पाकिस्तान चाहता है बातचीत, भारत को गुपचुप तरीके से भेजा शांति प्रस्ताव : रिपोर्ट
- एक वेस्टर्न डिप्लोमेट और पाकिस्तान के वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में ये कहा गया है।
- पाकिस्तान की सेना ने भारत से बातचीत के लिए काफी गुपचुप तरीके से संपर्क किया है।
- भारत की तरफ से इसपर कोई खास प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। क्या पाकिस्तान अपनी ध्वस्त हो चुकी इकोनॉमी से उबरने के लिए भारत से बातचीत का प्रयास कर रहा है? क्या पाकिस्तान भारत से बातचीत कर दोनों देशों के बीच व्यापार के गतिरोध को खत्म करना चाहता है? न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट की मानें तो पाकिस्तान की सेना ने भारत से बातचीत के लिए काफी गुपचुप तरीके से संपर्क किया है। हालांकि भारत की तरफ से इसपर कोई खास प्रतिक्रिया नहीं मिली है। एक वेस्टर्न डिप्लोमेट और पाकिस्तान के वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से इस रिपोर्ट को छापा गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा की तरफ से पाकिस्तान आम चुनाव से पहले ये संपर्क साधा गया था। जिसमें पाकिस्तान ने कश्मीर क्षेत्र में अपने सीमा विवाद पर भारत के साथ वार्ता शुरू करने की पेशकश की, जो 2015 में रुक गई थी, क्योंकि वहां हिंसा भड़क उठी थी। बातचीत शुरू करने की जुगत में लगे पाकिस्तान का मकसद दोनों देशों के बीच व्यापार के गतिरोध को खत्म करना है। ताकि पाकिस्तान को क्षेत्रीय बाजारों तक ज्यादा से ज्यादा पहुंच मिल सके। कश्मीर को लेकर शांति की बातचीत द्विपक्षीय व्यापार को भी बढ़ावा देगी।
पाकिस्तान की सेना देश की खराब अर्थव्यवस्था को सुरक्षा खतरे के रूप में देखती है, क्योंकि इससे देश में विद्रोहियों को बढ़ावा मिलता है। कमजोर अर्थव्यवस्था से जूझ रहा पाकिस्तान आने वाले हफ्तों में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से 9 अरब डॉलर की मांग भी कर सकता है। इससे पहले बिलों का भुगतान करने के लिए चीन ने कई अरब डॉलर का ऋण पाकिस्तान को दिया था।
पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी की भी टिप्पणी इस ओर इशारा करती है कि पाकिस्तान अपने पड़ोसी देश भारत के साथ शांति चाहता है। उन्होंने हाली ही में कहा है, हम आगे बढ़ना चाहते हैं और हम भारत समेत अपने सभी पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध बनाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।"
राजनयिकों का कहना है कि पाकिस्तानी जनरल और उनके भारतीय समकक्ष जनरल बिपिन रावत ने एक दशक पहले कांगो में संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति सेना में एक साथ काम भी कर चुके हैं। इस साल, जनरल बाजवा ने कहा था कि दोनों देशों के बीच कश्मीर को लेकर चल रहे विवाद का हल निकालने का एकमात्र तरीका वार्ता थी। किसी भी आर्मी की तरफ से ऐसा बयान कम ही देखने को मिलता है।
राजनयिकों का कहना है कि जनरल बाजवा ने वार्ता शुरू करने के लिए जनरल रावत तक पहुंचने की कोशिश की, लेकिन उनके इस प्रयास को कोई खास रिस्पॉन्स नहीं मिला। ऐसा इसलिए क्योंकि पाकिस्तान में आर्मी के पास निर्णय लेने के ज्यादा अधिकार है, जबकि भारत में सरकार ये सभी फैसले लेती है। नई दिल्ली में राजनयिकों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार अगले साल की शुरुआत में होने वाले चुनावों की तैयारी में जुटी है और वह इससे पहले वार्ता नहीं करना चाहती। ऐसा इसलिए क्योंकि बातचीत फेल होने (जैसा कि पहले भी हो चुका है) का असर चुनावी नुकसान के रूप में उठाना पड़ सकता है।
प्रधानमंत्री इमरान खान की अगुआई वाली नई पाकिस्तानी सरकार बातचीत के पक्ष में मजबूत संकेत भेज रही है, हालांकि विदेशी और रक्षा नीति को यहां की सेना नियंत्रित करती है। इमरान खान ने भारत को संबोधित करते हुए अपने विजय भाषण में कहा था, "अगर आप एक कदम आगे लेते हैं, तो हम दो कदम आगे ले जाएंगे।" "हमें आगे बढ़ने की जरूरत है।"
Created On :   5 Sept 2018 10:17 PM IST