RSS सरसंघ चालक भागवत का बड़ा बयान, बोले- राम मंदिर जरूर बनेगा
डिजिटल डेस्क छतरपुर। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने राम मंदिर का उल्लेख करते हुए कहा कि समूचे समाज को जोड़कर एक अनुकूल समय अब आ गया है और आपका संकल्प जरूर पूरा होगा। राम मंदिर बनाने के लिए हमे स्वयं भी राम बनना होगा और उनके आदर्शो पर चलना होगा। उन्होंने कहा है कि जब किसी स्वास्र्थ के वगैर राष्ट्रहित के लिए कदम बढ़ाया जाता है और यह कदम समूचे समाज को जोड़कर उठाया जाए तो सफलता सुनिश्चित है। यह सीख हमें शौर्य पुरूष महाराज छत्रसाल से लेना चाहिए। एक जागीरदार परिवार से होकर उन्होंने मुगल आक्रांताओं से बुन्देलखण्ड की माटी को मुक्त रखने समूचे समाज को जोड़कर 52 लड़ाईयां लड़ी और विशाल साम्राज की स्थापना की। छत्रसाल के जीवन को हम अपने जीवन में उतारे तभी यह मूर्ति की स्थापना का उद्देश्य पूरा होगा। उन्होंने मऊसहानिया में बुधवार को महाराज छत्रसाल की भव्य प्रतिमा का अनावरण करने के उपरांत समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही।
कार्यक्रम की अध्यक्षता मलूकपीठाधेश्वर डॉ. राजनदेवाचार्य ने की। संतो के सानिध्य में आयोजित इस गरिमामय समारोह में बुन्देलखण्ड के कोने कोने से आए हजारों लोग साक्षी बने जहां तीन साल के अथक प्रयास के बाद महाराजा छत्रसाल सोध संस्थान द्वारा शौर्य पीठ की स्थापना की गई। उल्लेखनीय है कि महाराजा छत्रसाल ने अपनी प्रथम राजधानी मऊसहानिया को बनाया था। इसके बाद उन्होंने पन्ना राज्य की स्थापना की थी। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि किसी भी संकल्प की प्रप्ती करने के लिए हमे उसके योग्य बनना पड़ता है। उन्होंने राम मंदिर का उल्लेख करते हुए कहा कि समूचे समाज को जोड़कर एक अनुकूल समय अब आ गया है और आपका संकल्प जरूर पूरा होगा। राम मंदिर के हमे स्वयं भी राम बनना होगा और उनके आदर्शो पर चलना होगा।
इतिहास बदला गया
संघ प्रमुख ने कहा कि स्वतंत्रता के पूर्व एवं स्वतंत्रता के पश्चात इतिहासकारों ने सत्य को बदलने का प्रयास किया, लेकिन सत्य सत्य होता है वह नहीं बदलता। समाज को विदेशी आक्रांताओं को पढ़ाया गया लेकिन हमारे महापुरूष चाहे वह वीर शिवाजी हो या महाराणा प्रताप या फिर महाराजा छत्रसाल। इनके सत्य से दूर रखा गया। समय और परिस्थितियां बदली है। आज मध्यप्रदेश के पाठक्रम में महाराजा छत्रसाल की जीवनी को शामिल किया गया है। कल पूरे देश में इन महान पुरूषों की जीविनियां पढ़ी जाएंगी।
शिवाजी से मिले थे छत्रसाल
संघ प्रमुख श्री भागवत ने समारोह को संबोधित करते हुए आगे कहा कि महाराजा छत्रसाल जब शिवाजी महाराज से मिलने महाराष्ट पहुंचे एवं उन्होंने कहा कि मैं मुगल शासक की नौकरी नहीं कर सकता मैं आपके यहां काम करना चाहता हूॅ। तब वीर शिवाजी ने उन्हें तलवार भेट करते हुए कहा था कि तुम मेरे यहां भी नौकरी क्यों करोंगे। तुम बापिस अपने राज्य जाओं और समाज को जोड़कर नए राज्य की स्थापना करों। उन्होंने कहा कि संतों के सानिध्य एवं प्रेरणा से ही महापुरूषों ने समाज को संगठित कर इतिहास रचने का काम किया है। वीर शिवाजी के समर्थ गुरू रामदास जी ने जहां उन्हें पे्ररणा ली वहीं महाराजा छत्रसाल को स्वामी प्रांणनाथ ने पे्ररणा दी और उन्हीं के मार्ग दर्शन में महाराजा छत्रसाल ने समूचे बुन्देलखण्ड को जीवन परियंत मुगलों से मुक्त रखकर स्वतंत्र राज्य की स्थापना की।
ये रहे शामिल
मूर्ति अनावरण समारोह में संत समुदाय मदन गोपालदास जी महाराज कामदगिरी मुखारबिंद चित्रकूट, अखिलेश्वरानंद गिरी, किशोरदास जी महाराज बृन्द्रावन, प्रणामी संत दिनेश पंडित, शिवनारायणदास महाराज, रामकिशोरदास महाराज, भगवानदास श्रंगारी महाराज, संघ के मदनदास जी देवी, अरूण जैन, दीपक विष्पुते, अर्जुन शाह, प्रकाश सोलापुरकर, श्रीश्री रंग राजे जी, डॉ. सुधीर अग्रवाल, सांसद प्रहलाद पटैल, पन्ना की राजमाता दिलहर कुमारी सहित भारी संख्या में जनसमुदाय उपस्थित रहा। कार्यक्रम का संचालन सुमित मिश्रा ने किया। जबकि कार्यक्रम में शोध संस्थान के सचिव राकेश शुक्ला ने प्रस्थावना रखी। आभारी प्रदर्शन शोध संस्थान के अध्यक्ष भगवत शरण अग्रवाल ने किया। कार्यक्रम के प्रेरणाश्रोत डॉ. पवन तिवारी प्रचारक विद्याभारती रहे।
Created On :   21 March 2018 2:02 PM GMT