तीन मुसीबत में अब 1 दोस्त डॉयल-112, दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम बना कॉल-सेंटर (आईएएनएस एक्सक्लूसिव)

Now 1 friend Doyle-112 in Delhi trouble, Delhi Police Control Room becomes call-center (IANS Exclusive)
तीन मुसीबत में अब 1 दोस्त डॉयल-112, दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम बना कॉल-सेंटर (आईएएनएस एक्सक्लूसिव)
तीन मुसीबत में अब 1 दोस्त डॉयल-112, दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम बना कॉल-सेंटर (आईएएनएस एक्सक्लूसिव)

नई दिल्ली, 24 सितंबर 2019 (आईएएनएस)। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आपात स्थिति में अग्नि, पुलिस और चिकित्सा संबंधी मदद के लिए अब आपको 100, 102 या 101 जैसे तीन अलग-अलग नंबरों को मिलाने की जरूरत नहीं होगी। ये सभी जरूरतें अब सिर्फ एक नंबर 112 डायल करते ही पूरी हो जाएंगी। डायल-112 जितना आम जनता के लिए मददगार होगा, उससे कहीं ज्यादा इस अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित सेवा ने दिल्ली पुलिस के आधुनिकीकरण को भी पंख लगाए हैं।

डायल-112 ही एक वह कदम साबित हो रहा है, जिसने दिल्ली पुलिस के करीब 50 साल पुराने पुलिस कंट्रोल रूम की भी रंगत बदल डाली है। अगर यह कहा जाए कि बुधवार से दिल्ली पुलिस कंट्रोल-रूम की तरह नहीं, बल्कि अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त किसी कॉल-सेंटर की तरह काम करेगा तो अनुचित नहीं होगा।

इस योजना पर करीब 25 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। विशेष पुलिस आयुक्त (ऑपरेशंस) डॉ. मुक्तेश चंद्र ने आईएएनएस को बताया, डायल-112 से समय, श्रम, धन तीन चीजों की बचत होगी।

दिल्ली में डायल-112 को मूर्त रूप देने में सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कम्प्यूटिंग यानी सी-डेक का सराहनीय योगदान रहा है। डायल-112 का सॉफ्टवेयर सी-डेक ने ही ईजाद किया है।

मुक्तेश चंद्र ने आईएएनएस से कहा, 100, 101, 102 अगर कोई शख्स मुसीबत में मदद के लिए डायल करेगा, तब भी उसकी कॉल डायल-112 पर ही जाकर स्वत: कनेक्ट हो जाएगी। आप चाहे कोई भी पुराना नंबर (101, 101,102) डायल करें, दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम में दूसरी ओर से आपको डायल-112 में आपका स्वागत है की ही आवाज सुनाई देगी।

अब तक 100 या फिर 101 डायल करने पर कॉल पहले दिल्ली पुलिस मुख्यालय में स्थित कंट्रोल रूम में बाकायदा रिकॉर्ड की जाती थी। फिर उसे वायरलेस के जरिए संबंधित थाने-दमकल सेवा केंद्र या फिर अस्पताल को नोट कराया जाता था। इस कसरत से धन, श्रम, शक्ति-वक्त बहुत ज्यादा बर्बाद होता था। अब डायल-112 पर इमरजेंसी कॉल रिकार्ड होने के साथ खुद-ब-खुद संबंधित विभाग को जाती रहेगी, बिना किसी बिलंब के।

विशेष पुलिस आयुक्त मुक्तेश चंद्र के मुताबिक, डायल-112 पर आई इमरजेंसी-कॉल को दिल्ली पुलिस नियंत्रण कक्ष की जिप्सी तक पहुंचाने के लिए अब वायरलेस के भी इस्तेमाल की जरूरत नहीं होगी। वायरलेस का झंझट खत्म करने के लिए दिल्ली पुलिस की सभी पीसीआर जिप्सियों को स्मार्ट फोन से लैस कर दिया गया है।

उल्लेखनीय है कि इस ऐतिहासिक तब्दीली के साथ ही, दिल्ली पुलिस का करीब 50 साल पुराना इतिहास भी बदल रहा है। इसी बुधवार यानी 25 सितंबर से। वजह, इस अत्याधुनिक कंट्रोल रूम के शुरू होने के साथ ही 1970 के दशक से और बेहद पुरानी तकनीक के सहारे चल रहे दिल्ली पुलिस मुख्यालय स्थित पुलिस कंट्रोल रूम को बंद कर दिया जाएगा।

दिल्ली पुलिस मुख्यालय के एक सूत्र ने बताया, पुराने कंट्रोल रूम के स्टाफ को नई जगह शिफ्ट कर दिया गया है। जहां तक पुराने कंट्रोल रूम में मौजूद मशीनरी का सवाल है, तो वह अब इस्तेमाल के काबिल ही नहीं बची है।

डायल-112 सेवा का नया मुख्यालय दिल्ली के हैदरपुर (शालीमार बाग) इलाके में स्थापित किया गया है।

विशेष पुलिस आयुक्त ने बताया, इस नए पुलिस कंट्रोल रूम में कागज का उपयोग नहीं होगा और अगर होगा भी तो न के बराबर। एक बटन दबाते ही आपात सूचना, संबंधित विभाग को खुद-ब-खुद पहुंच जाएगी।

उन्होंने आगे कहा, हां, करीब 50 साल पुराने पुलिस कंट्रोल रूम में 8-8 घंटे की तीन शिफ्ट में औसतन 100 पुलिसकर्मी प्रति पाली ड्यूटी करते थे। यह अनुमानित संख्या नए और अत्याधुनिक कंट्रोल रूम में बढ़ाकर अब 120 पुलिसकर्मी प्रति पाली कर दी गई है।

दिल्ली पुलिस अपने इस अत्याधुनिक पुलिस नियंत्रण कक्ष कहिए या फिर आधुनिक कॉल-सेंटर का उद्घाटन बुधवार को केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी से करवाने की कोशिशों में मंगलवार देर शाम तक जुटी हुई थी। इसी क्रम में दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक ने मंगलवार देर शाम, दिल्ली पुलिस मुख्यालय परिसर में संबंधित मातहतों के साथ लंबी और गहन मंत्रणा भी की।

Created On :   24 Sept 2019 9:00 PM IST

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