम फिर से अपना आंदोलन शुरू करेंगे।

शंकाओं को दूर करते हुए राज्य सरकार ने अपने एक बयान में कहा कि उसने रियांग आदिवासी शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए त्रिपुरा के आठ जिलों में से छह में फैले विभिन्न स्थानों की पहचान की है।

सोमवार देर रात को जारी इस बयान में कहा गया, किसी एक जिले या उपमंडल में पुनर्वास किए जाने का दावा संपूर्ण गलत है।

एएसएन/एसजीके

Created On :   24 Nov 2020 6:30 PM IST

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