संसदीय समिति अगले सप्ताह अंतर्राष्ट्रीय जल संधियों पर करेगी बैठक

Parliamentary committee will meet next week on international water treaties
संसदीय समिति अगले सप्ताह अंतर्राष्ट्रीय जल संधियों पर करेगी बैठक
संसदीय समिति अगले सप्ताह अंतर्राष्ट्रीय जल संधियों पर करेगी बैठक
हाईलाइट
  • संसदीय समिति अगले सप्ताह अंतर्राष्ट्रीय जल संधियों पर करेगी बैठक

नई दिल्ली, 15 नवंबर (आईएएनएस)। एक संसदीय समिति अगले सप्ताह चीन समेत पड़ोसी देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय जल संधि की समीक्षा करेगी। जून में पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में भारत-चीन के बीच हिंसक झड़प हो गई थी, जिसके बाद से दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण है।

समिति साथ ही पाकिस्तान, नेपाल और भूटान के साथ इसी तरह की संधि से जुड़े जल संसाधन प्रबंधन और भारत में बाढ़ प्रबंधन पर भी चर्चा करेगी।

जल संसाधन संबंधी संसदीय स्थायी समिति मंगलवार को अपनी बैठक आयोजित करने के लिए तैयार है, जिसमें जल शक्ति मंत्रालय (जल संसाधन, नदी विकास और गंगा कायाकल्प विभाग) और विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधियों द्वारा मौखिक साक्ष्य उपलब्ध कराए जाएंगे।

इस पहल से अवगत संसद सूत्र ने आईएएनएस से कहा कि समिति दो मंत्रियों के मौखिक प्रस्तुतियों के आधार पर मुद्दों को उठाएगी और अगर कुछ बदलाव की जरूरत होगी तो इसके लिए सलाह देगी।

समिति के सचिवालय द्वारा जारी एक संसदीय नोट के अनुसार, देश में बाढ़ प्रबंधन के विषय पर दो मंत्रालयों द्वारा मौखिक साक्ष्य के संबंध में मामला, विशेष संदर्भ में जल संसाधन प्रबंधन / बाढ़ नियंत्रण के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय जल संधियों सहित बैठक में नेपाल, चीन, पाकिस्तान और भूटान के साथ संधि / समझौते पर चर्चा की जाएगी।

यह बैठक मंगलवार को दोपहर 2 बजे से संसद परिसर में आयोजित की जाएगी।

इस वर्ष 13 सितंबर को गठित, 31 सदस्यीय समिति भारत-चीन के बीच संघर्ष के मद्देनजर अपनी गठन के बाद पहली बार मामले को उठाएगी।

इस समिति में कुल 21 लोकसभा सदस्य और 10 राज्यसभा सदस्य शामिल हैं, जो इस बाबत चर्चा करेंगे और संसद को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे। इसके बाद भारत सरकार आगे की कार्रवाई पर निर्णय लेगी।

बिहार के पश्चिमी चंपारण सांसद संजय जयसवाल इस बैठक की अध्यक्षता करेंगे।

2017 डोकलाम संकट के बाद, चीन ने मानसून के आंकड़ों को भारत से साझा नहीं किया था, जोकि पूर्वोत्तर भारत में बाढ़ प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है। चीन ने ऐसा करके एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) की शर्तों का उल्लंघन किया है। बाद में 2019 में, पुलवामा हमलों के बाद, पाकिस्तान जाने वाले पानी को मोड़ने के लिए भारत की योजना को गति दी गई है।

आईएएनएस

आरएचए/एसकेपी

Created On :   15 Nov 2020 10:01 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story