मासूमों से रेप पर होगी फांसी, प्रेसिडेंट ने अध्‍यादेश को दी मंजूरी

President Kovind approved the amendment in the Pocso Act
मासूमों से रेप पर होगी फांसी, प्रेसिडेंट ने अध्‍यादेश को दी मंजूरी
मासूमों से रेप पर होगी फांसी, प्रेसिडेंट ने अध्‍यादेश को दी मंजूरी
हाईलाइट
  • अध्यादेश पर राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है।
  • इस अध्यादेश के तहत अब अब 12 साल से कम उम्र की बच्ची के साथ रेप करने वाले दोषी को फांसी की सजा दी जा सकेगी।
  • पॉक्सो एक्ट में संशोधन के अध्यादेश को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पॉक्सो एक्ट में संशोधन के अध्यादेश को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी है। अध्यादेश पर राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। इस अध्यादेश के तहत अब अब 12 साल से कम उम्र की बच्ची के साथ रेप करने वाले दोषी को फांसी की सजा दी जा सकेगी। ये कानून आज से ही लागू हो गया है। बता दें कि अध्यादेश आने के पहले के केसों पर यह लागू नहीं होगा। इसके अलावा प्रेसिडेंट ने भगौड़ा आर्थिक अपराधी अध्यादेश पर भी मुहर लगा दी है।

 

 

 

संशोधन के बाद क्या हुए बदलाव?
  • 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ रेप करने वाले को फांसी की सजा।
  • 16 साल से छोटी लड़की से गैंगरेप पर उम्रकैद की सजा।
  • 16 साल से छोटी लड़की से रेप पर कम से कम 20 साल तक की सजा।
  • सभी रेप केस में 6 महीने के भीतर फैसला सुनाना होगा।
  • नए संशोधन के तहत रेप केस की जांच 2 महीने में पूरी करनी होगी।
  • रेप के आरोपी को अग्रिम जमानत नहीं मिल पाएगी।
  • महिला से रेप पर सजा 7 से बढ़कर 10 साल की गई है।
  • सरकारी वकीलों के नए पद घोषित किए जाएंगे।
  • नए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए जाएंगे।
  • बलात्कार पीड़िता के लिए सभी थानों और अस्पतालों में फोरेंसिक किट उपलब्ध कराए जाएंगे।
  • बलात्कार से जुड़े मामलों को समयबद्ध तरीके से निबटाने के लिए विशेष तौर पर अधिकारियों-कर्मचारियों की नियुक्ति होगी
  • हर राज्य व केंद्र शासित प्रदेश में बलात्कार से जुड़े मामलों के लिए विशेष फॉरेसिंग लैब बनाए जाएंगे।

 

किसने क्या कहा?

 

 

 

क्या है पॉक्सो एक्ट?

  • POCSO यानी प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट को साल 2012 में लाया गया था।
  • इस कानून की धारा 3 के तहत "पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट" को परिभाषित किया गया है। जिसके तहत अगर कोई व्यक्ति किसी बच्चे के शरीर के किसी भी पार्ट में प्राइवेट पार्ट डालता है या बच्चे के प्राइवेट पार्ट में कोई चीज डालता है या बच्चे को ऐसा करने के लिए कहता है तो यह धारा-3 के तहत अपराध होगा।
  • पॉक्सो एक्ट की धारा 4 में बच्चे के साथ दुष्कर्म या कुकर्म के मामले को शामिल किया गया है। जिसके तहत 7 साल से लेकर उम्रकैद और अर्थदंड का प्रावधान है। 
  • पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के अधीन वे मामले लाए जाते हैं जिनमें बच्चों को दुष्कर्म या कुकर्म के बाद गम्भीर चोट पहुंचाई गई हो। इसमें दस साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है और साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
  • इस अधिनियम की धारा 7 और 8 के तहत वो मामले शामिल किए गए हैं, जिनमें बच्चों के गुप्तांग से छेडछाड़ की जाती है। इस धारा में पाए गए दोषियों को 5 से 7 साल तक की सजा और जुर्माना का प्रावधान है। 
  • पॉक्सो एक्ट की धारा-11 में बच्चों के साथ सेक्सुअल हैरेसमेंट को परिभाषित किया गया है। जिसके तहत अगर कोई व्यक्ति बच्चों को गलत नियत छूता है या सेक्सुअल हरकतें करता है या उसे पोर्नोग्राफी दिखाता है तो उसे इस धारा के तहत 3 साल तक कैद की सजा हो सकती है।

 

शनिवार को कैबिनेट में लाया गया था अध्यादेश
बता दें कि पीएम मोदी के नई दिल्ली स्थित आवास पर इस संबंध में शनिवार दोपहर बैठक हुई, जिसमें केंद्रीय मंत्री और पार्टी के कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। करीब ढाई घंटे तक चली इस बैठक के बाद सरकार ने अध्यादेश लाने का फैसला किया। गौरतलब है कि उन्नाव और कठुआ में पिछले दिनों हुई रेप की घटनाओं को बाद ऐसे आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने की मांग उठ रही थी। मामले की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेश दौरे से लौटते ही इस संबंध में कैबिनेट की बैठक बुलाकर तुरंत अध्यादेश लाने को मंजूरी दी है।

"भगोड़ा आर्थिक अपराधी" अध्यादेश को भी मंजूरी
वहीं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उस अध्यादेश को भी मंजूरी दे दी है जिसमे 100 करोड़ से ऊपर का आर्थिक अपराध कर भागने वाले को छह हफ्ते में भगौड़ा घोषित किया जाएगा। मालूम हो कि भगोड़े आर्थिक अपराधियों से जुड़ा विधेयक संसद के बजट सत्र में पेश किया गया, लेकिन लगातार व्यवधान की वजह से ये पारित नहीं हो सका। इसी के मद्देनजर सरकार ने अध्यादेश लाने का फैसला किया।

एक्ट में क्या है प्रावधान?

  • प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत विशेष अदालत गठित की जाएगी।
  • 100 करोड़ रुपये या उससे ज्यादा की रकम से संबंधित मामले ही इस अदालत में सुने जाएंगे।
  • यह अदालत बैंक या वित्तीय संस्थाओं के साथ धोखाधड़ी करने जैसे मामलों में आरोपी को भगौडा घोषित करेगी।
  • भगोड़ा घोषित किए जाने के बाद उस व्यक्ति की सारी संपत्ति सरकार के हाथों में आ जाएगी।
  • कोर्ट के आदेश पर ऐसा व्यक्ति या ऐसी कंपनी जिसमें उस व्यक्ति की बड़ी हिस्सेदारी है, वो प्रबंधन की भूमिका में है, उस संपत्ति पर दिवानी दावा नही ठोक सकेगा।
  • यदि भगौड़ व्यक्ति देश वापस आकर सरेंडर कर देता है तो ऐसी सूरत में प्रस्तावित कानून के बजाए प्रचलित कानून के तहत मुकदमा चलाया जाएगा

 

कौन कहलाएगा भगोड़ा
"भगोड़ा आर्थिक अपराधी" अध्यादेश में निदेशक या सह निदेशक द्वारा स्पेशल कोर्ट में एक मांग पत्र दाखिल किया जाएगा। इसमें वह उक्त व्यक्ति को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किए जाने की मांग करेगा, लेकिन उसके पास उसको भगोड़ा घोषित करने के लिए पुख्ता सबूत और दलीलें होना ज़रूरी हैं। मांग पत्र दाखिल किए जाने के बाद कोर्ट उक्त व्यक्ति को 6 हफ्तों के भीतर अदालत में पेश होने को कहेगा। अनुपस्थित होने की दशा में उसे भगोड़ा घोषित कर दिया जाएगा। इस प्रावधान के हिसाब से संस्था को संपत्ति को बेचने की कार्रवाई करने के लिए, किसी से भी इजाज़त लेने कि आवश्यकता नहीं है।

Created On :   22 April 2018 11:45 AM IST

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