जोशीमठ भू-धंसाव अलर्ट मोड में केंद्र सरकार, उत्तराखंड प्रशासन के आला अधिकारियों के साथ की उच्चस्तरीय बैठक

PM Modi is seen in an active mood regarding Joshimath, experts have outlined 6 points to prevent landslides
जोशीमठ भू-धंसाव अलर्ट मोड में केंद्र सरकार, उत्तराखंड प्रशासन के आला अधिकारियों के साथ की उच्चस्तरीय बैठक
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हाईलाइट
  • करीब 350 मीटर चौड़ी जमीन भू-धंसाव से प्रभावित हुई है

डिजिटल डेस्क, देहरादून। उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव की घटना ने सभी को हैरान कर दिया है। उत्तराखंड प्रशासन कोई बड़ी अनहोनी होने से पहले ही एक्टिव मूड में नजर आ रही है। प्रशासन की ओर से भू-धंसाव वाले क्षेत्र को आपादा क्षेत्र घोषित कर दिया गया है। शुरूआती दौर में 561 घर भू-धंसाव के चपेट में आए थे, जिनकी संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रतिदिन जोशीमठ में भू-धंसाव की वजह से घरों को नुकसान होता दिख रहा है। मौजूदा समय में 610 घर इसके चपेट में आ चुके हैं। खबरों की माने तो जोशीमठ में राज्य सरकार के अलावा केंद्र की एजेंसियां भी अलर्ट मोड में आ चुकी हैं। जोशीमठ के हालात पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पल-पल का अपडेट ले रहे हैं। उन्होंने उतराखंड के सीएम पुस्कर सिंह धामी और भू-धंसाव विशेषज्ञों के साथ बैठक की है। राज्य सरकार ने आपदा प्रबंधन और विशेषज्ञों की टीम बनाई थी। उसने सीएम धामी को रिपोर्ट सौंप दी है। उन तमाम क्षेत्रों का दौरा किया गया है, जिनमे घरों को अधिक नुकसान पहुंचा है। वहीं रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने 6 महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ज्यादा जोर दिया है, ताकि राहत और बचाव कार्य जल्दी से जल्दी किया जा सके।

विशेषज्ञों ने सौंपी रिपोर्ट

आपदा प्रबंधन और विशेषज्ञों की टीम ने अपने रिपोर्ट में 6 अहम बिंदुओं को रेखाकिंत किया है। जिसमे भू-तकनीकी जांच, भूकंपीय निगरानी समेत कई बातों को सरकार के समक्ष रखा है। विशेषज्ञों ने जोर देते हुए कहा कि अगस्त 2022 की रिपोर्ट में की गई सिफारिशों का पालन होना चाहिए। इलाके में अधिक संख्या में हुए नुकसान वाले घरों को तोड़ देना चाहिए और उनका मलबा हटा देना चाहिए। उन तमाम इलाकों की पहचान करना होगा जो अधिक प्रभावित हैं, कोई अनहोनी होने से पहले ही लोगों को निकालकर दूसरे जगह पर शिफ्ट किया जाना चाहिए। 

जांच में 6 अहम बिंदुओं को किया गया रेखांकित

विशेषज्ञों की टीम ने अपने रिपोर्ट में कहा है कि भू-तकनीकी जांच की जानी चाहिए, जरूरत पड़ने पर नींव की रेट्रोफिटिंग का भी अध्ययन किया जाए। क्षेत्र के उप-स्तरों को समझने के लिए जियोफिजिकल जांच की जानी चाहिए। पूरे इलाके में भूकंपीय निगरानी हो। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि हाइड्रोलॉजिकल जांच होनी चाहिए, ताकि जल निकासी, झरनों, लोकल वॉटर टेबल स्रोत की पहचान हो सके। भू धंसाव की रियल टाइम निगरानी होनी चाहिए। इसके अलावा घरों को पहुंची क्षति का आकलन कर रेट्रोफिटिंग भी हो।

सुरक्षित इलाकों में शिफ्ट किए जा रहे लोग

उत्तराखण्ड के मुख्य सचिव जोशिमठ के भू-धंसाव को लेकर कहा कि करीब 350 मीटर चौड़ी जमीन भू-धंसाव से प्रभावित हुई है। राहत और बचाव के लिए एनडीआरएफ की एक टीम और एसडीआरएफ की चार टीमें जोशीमठ में पहुंच चुकी हैं। जिस इलाके में गंभीर स्थिति बनी हुई है, वहां से लोगों को निकाल कर अन्य सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का काम किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त उनके लिए स्वास्थ्य सुविधा, भोजन की व्यवस्था, जीवन मूल भूत में आने वाले सारे चीजों को पहुंचाने का काम किया जा रहा है। साथ ही लोगों को जोशीमठ को लेकर भी जानकारी साझा की जा रही है। 

प्रधानमंत्री मोदी के प्रधान सचिव ने की बैठक

जोशीमठ भू-धंसाव मामले पर केंद्र सरकार  ने भी अपनी नजर जमाई हुई हैं। पीएम मोदी के मुख्य सचिव डॉ. पीके मिश्रा ने भारत सरकार के कैबिनेट सचिव, गृह सचिव, वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य, उत्तराखंड के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक, जोशीमठ के  जिलाधिकारी समेत उत्तराखंड के कई वरिष्ठ अधिकारी इस उच्च स्तरीय बैठक में मौजूद रहे। जिसमे जोशीमठ को भू-धंसाव से कैसे रोका जाए और इसके बचाव लिए क्या-क्या किया जा सकता है। इन तमाम मुद्दों पर चर्चा की गई। बैठक के दौरान पीएम के मुख्य सचिव ने उत्तराखण्ड के अधिकारियों से कहा कि प्रभावित क्षेत्र में रहने वाले लोगों की सुरक्षा तत्काल प्राथमिकता में होनी चाहिए। राज्य सरकार को प्रभावित लोगों के साथ संवाद स्थापित करने और हालात बिगड़ने से पहले इसको नियंत्रण करने की कोशिश करें।


 

Created On :   9 Jan 2023 11:31 AM GMT

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