मप्र : रामबाई के बयान के सियासी मायने

MP: Political meanings of Rambais statement
मप्र : रामबाई के बयान के सियासी मायने
मप्र : रामबाई के बयान के सियासी मायने

भोपाल, 30 दिसंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी(बसपा) की विधायक रामबाई के नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के समर्थन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशसा में दिए गए बयान ने कयासबाजी को जन्म दे दिया है। रामबाई के इस बयान को भाजपा की आगामी सियासी रणनीति के हिस्से के तौर पर देखा जा रहा है।

राज्य में कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने अभी हाल ही में एक साल पूरा किया है। यह सरकार पूर्ण बहुमत वाली नहीं है। यह बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से चल रही है। भाजपा के राज्य के तमाम नेता ऊपर से इशारा मिलने पर कुछ दिनों में ही सरकार गिराने के बयान लगातार देते रहे हैं। क्योंकि सरकार को समर्थन देने वाले विधायकों और सत्ता पक्ष के विधायकों की सरकार से नाराजगी की बात समय-समय पर बाहर निकल कर आई है।

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ कांग्रेस से लेकर अन्य विपक्षी दल लगातार विरोध कर रहे हैं। ऐसे समय में बसपा विधायक रामबाई का सीएए के समर्थन में और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ के कसीदे पढ़े जाने के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।

बसपा ने रामबाई को पार्टी से निलंबित कर दिया है। वहीं रामबाई ने बयान को तोड़मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया, साथ ही अंतिम सांस तक मायावती के साथ रहने की बात कही है।

रामबाई के सीएए समर्थक बयान और उसके बाद मायावती द्वारा निलंबित किए जाने की कार्रवाई पर भाजपा के पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा और विधायक रामेश्वर शर्मा ने सवाल उठाए हैं।

राजनीतिक विश्लेषक अरविंद मिश्रा का कहना है कि रामबाई ने भले ही अपने बयान को तोड़मरोड़ कर पेश किए जाने की बात कही है, मगर वह राजनीतिक तौर पर नादान नहीं हैं। उन्होंने अपने बयान के जरिए या तो कमलनाथ पर दवाब बनाने की कोशिश की है अथवा वह भाजपा से किसी तरह की सौदेबाजी करने में लगी हुई हैं।

राज्य की 230 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 114 विधायक हैं, और भाजपा के 108 विधायक हैं। कांग्रेस को बसपा के दो, सपा के एक और चार निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है। इस तरह कमलनाथ सरकार को 121 विधायकों का समर्थन है।

राज्य में कमलनाथ की सरकार बनने के बाद से भाजपा की उन विधायकों पर नजर है, जो या तो बाहर से समर्थन दे रहे हैं, या कांग्रेस का होने के बावजूद सरकार से दूरी बनी हुई है। कांग्रेस के कई विधायकों के लगातार दिल्ली में भाजपा के बड़े नेताओं से मेल-मुलाकात की बातें सामने आती रही हैं। राज्य के भाजपा नेताओं के संपर्क में भी कई विधायक हैं। इस स्थिति में रामबाई के बयान ने आशंकाओं को तो हवा दे ही दी है।

Created On :   30 Dec 2019 6:00 PM IST

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