सबरीमाला मंदिर में फिर नहीं घुस पाई 10 से 50 वर्ष की एक भी महिला
- प्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश को सही ठहराया था
- सबरीमाला में सोमवार को भी नहीं घुस पाईं 10 से 50 वर्ष की महिलाएं
- सोमवार को एक दिन के लिए खोले गए थे मंदिर के कपाट
डिजिटल डेस्क, कोच्चि। केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर के द्वार सोमवार को एक बार फिर खुले लेकिन 10 से 50 वर्ष की कोई भी महिला मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाई। एक 30 वर्षीय महिला अपने पति और 2 बच्चों के साथ पाम्बा में पहुंची, लेकिन मंदिर के अंदर नहीं घुस पाई।
अनुज नाम की महिला सबरीमाला में प्रवेश के लिए जैसे ही पाम्बा पहुंची, पुलिस उसे थाने ले गई। एसपी राहुल नायर ने बताया, "महिला ने पुलिस प्रोटेक्शन नहीं मांगा था, इसीलिए उन्हें थाने लाया गया। अगर वे मंदिर जाने के लिए आगे प्रोटेक्शन मांगती हैं तो उन्हें पूरा प्रोटेक्शन दिया जाएगा।"
बता दें कि इस बार मंदिर के द्वार सिर्फ एक दिन के लिए खुले थे। भगवान अयप्पा की विशेष पूजा के लिए ये द्वार खोले गए। इस दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भगवान के दर्शन किए, लेकिन मंदिर की परंपरा के अनुसार 10 से 50 वर्ष की महिला मंदिर प्रांगण में प्रवेश नहीं कर पाई। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश को सही ठहराया था। कोर्ट के फैसले के अनुसार हर उम्र की महिलाएं मंदिर में जाने के लिए स्वतंत्र है।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद सबरीमाला मंदिर के कपाट दो बार खुलकर बंद भी हो गए, लेकिन 10 से 50 वर्ष की कोई महिला मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाई। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के पक्ष में फैसला आने के बाद भी मंदिर प्रांगण में महिलाओं का प्रवेश वर्जित ही रहा। महिलाओं की एंट्री पर विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए बड़ी संख्या में महिला भक्तों ने सबरीमाला मंदिर से वैसे ही दूरी बनाए रखी।
इससे पहले मंदिर के कपाट को 17 अक्टूबर को खोला गया था। 22 अक्टूबर तक मंदिर आम नागरिकों के दर्शन के लिए खुला रहा। इस दौरान भी 10 से 50 वर्ष की कोई महिला मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाई थी। 12 दिनों बाद सोमवार (5 नवंबर) को मंदिर के द्वार खुले तो भी हालत वही रही। बता दें कि अब मंदिर 16 नवंबर को खुलेगा। 16 नवंर से 27 नवंबर तक मंदिर के कपाट खुले रहेंगे।
गौरतलब है कि सबरीमाला मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा महिलाओं के पक्ष में फैसला देने के बाद से ही केरल में जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं। इन प्रदर्शनों में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हो रही हैं। इससे पहले मंदिर में 10 से लेकर 50 वर्ष तक की महिलाओं के प्रवेश पर रोक थी। मंदिर के इस नियम के खिलाफ इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन ने एक जनहित याचिका दायर कर सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की इजाजत मांगी थी। इस याचिका पर केरल हाई कोर्ट ने सुनवाई कर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को सही माना था। इसके बाद केरल हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने इस मामले पर सुनवाई शुरू की थी और बाद में इसे संवैधानिक बेंच को ट्रांसफर कर दिया था। CJI की अध्यक्षता में संवैधानिक बेंच ने इस याचिका समेत अन्य याचिकाओं पर 17 जुलाई से 1 अगस्त तक लगातार सुनवाई की थी। सुनवाई के बाद कोर्ट ने महिलाओं के पक्ष में फैसला दिया था।
मंदिर मामले में अपने फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अब सुप्रीम कोर्ट 13 नवंबर को सुनवाई करने वाला है। पुनर्विचार याचिकाएं नेशनल अयप्पा डिवोटीज एसोसिएशन और अन्य भक्तों द्वारा दायर की गई हैं।
Created On :   6 Nov 2018 1:01 AM IST