बजट 2019 : चुनावी साल में किसानों से लेकर रोजगार, विकास और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में कुछ यूं खुल सकता है मोदी सरकार का पिटारा

piyush goyal will present the interim budget 2019 of central government
बजट 2019 : चुनावी साल में किसानों से लेकर रोजगार, विकास और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में कुछ यूं खुल सकता है मोदी सरकार का पिटारा
बजट 2019 : चुनावी साल में किसानों से लेकर रोजगार, विकास और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में कुछ यूं खुल सकता है मोदी सरकार का पिटारा
हाईलाइट
  • अरुण जेटली की तबियत खराब होने के कारण गोयल पेश करेंगे बजट
  • पूरे बजट सत्र के दौरान होंगी 10 बैठकें
  • राष्ट्रपति ने गुरुवार को दोनों सदनों को किया संबोधित

डिजिट डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार एक फरवरी को अंतरिम बजट पेश करेगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली की तबीयत खराब होने के कारण अंतरिम वित्तमंत्री पीयूष गोयल इस बार बजट पेश करेंगे। कयास लगाए जा रहे हैं सरकार इस बजट में मध्यम वर्ग और किसानों के लिए कई घोषणाएं कर सकती है।

बजट सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को दोनों सदनों को संबोधित किया था। 31 जनवरी से 13 फरवरी तक चलने वाले इस बजट सत्र में करीब 10 बैठकें होंगी। इनमें केवल पांच (4 फरवरी से 8 फरवरी) में प्रश्नकाल होंगे। 8 फरवरी को प्राइवेट मेंबर्स के बिल को चर्चा के लिए उठाए जाएगा।

हर साल बजट से पहले "हलवा सेरेमनी" आयोजित की जाती है। यह बजट सत्र के शुरुआत का सकेंत है। इस साल यह 21 जनवरी को आयोजित की गई थी। इस दिन से बजट डॉक्यूमेंट्स और पेपर्स की छपाई शुरू हो जाती है। इस पूरे बजट प्रक्रिया में शामिल वित्त मंत्रालय के अधिकारियों को संसद में बजट पेश होने तक किसी से भी संपर्क करने की अनुमति नहीं होती है।

बजट को वित्त मंत्रालय में बजट डिवीजन के अधिकारियों द्वारा अन्य मंत्रालयों से बातचीत के बाद तैयार किया जाता है। इसमें बजट को लेकर भाषण, ऐनुअल फाइनेंशियल स्टेटमेंट, फाइनेंस बिल, डिमांड फॉर ग्रांट्स और मैक्रोइकोनॉमिक फ्रेमवर्क शामिल है। अंतरिम बजट हमेशा आम चुनाव वाले साल में प्रस्तुत किया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि किसी नए सरकार के आने तक मौजूदा केंद्र सरकार को काम करने के लिए राशि की आवश्यकता होती है, जो कि इस बजट से मिलती है। नई सरकार के आने के बाद पूर्ण बजट पेश किया जाता है।

इस साल के बजट से जुड़ी उम्मीदें 

1. किसानों की आय पर फोकस 
केन्द्र सरकार अपने अंतिम बजट में किसानों के खातों में डायरेक्ट कैश ट्रांसफर करने के बारे में फैसला कर सकती है। ऐसे उम्मीद है कि किसानों को अलग-अलग योजनाओं के जरिए सब्सिडी देने की बजाय सीधे उनके खाते में कैश डालना सरकार के लिए फायदमेंद हो सकता है। एक अनुमान के मुताबिक सरकार इस बजट में किसानों पर खर्च 70,000 करोड़ से बढ़ाकर 75,000 करोड़ कर सकती है। 

2.रोजगार बढ़ाने की कोशिश
रोजगार के क्षेत्र में सरकार को पूरा फोकस रहेगा। पिछले 15 महीने में EPFO के आंकड़ों में अच्छी ग्रोथ दिखी है, लेकिन जितने रोजगार की जरूरत है ये उससे बेहद कम हैं। रोजगार पैदा करने के लिए सरकार को उन सेक्टर पर फोकस करना चाहिए जहां लेबर ज्यादा मात्रा में लगती है। 

3.डिजिटल इंडिया
केन्द्र सरकार के प्रयासों से पिछले सालों में दो क्षेत्रों में अच्छी ग्रोथ देखने को मिली है। एक है डिजिटल पेमेंट दूसरा स्टार्टअप। एक तरफ जहां लोग करोड़ों रुपए डिजिटली पे कर रहे हैं तो वहीं स्टार्टअप के जरिए लोग करोड़ों रुपए कमा भी रहे हैं।

4.इनकम टैक्स पर फोकस
लोकसभा चुनाव से पहले सरकार ने सवर्ण वर्ग को लुभाने के लिए सामान्य वर्ग तो आर्थिक आधार पर 10% रिजर्वेशन दिया है। जिसमें गरीबों के लिए लिमिट 8 लाख रखी गई है। उसे ध्यान में रखते हुए सरकार इनकम टैक्स एक्जम्पशन की लिमिट बढ़ा सकती है।

5. फिस्कल डेफिसिट
फिस्कल डेफिसिट का आंकड़ा पूरी अर्थव्यवस्था पर असर डालता है। खासतौर पर निवेशकों की जमात इस आंकड़े पर नजर जामाए रहती है। ये आंकड़ा अब ज्यादा महत्व नहीं रखता क्योंकि भारत पर जो कर्ज है उसमें FII का सिर्फ 5-7% हिस्सा है।

6. इनवेस्टमेंट टैक्स पर फैसला
ऐसा लगता है कि सरकार LTCG टैक्स हटाने पर फैसला कर सकती है। पिछले साल निफ्टी ने सिर्फ 6% रिटर्न ही दिया है और इस कमजोर रिटर्न ने रिटेल निवेशकों को बाजार से दूर भगाया है।

7. ग्रीन सेस लगाया जा सकता है
पूरी दुनिया में इलेक्ट्रिक व्हीकल का चलन बढ़ रहा है। इसलिए सरकार कुछ व्हीकल पर टैक्स सब्सिडी लगा सकती है जिससे इलेक्ट्रिक व्हीकल की सब्सिडी के लिए फंड जुटाया जाए।

8. शिक्षा बजट में हो सकता है इजाफ
रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बार सरकार शिक्षा बजट में इजाफा कर सकती है। शिक्षा क्षेत्र के लिए पिछले बजट में कुल 85 हजार 10 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे। जिसमें 50 हजार करोड़ रुपए स्कूली शिक्षा और 35010 करोड़ रुपए उच्च शिक्षा के लिए खर्च करने का प्रावधान था। साल 2006 में केंद्रीय उच्च शिक्षा संस्थानों में 27 फीसद ओबीसी आरक्षण लागू करने से केंद्र सरकार ने 7 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान शिक्षा बजट में अतिरिक्त आर्थिक बोझ को वहन करने के लिए के लिए किया था। सरकार ने हाल ही में सामान्य वर्ग के गरीब लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था लागू की है। वहीं मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने केंद्रीय उच्च शिक्षा संस्थानों के शिक्षकों और कर्मचारियों को सातवें वेतनमान के अनुरूप भत्ता देने की बात कही है। ऐसे में सवर्ण आरक्षण और उच्च शिक्षा संस्थानों में सातवें वेतनमान के अनुरूप भत्ते लागू करने के कारण अतिरिक्त खर्चे को वहन करने के लिए शिक्षा बजट में बढ़ोतरी की संभावनाएं जताई जा रही है।

9. ऑटो इंडस्ट्री को उम्मीदें
इस बार के बजट से ऑटो इंडस्ट्री को भी काफी उम्मीदें है। ऑटो इंडस्ट्री को उम्मीद है कि उनकी कमर्शियल व्हीकल पर सीमा शुल्क 25 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी करने की मांग सरकार पूरा कर देगी। इसके अलावा सोसायटी आफ इंडियन आटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) ने सुझाव दिया है कि सरकार को कारों और दोपहिया की पूर्ण निर्मित इकाइयों (सीबीयू) पर सीमा शुल्क में बदलाव नहीं करना चाहिए। फिलहाल, दोपहिया और कारों पर सीमा शुल्क 50 से 100 प्रतिशत के बीच है।  लोहिया ऑटो इंडस्ट्री के सीईओ आयुष लोहिया ने इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन के लिए दस वर्षीय नीति की मांग की है। उन्होंने कहा कि फेम नीति के तहत प्रोत्साहन योजना में सभी इलेक्ट्रिक वाहन शामिल होने चाहिए। प्रोत्साहन को केवल लीथियम बैटरी जैसी उन्नत बैटरियों तक सीमित नहीं करना चाहिए। नए बजट में दोपहिया और तीनपहिया वाहनों में लेड एसिड बैटरियों को शामिल किया जाए। बैटरी सहित सभी इलेक्ट्रिक वाहनों पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ मिले।

10. कंज्यूमर ड्यूरेबल सेक्टर की उम्मीदें
उद्योग संगठनों का कहना है कि सरकार तैयार उत्पाद पर सीमा शुल्क बढ़ा दे, लेकिन इसके उपकरणों पर सीमा शुल्क घटना चाहिए, जिससे घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा। सिएमा के अध्यक्ष कमल नंदी ने कहा कि कंप्रेसर, ओपन सेल, डिस्प्ले पैनल जैसे उपकरणों पर दस फीसदी की जगह पांच फीसदी सीमा शुल्क लगना चाहिए।

11. रेलवे का सिग्नलिंग और मेंटीनेंस पर जोर
रेलवे को इस बार लग रहा है कि अगले वित्तीय वर्ष के लिए उन्हें 68 हजार करोड़ रुपये की बजटीय सहायता दे दी जाएगी क्योंकि रेलमंत्री और वित्तमंत्री दोनों की भूमिका पीयूष गोयल निभा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि इस रकम का उपयोग रलवे सिग्नल सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए करना चाहता है। इस सिग्नल सिस्टम की आवश्यकता इसलिए है, क्योंकि अगर ट्रेनों की रफ्तार बढ़ानी है तो सिग्नल सिस्टम को अपग्रेड करना जरूरी है। मौजूदा सिग्नल सिस्टम उतना आधुनिक नहीं है, जितने की अभी जरूरत है। इसके अलावा रेलवे का जोर ट्रेक मेंटीनेंस पर भी है ताकि दुर्घटनाओं को न्यूनतम किया जा सके। इसके लिए रेलवे अत्याधुनिक मशीनें खरीदना चाहता है। 

 

 

Created On :   31 Jan 2019 4:16 PM IST

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